दुआ है हमेशा आपका प्याला भर के बाहर बहे द्वारा जॉन पॉल मूर
मैंने कभी अथाह संपत्ति नहीं कमाई ,
और शायद अब कमाऊंगा भी नहीं,
पर वो कुछ मायने नहीं रखता
क्योंकि मैं खुश हूँ, जैसे हूँ सही|
अब जब मैं अपनी यात्रा पे चल रह| हूँ,
मुझे मेरे बोने से अधिक काटने को मिल रहा है,
मैं प्याली से पी रहा हूँ,
क्योंकि मेरा अपना प्याला भर के बाहर बह रहा है|
मेरे पास बहुत सी अमीरियां नहीं हैं,
और कभी तो काम चलाना भी है मुश्किल,
पर मेरे दोस्तों एवं रिश्तेदार्रों का प्रेम पाकर,
मुझे लगता है मैं हूँ काफी मुतमव्विल (rich)|
मेरा इश्वर को उन आशीर्वादों के लिए धन्यवाद
जो उनकी रहमत ने मुझ पर बरपाया है,
मैं प्याली से पी रहा हूँ,
क्योंकि मेरा प्याला भर के बाहर बह आया है|
वो मुझे शक्ति और साहस प्रदान करता है ,
जब भी मेरा मार्ग कठिन और दुर्गम होता है
मैं और कोई भी आशीर्वाद नहीं मांगूंगा,
क्योंकि जो आशीर्वाद है , मुझे पर्याप्त होता है|
दुआ है हम कभी भी इतने व्यस्त न हों,
कि दुसरे का भार हम ना उठा सकें,
तब हम सब प्याली से पी रहे होंगे,
जब हमारे प्याले भर के ऊपर बह जायेंगे|
दुआ है हमेशा आप सब के प्याले भर के ऊपर बहते रहें|
मनन के लिए मूल प्रश्न” आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि जब हम सब एक दुसरे का वजन उठाने में मदद करते हैं, तब हम सबों के प्याले भर के ऊपर बह जायेंगे ? क्या आप कोई ऐसे समय की निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने अपने आपको पपर्याप्त अमीर पाया हो और आपका प्याला भर के बह रहा हो? आपको किस चीज़ से यह देखने में मदद मिलती है कि आपका प्याला निरंतर भर के बह रहा है ?