शीत ऋतू में मैनाएँ ( starlings) , द्वारा मैरी ओलिवर
थोड़ी मोटी एवं कोलाह्पूर्ण,
पर अपने काले पंखों में तारों (stars) को लिए,
वो टेलीफोन के तार में से उछलती हुई निकलती हैं,
और शीघ्र ही अचानक
वो कालाबाज बन जाती हैं,
इस बर्फानी हवा में|
और अभी इस हवा रुपी नाट्य घर में ,
वो इमारतों पे झूलती हैं,
नीचे आती हैं, ऊपर जाती है;
ओर फिर तैरती हैं एक बिंदु चित्रण के तारे की तरह,
जो खुलता है,
एक क्षण के लिए खंडित बन जाता है ,
और फिर बंद हो जाता है :
और आप देखते हैं
और आप कोशिश करते हैं ,
पर आप शायद उसकी कल्पना नहीं कर सकते ,
कि वो कैसे करती हैं ,
बिना किसी व्यक्त अनुबोध के, बिना रुके हुए,
सिर्फ एक मौन स्वीकृति
कि वो एक उल्लेखनीय वस्तु हैं,
जो की बहुत से हिस्सों का पहिया हैं,
जो उठ सकता है, घूम सकता है
बार बार, फिर से,
एक खूबसूरत जीवन से परिपूर्ण |
वाह , ऐ दुनिया , क्या सीख आप हमारे लिए तैयार करते हो ,
इस पत्ते विहीन सर्द मौसम में,
इस राख के जैसे सफ़ेद शहर में भी |
में अभी सोच रही हूँ
शोक के बारे में, और उससे आगे कैसे निकला जाए ;
मैं महसूस करती हूँ अपने जूतों को,
इस जमीन को छोड़ने की कोशिश करते हुए,
मैं महसूस करती हूँ अपने ह्रदय को,
ज़ोर से धड़कते हुए | में चाहती हूँ
कि मैं फिर से ख़तरनाक एवं भव्य चीज़ों के बारे फिर में सोच पाऊँ |
में चाहती हूँ मैं हल्की एवं जिंदादिल बन जाऊं |
मैं चाहती हूँ मैं बन जाऊं, असम्भाव्य (improbable ) , सुन्दर और किसी से ना डरने वाली ,
मानो मेरे पंख उग आए हों|
मनन के लिए बीज प्रश्न : आप उससे कैसा नाता रखते हैं जो प्रकृति में सुन्दर नज़र आता है और फिर भी, किसी भी व्यक्त अनुबोध के आता है , सिर्फ एक मौन स्वीकृति में कि वो एक उल्लेखनीय वस्तु है ? क्या आप उस समय की एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं, जब प्रकृति को देखते हुए आपको याद आया हो अपने पुराने शोक से बाहर आने और फिर से हल्के हो जाने के लिए ? आपको भव्य चीज़ों के बारे में सोचने के लिए किस बात से मदद मिलती है ?