Living from the Heart

Author
Rick Jarow
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Image of the Week ह्रदय  से जीना
- रिक जेरो (३ अक्टूबर, २०१२)
 
जब हमें किसी से ईर्ष्या होती है तो उसका कारण है कि वह व्यक्ति हमारे मन के किसी खाली कोने को प्रतिबिंबित करता है | आखिर अगर हम अपने आप को भरपूर महसूस करते हों, अगर हमारा मन संतुष्ट हो, तो उस हाल में हमें दूसरों की सफलता को देखकर ख़ुशी होगी | अगर किसी और की सफलता से आपको निराशा होती है तो यह आपके मन की न्यूनता का लक्षण है | तो अगर हम क्रोध और बाहरी चीज़ों पर ध्यान देने की प्रवृत्ति पर काबू कर सकें और अपने अंतःकरण में झांक कर देख पाएं तो हम जन पाएँगे कि हमें अपने बारे में अच्छा महसूस कर पाने के लिए क्या करना चाहिए |
 
यहाँ मैं आपको एक बात साफ बता देना चाहता हूँ कि हमारे हृदय चक्र की शक्ति का सीधा नाता देने और लेने से है | उसका मतलब यह है कि उस शक्ति का उद्देश्य है दूसरों को सहारा देना और दूसरों के दिए सहारे को स्वीकार कर पाना | किसी व्यक्ति को सहारा देने का मतलब यह नहीं है कि हम उसकी कामों को प्रोत्साहन दें | इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम उसके गलत व्यवहार को बढ़ावा दें | अगर आपका बच्चा आपके पास आकर ड्रग्स के लिए पैसे मांगता है, तो आपको ऐसे आचरण को प्रोत्साहन देने की ज़रुरत नहीं है | लेकिन यह अत्यंत महत्वपूर्ण बात है कि आप उस बच्चे पर से स्नेह हटाए बिना उसके आचरण पर आपत्ति कर सकते हैं |
 
हमारा मन हमें दूसरों से जोड़ता है तो दिमाग हमें दूसरों से तोड़ता है | आप ऐसी स्थिति मैं भी हो सकते हैं जहाँ आप दूसरे को उसके काम पर डांट सकते हैं, सजा दे सकते हैं या उसे उस काम के लिए शर्मिंदा कर सकते हैं | पर उस व्यक्ति से अपना प्रेम या सहानुभूति ही हटा लेना बिलकुल अलग बात है|      
 
कुछ समय पहले  मैंने एक ऐसी कहानी सुनी जिसने मेरे मन को छू लिया | एक बार दलाई लामा भारत के धर्मशाला शहर में तिब्बती बौद्ध धर्मं की प्रथानुसार सशक्तिकरण के लिए कालचक्र यज्ञ कर रहे थे | यज्ञ के बीच कुछ तिब्बती साधू रोते- चिल्लाते हुए वहां पहुंचे और बोले कि चीनियों ने सैंकड़ों तिब्बती साधुओं को मार डाला | सम्पूर्ण यज्ञ भंग हो गया | सबकी आंखें दलाई लामा पर थीं | दलाई लामा बोले कि, " अब हम उन चीनियों के लिए प्रार्थना करेंगे |"
 
आपको यह आदर्शवाद लगेगा या बिलकुल नामुमकिन, लेकिन मैं आपसे कहूँगा कि आप इसे परस्पर निर्भरता के दार्शनिक दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करें | इस दृष्टिकोण से अगर आप इस जन्म  में किसी को चोट पहुंचाते हैं तो अगले किसी जन्म में आपको भी चोट पहुँच सकती है | इसलिए ज़रूरी है कि आपके लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाए | 
 
अगर एक तीन - चार साल का बच्चा आपके पास आकर आपको मारता है तो आप नाराज़ नहीं होते क्योंकि आप चेतना के एक स्तर से ऊपर पहुँच चुके हैं | हम अपने ह्रदय चक्र में यही चेतना उत्पन्न करने की कोशिश कर रहें हैं कि हममें इतनी संवेदनशीलता हो कि हम दूसरों के कुकर्मों पर क्रोधित होने की अपेक्षा उस कर्म को अपने मन में प्रेम की भावना से देख पाएं | इसी तरह पूरे विश्व में समृद्धि आएगी |
 
- रिक जेरो, " दि अल्टीमेट एंटी- कैरिअर गाइड"
 
 
 
 


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