Limitation Becomes Space

Author
Eckhart Tolle
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Image of the Weekहद ही विस्तार बन जाती है द्वारा एकहार्ट टोल्ले

इस क्षण को जैसा है वैसे बने रहने देना, सिर्फ यह क्षण , और कुछ नहीं | सिर्फ यह वर्त्तमान क्षण |

अचानक आप देखेंगे एक अंदरूनी विस्तार है, इस क्षण के चारों तरफ, जो आपको प्रारूप की हद से मुक्त कर देता है|

इस बात की सबसे बड़ी छवि है जीसस की सूली चढ़ते की छवि , जो शायद आपके पसंद की छवि न हो: कुछ लोगों को वो इसलिए पसंद नहीं हैं क्योंकि वो नकारात्मक है, पर मैं मानता हूँ कि वो उस समयकाल की एक ऐसी सच्चाई का गहरा प्रतीक है, जो शायद और किसी प्रकार से व्यक्त नहीं की जा सकती थी |

यहाँ पर एक व्यक्ति है, जिसे सूली पर चढ़ा दिया गया है – जो एक महान हद है, पर जो ईसाई धर्म का चिन्ह (cross) है, वो दैविक शक्ति का प्रतीक भी है और उस बात मैं कुछ गहरी प्रज्ञा है|

पर यह कैसे हो सकता है कि यंत्रणा का यन्त्र एक दैविक चिन्ह भी हो ? यह है प्रारूप की हद में समर्पण, और इसाई धर्म का चिन्ह (cross), उस हद का एक सबसे चरम उदहारण है |सूली पे चढने का अर्थ है आपकी मर्ज़ी पूरी होगी ना कि मेरी मर्ज़ी होगी , और यहाँ पर यह इशारा करती है , “जो वर्त्तमान में है” उसकी पूर्णता का|

अगर आप “ जो वर्त्तमान में है” के प्रति समर्पण कर देते हैं, तो जो चरम हद है वो एक विस्तार में खुल जाती है| यह ही एक सबसे गहरा नियम है , जो इंसानों को एहसास होना है| यहाँ तक की आपके साथ घटित हुई सबसे दुखद घटना भी एक द्वार बन सकती है..... तब वह द्वार एक ज्ञानातीत तत्व ( transcendence) का द्वार बन जायेगा| हद ही विस्तार बन जाती है|

यह ही वो जगह है जहाँ पर इंसानी पीड़ा सामने आती है| हर एक पीड़ा/ दुःख के पीछे इश्वरी दया छुपी है|और यहाँ ज्ञानातीत तत्व ( transcendence) की सम्भावना बनती है , और वो आती है जब हम वर्तमान क्षण का विरोध नहीं करते|

वो एक चीज़ जो हम इंसानों को सीखने की आवश्यकता है , ताकि वो एक अलग प्रकार से ज़ी सकें, ताकि एक आतंरिक स्वतंत्रता आ सके, वो है हमारे पूर्व के अनुकूलन का पूर्ण रूप से ज्ञानोदय में परिवर्तन |

मनन के लिए बीज प्रश्न : आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि हमारे साथ घटित सबसे दुखद घटना भी एक ज्ञानातीत तत्व (transcendence) का द्वार बन सकती है ? क्या आप उस समय की एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने अपने दुःख/पीड़ा के पीछे इश्वरी दया देखी हो? आपको बिना निष्क्रियता के जाल में फंसे, आतंरिक स्वतंत्रता की गहराई में जाने में , किस चीज़ से सहायता मिलती है ?
 

The above is an excerpt from Eckhart Tolle’s interview with Common Ground, titled Just Now.


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