To Be Simply, Radically, Absolutely Still

Author
Gangaji
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Image of the Weekबस, मूलतः, एकदम स्थिर रह पाना गंगाजी

कभी कभी, इस धन्य जीवन में, एक ऐसा समय आता है जब हम आध्यात्मिक खोज, भगवान, और सत्य की खोज करना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि इस काम को करने के आम तरीके कुछ काम नहीं आते हैं। हम जीने के आम तरीके को छोड़कर अपने ध्यान को आध्यात्मिक जीवन की ओर ले जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश जिन तरीकों से हम अपनी आम ज़िंदगी जी रहे थे, हम उन्हीं तरीकों से अपनी आध्यात्मिक खोज भी करने निकल पड़ते हैं, और फिर वह खोज सिर्फ आध्यात्मिक खुशी, आध्यात्मिक शान्ति, आध्यात्मिक सुरक्षा की खोज बन के रह जाती है। कभी ना कभी इस खोज से भी हमारा मन भर जाएगा। [...]

आज दोपहर मुझे किसी का पत्र मिला जिसमें मुझसे पूछा गया, "आपके सिद्धांत किस विश्व धर्म पर आधारित हैं?" खैर, मैंने विश्व के धर्मों का कोई खास अध्ययन तो नहीं किया है, लेकिन जो मैंने देखा है उससे यह लगता है कि हर इंसान का मन एक ही चीज़ चाहता है और वह वो चीज़ ऐसी है जिसे उस पल वह इंसान "खुशी" के नाम से जानता है। पर मैंने पाया है कि खुशी को ढूंढ पाना नामुमकिन है। जब तक आप खुशी को "कहीं" खोजने की कोशिश कर रहे हैं, खुशी असल में कहाँ है आप इस बात को बिलकुल अनदेखा कर रहे हैं। मैं भगवान के बारे में भी यही कहूँगा। जब तक आप भगवान को किसी खास "जगह" पर ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, आप भगवान के बारे में एक मूल सच्चाई को अनदेखा कर रहे है, वह ये कि भगवान सर्वव्यापी है। जब आप किसी और जगह पर खुशी की खोज करने की कोशिश करते हैं, तो आप इस बात को नज़रंदाज़ क्रर रहे हैं कि आप की मूल प्रकृति सिर्फ खुशी ही है। आप खुद अपने आप को अनदेखा कर रहे हैं।

तो यह शिक्षण एक आमंत्रण और चुनौती है कि हम चीजों को अनदेखा करना बंद करें - बस, मूलतः,एकदम स्थिर हो जाएं। कम से कम एक पल के लिए, हम अपने उन सब विचारों को अपने दिमाग से निकाल दें कि भगवान कहाँ है, सच्चाई कहाँ है, या हम खुद कहाँ हैं। उन सब विचारों को कि भगवान् क्या है, सच क्या है, या हमें क्या देना या लेना है। उन सब विचारों को छोड़ दें। ठहर जाएँ। इधर-उधर ढूँढना बंद कर दें। खोजना बंद कर दें। बस रुक जाएँ। किसी हैरानी या बेहोशी की हालत में नहीं, और ना ही एक बड़े मैदान में चरती गाय की तरह, बल्कि उससे कहीं अधिक गहराई से, ताकि उस सर्वव्यापकता का रहस्य पहचाना जा सके, समझा जा सके, और आपकी अपनी असल प्रकृति को समझा जा सके। मेरा मतलब अपनी पर्सनैलिटी को समझने से नहीं है। मेरा मतलब अपनी पर्सनैलिटी से अधिक गहरा कुछ पहचानने से है, और जो कि आपकी पर्सनैलिटी के हर उतार चढ़ाव में मौजूद है। उस तत्व की मौजूदगी में अपने आप को स्थिर करो। ना कि उस को बनाने के लिए स्थिर होओ। उसे आमंत्रित करने के लिए भी स्थिर मत रहो। सिर्फ यह पहचानने के लिए स्थिर रहो कि ऐसा क्या है जो हमेशा मौजूद है, और तुम हर वक्त कौन हो।


कुछ मूल प्रश्न : "ऐसा क्या है जो हमेशा हमारे आस-पास है, ये जानने के लिए कुछ ठहरो", इस वाक्य से आप क्या समझते हैं? आप इस ठहराव को अपने जीवन में कैसे पैदा कर सकते हैं? क्या आप अपने जीवन से कोई ऐसा अनुभव बाँटना चाहेंगे जब आपने खोजना बंद करने से ठहराव पाया हो?


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