हमेशा था, हमेशा रहेगा
-एलन कोहन (19 दिसंबर, 2012)
कच्चा चमड़ा नहीं, जगमगाते इन्सान हैं हम!
-योडा
अगर कोई आपसे पूरे भरोसे से कहे कि आपको इस जीवन के रहस्य का ज्ञान है और वह व्यक्ति आपको उस रहस्य को सबको बताने के लिए एक मंच पर खड़ा कर दे तो आप क्या करेंगे? "टोटली हिडन विडियो" नामक टेलीविज़न शो ने इसी विषय पर एक मज़ेदार प्रोग्राम बनाया। इस खेल के लिए फ़ेडरल एक्सप्रेस के एक ड्राईवर को किसी धार्मिक संस्थान (जो कि टेलीविज़न शो का बनाया हुआ सेट था) में एक पार्सल पहुँचाने के लिए कहा गया। ड्राईवर के बिना जाने, प्रोग्राम वालों ने उसका एक फोटो खींच लिया और फिर उस फोटो में कुछ बदलाव कर दिए जैसे कि उस ड्राईवर को उस नकली धर्म के शाही लिबाज़ पहने हुए दिखाया।
जब वह ड्राईवर पार्सल देने पहुंचा तो अनुयायियों ने (जो असल में प्रोग्राम के आर्टिस्ट थे) उसे एक नज़र देखा और चारों तरफ हलचल मचा दी।
वे ड्राईवर को अन्दर ले गए और उसे बड़े सम्मान से एक बहुत ख़ूबसूरत गद्दी पर बैठने को कहा। फिर उन्होंने उसे बताया की वह भगवान का भेजा हुआ दूत है जिसके बारे में शास्त्रों में लिखा है और जिसका कब से उन्हें इंतजार था। ड्राईवर का संशय मिटाने के लिए, किसी ने झट से मंदिर की मूर्ति के आगे का पर्दा हटा दिया, और वहां क्या देखते हैं - कि अन्दर उसकी एक भव्य तस्वीर टंगी है, जो कि "हजारों साल पहले किसी कलाकार ने कल्पित की थी।"
अब अनुयायी प्रार्थना करने लगे,"कृपया हमें कुछ ज्ञान दीजिये।"
ड्राईवर ने उस फोटो को ध्यान से देखा और फिर वहां बैठी भक्तों की भीड़ की ओर नज़र घुमायी। कमरे में सन्नाटा छा गया। वह गद्दी पर बैठ गया, और एक लम्बी साँस भरने के बाद बोला:" ये जीवन," ज्ञानी ने समझाया," एक नदी की तरह है।"
शिष्यों ने उसके हर कथन पर वाहवाही की, बड़े उत्साह से हर पवित्र शब्द जैसे मन में बिठा लिया हो।
"जीवन कभी आसानी से चलता है, और कभी तुम्हें अपने रास्ते में उतार-चढ़ाव मिलते हैं।" गुरुजी ने समझाया," लेकिन अगर तुम अडिग रहो और विश्वास रखो तो तुम ज़रूर किसी दिन अपने सपनों के समुद्र तक पहुँच जाओगे।"
शिष्यों ने फिर परमानन्द विभोर हो कर आन्हें भरीं। इसी दिन का उन्हें कब से इंतजार था!
"बस, आज के लिए इतना ही," फ़ेडेक्स स्वामी बोले," अब मुझे जाना होगा कुछ और पार्सल पहुँचाने।"
भक्त बड़े बेमन उठे और श्रद्धा से सर जुकाया, और संकोचपूर्वक उन धर्मापित गुरूजी के लिए रास्ता छोड़ दिया। उस प्रचुर श्रद्धा के बीच वह दरवाज़े तक पहुँच गया।
इस कहानी का एक खास संयोजित अंश( पोस्टस्क्रिप्ट) है: उस प्रोग्राम ने यही तरकीब कई और फ़ेडेक्स के ड्राइवरों पर भी लगाई, और हर एक ड्राईवर को उस गद्दी पर बैठते ही कोई ने कोई गंभीर शब्द याद आ गए। कुछ गहन कहने के निमन्त्रण ने इन भोलेभाले इन्सानों के अन्दर ज्ञान की भावना जगा दी। अपने मन के किसी कोने में, हर इंसान सच्चाई जानता है। जो जवाब हम ढूँढ़ रहे हैं, जो ताकत हम पाना चाहते हैं, और जो स्वीकृति हम पाने की कोशिश कर रहे हैं, सब हमारे अन्दर ही उपस्थित हैं। मौका मिलते ही (गद्दी पर बैठते ही) या फिर चुनौतियों का सामने होते ही, हमें जो मालूम होना चाहिए, वो मालूम हो जाता है, और हम वही करते हैं जो हमें करने की ज़रुरत होती है।