The Power of Patience

Author
Sharon Salzberg
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Image of the Weekधैर्य की शक्ति
शैरन सैल्स्बर्ग (१२ फरवरी, २०१४)

अगर हम कुछ और शांत हो सकें, जो अभी असल में बीत रहा है उस पल में रह पाएं, तो अनुभव की एक नयी दुनिया हमारे सामने आ जाती है, इस आधार पर कि हम आज कहाँ हैं, इस आधार पर नहीं कि एक दिन हम कहाँ पहुँचने की आशा रखते हैं। "कोई भी एक फूल को ठीक से नहीं देखता, वह इतना छोटा-सा होता है," कलाकार जॉर्जिआ ओकेएफ का कहना है। "हमारे पास समय नहीं है, और कुछ देखने में समय लगता है, जैसे एक दोस्त बनाने में समय लगता है।" अगर हम थोड़ा और वक्त लगाना सीख जाएं और हम जहां हैं, उसके बारे में पूरी तरह जागरूक हो जाएं, तो हो सकता है कि हम बहुत से नये फूलों को देख पाएं और और शायद हमारे और ज़यादा दोस्त हों।

बेवक्त किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बिना, स्वतः पराजित महसूस किये बिना, या इस बात को नज़र-अंदाज़ किये बिना कि ज़िंदगी आज हमें क्या खास पेश कर रही है, अपने विचारों को थामे रह पाने की क्षमता का वर्णन करने का एक तरीका है वह पुराना गुण-धैर्य। आम गलतफहमी के बावज़ूद, धैर्य रखने का मतलब आत्मत्याग की क्रूरता के साथ समझौता करना और अपनी भावनाओं और आकांक्षाओं को अनदेखा कर देना नहीं है। इसका अर्थ है कि उगती गाजरों को उखाड़ देने, खिलती कली को ज़बरदस्ती खोल देने, या एक इल्ली (कैटरपिलर) से यह मांग करने की कि वह जल्दी करे और अपनी कोषावस्था(क्रिसलिस) अब ख़त्म कर दे, इस सबकी बजाए इस उभरने की प्रक्रिया में पूरे मन से हिस्सा लिया जाए।

असल धैर्य दांतों का भींचना और यह कहना नहीं है कि,"मैं इसे पांच मिनट और झेल लूँ क्योंकि मुझे पता है कि उतने में तो यह ख़त्म हो ही जाएगा और उसके बाद कुछ इससे बेहतर ही होगा।" धैर्य इतना कठोर नहीं है, और न ही नाखुश है। यह एक दृढ शक्ति है जिसे हम अपने हर अनुभव पर इस्तेमाल करते हैं। अगर उस स्थिति में कुछ काम करने की आवश्यकता है तो हमें काम करना होगा, धैर्य का अर्थ जड़ता या आत्मसंतोष नहीं है। बल्कि, धैर्य तो हमें बहुत दूर तक पहुंच पाने की साहसभरी निष्ठा देने के साथ-साथ जो अभी हमारे सामने है उस बहुपरतीय सच्चाई से जुड़ने की इच्छा भी देता है।

क्या हममें से वो लोग जो स्वाभाविक रूप से धैर्यवान नहीं हैं, अपने बच्चों या भुलक्कड़ माता-पिता पर चिल्लाते रहेंगे, अपने ऑफिस के फर्श पर टूटे-फूटे कम्प्युटर के पुर्ज़े बिखेरते रहेंगे (या बिखेरने का डरावा देंगे), या हर बार जब वे अपनी खुद की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरेंगे तो अपने आप को कचोटते रहेंगे? या क्या हम इन चीज़ों का सामना करने का कोई नया तरीका अपना सकते हैं?

किसी भी समय जब हम इंतज़ार कर रहे हों - दूकान पर पैसे देने की लाइन में, डॉक्टर के फोन की, किसी दोस्त, जिसने आपका दिल दुखाया हो, उसके माफ़ी मांगने की - हम याद रख सकते हैं कि हम इस पल में ज़िंदा हैं। हम इस पल को ध्यान देने, बढ़ने और खुलने देने के साधन की तरह इस्तेमाल करने का संकल्प कर सकते हैं।

हम जब भी जो इस वक्त है, उसके खिलाफ ज़ोर लगा रहे हों, जैसे कि अगर हम बहुत कोशिश करें तो उसे बदलने पर मज़बूर कर देंगे, उस समय हम लम्बी सांस ले सकते हैं। भविष्य में चीज़ों को कैसा होना चाहिए, उसके बारे में हमारा कोई भी ख्याल हो, हम इस बात पर ध्यान दे सकते हैं कि जो काम हमें आज करने की ज़रुरत है, हम उस काम को करें। और जब भी हम अधीर असंतोष के रोष में हैं, क्योंकि हमारा साथी बहुत धीरे चल रहा है या पोस्ट बहुत देर से आई, या हमें नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, या हमसे अपना ध्यान केन्दित नहीं हो पा रहा है, या हमें समझ नहीं आ रहा कि ह्म क्या चाहते हैं - या रोज़मर्रा की अनगिनत चीज़ें जो हमें मुश्किल लगती हैं, हम खुद को याद दिला सकते हैं कि इस वक्त क्या ठीक है। फिर हम जैसे-जैसे जो जलत है उसे ठीक करने की कोशिश करते हैं, झगड़ालूपन, बेचैनी और निराशा हमारे "अब" में से बह जाएंगे, और यह शब्द धैर्य की कोमल, विकासशील शक्ति द्वारा समर्थित, उद्देश्य और ताकत की घोषणा बन सकता है.

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप धैर्य से क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बांटना चाहेंगे जहाँ आपने धैर्य की शक्ति का अनुभव किया हो? हम धैर्य की वृद्धि कैसे कर सकते हैं?


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