Stay With The Breath

Author
Thanissaro Bhikkhu
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सांस के साथ रहो - "थांनिसारो भिक्खु" द्वारा


अपने आँख, नाक, कान, जीभ, शरीर और दिमाग को बाहरी दुनिया की जानकारी प्राप्त करने, कुछ मिल जाने पर लापरवाह होने, कुछ इच्छा अनुसार होने पर खुश और न होने पर उदास और इन पाने के नए तरीके सोचने के लिए इस्तेमाल को छोड़े। अब हम बापने आंक नाक, कान, जीभ , शरीर और दिमाग को दूसरे कामों इस्तेमाल करेंगे। यह देखने के लिए कि यह हमारे इन्द्रियां काम किस तरह करते है। इन्हे इस तरह देखे जिससे दिमाग किस तरह घूमता है यह पता चले, किस तरह कोई निर्णय लेता है, किस तरह उस निर्णय को अमल तक लाता है और किस तरह खुद को दोहराता है कि वह निर्णय सही है।


यह सारी प्रक्रियां हर वक्त चलती रहती है, किन्तु हम अक्सर उनपर ध्यान नहीं देते क्योंकि हमारा ध्यान कहीं दूर लगा होता है। इसलिए यहीं रहो, अपनी सांस के साथ क्योंकि यह बहुत अच्छी जगह है इन सभी चीज़ों को देखने के लिए। बुद्ध 6 जानवरो की कहानी का उदाहरण देते है। अगर हम इन सभी जानवरो को एक दुसरे से बाँध देंगे, तो सभी जानवर अपनी अपनी दिशा में ताकत लगाएंगे, मगरमछ नदी की ओर , बन्दर पेड़ की ओर , लोमड़ी जंगल की ओर और ऐसे ही बाकी सब। जो सबसे ज़्यादा ताकतवर होगा, बाकी सब भी उसी तरफ खींचे जाएंगे।

किन्तु अगर सब को एक मज़बूत खम्बे से बाँध दे, तो चाहे वह लोग जितना भी दम लयाये, सब के सब वहीँ खड़े रहेंगे। वह खम्बा यहाँ शरीर के प्रति जागरूकता है। सबसे आसान तरीका शरीर के प्रति जागरूक होने का , अपनी सांस के तरफ जागरूक होना है। जब हम सांस के साथ रहते है, तो आप अपनी पसंद नापसंद के प्रति अपने इन्द्रियों को महसूस कर पाएंगे। लेकिन आपको उस खींचाव के प्रति समर्पित नहीं होना है क्योंकि आप के पास के जगह है, जहाँ आप स्थिर रह सकते है।


यह सारी चीज़ें यहाँ सिर्फ देखने के लिए ही है। यह हर वक़्त होते रहते है। लेकिन इनको देखने के लिए हमें अपना केंद्र बिंदु बदलना होगा। और उसे बदलने के लिए, हृदय का परिवर्तन चाहिए, अपने आप को यह कहते हुए कि यह महत्वपूर्ण है, जो कुछ बाहर हो रहा है, उससे कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण। सही जागरूकता ही केंद्र बिंदु और हृदय का परिवर्तन है। तुम अपना मन और दिल को मना लो कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे ठीक करना होगा , और यही तरीका है इसे करने का।
 

Thānissaro Bhikkhu first encountered Buddha's Four Noble Truths as a high-school student on a plane ride to the Philippines. After graduating, he traveled to Thailand to practice meditation and soon became a Theravada monk in the Thai forest tradition. Today, he is the abbot of Metta Forest Monastery in San Diego County, and is a notably skilled and prolific translator of the Pāli Canon.  The passage above is excerpted from 'Meditations 5'.


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