कलाकार का तौर
-जूलिया कैमरन (3 दिसंबर, 2012)
एक कलाकार और शिक्षक होने के नाते मेरा यह अनुभव है कि जब हम विश्वास के साथ कोई रचनात्मक कदम उठाते हैं, तो यह संसार भी आगे की ओर बढ़ता है। यह कुछ -2 ऐसा ही है जैसे खेत में सिंचाई व्यवस्था का पहला रास्ता खोलते ही, पानी का प्रवाह पूरे खेत में चल पड़ता है।
लेकिन मैं आपसे यह नहीं कहती कि आप इस बात पर विश्वास करें। जगत में हो रही सृष्टि का उद्भव होने के लिए आपको ईश्वर पर विश्वास करने की ज़रुरत नहीं है। मैं सिर्फ यह चाहती हूँ कि आप बस ध्यान दें और देखें कैसे ये प्रक्रिया प्रकट रूप लेती है। वास्तव में आप खुद अपने रचनात्मक विकास को अपने हाथ से जन्म लेते देखेंगे।
सृजनात्मकता एक अनुभव है - मेरी दृष्टि में एक आध्यात्मिक अनुभव। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि आप इस बारे में क्या सोचते हैं: आध्यात्मिकता की ओर बढ़ती हुई सृजनात्मकता या सृजनात्मकता की ओर बढ़ती हुई आध्यात्मिकता। सच तो यह है कि मैं इन दोनों में कोई फर्क नहीं समझती। जब यह अनुभव हो रहा होता है तो आपको इस प्रक्रिया पर विश्वास है या नहीं, यह प्रश्न ही ख़त्म हो जाता है। जैसा कि कार्ल जंग ने अपने जीवन के आख़िरी वर्षों में कहा, "मैं विश्वास ही नहीं करता, मैं जानता हूँ।"
नीचे लिखे आध्यात्मिक सिद्धांत ऐसे मूल सिद्धांत हैं जिनके आधार पर रचनात्मक शक्ति की पुनः प्राप्ति और खोज संभव है। इन्हें हर रोज़ पढ़ें और अपने बदलते हुए रुख और विचारों पर ध्यान दें।
मूल सिद्धांत:
1. रचनात्मकता जीवन का एक प्राकृतिक नियम है। जीवन एक शक्ति है: शुद्ध रचनात्मक शक्ति।
2. हर जीवन की सतह के नीचे चलती नसों में एक रचनात्मक शक्ति बहती है और यह बात हम पर भी लागू होती है।
3. जब हम अपनी रचनात्मकता को उभरने का मौका देते हैं, तो हमारा ध्यान उस सृष्टि के जन्मदाता की सृजनात्मक की तरफ भी जाता है, जो हमारे अन्दर और हमारे जीवन में मौजूद है।
4. हम खुद ही किसी की रचना हैं, और इसलिए हमारे जीवन का मकसद है कि हम रचनात्मक रह कर संसार की रचनात्मकता को बढ़ने का मौका दें।
5. रचनात्मक शक्ति हमें ईश्वर की देन है। इस शक्ति का इस्तेमाल करना ईश्वर को वापिस हमारी भेंट होगा।
6. अपनी रचनात्मकता को अस्वीकार करना हमारी हठ है और यह हमारे असली स्वाभाव से बिलकुल विरुद्ध है।
7. जब हम खुद को अपनी रचनात्मकता की खोज करने के लिए तैयार कर लेते हैं, तो हम ईश्वर को पाने के लिए भी तैयार हो जाते है: यही ठीक क्रम भी है।
8. जैसे-2 हम उस विधाता की ओर अपनी सृजन शक्ति का मार्ग खोलेंगे, वैसे-2 हमें हल्के, पर प्रभावशाली बदलाव ज़रूर दिखाई देंगे।
9. हमें अपनी रचनात्मकता को अधिक से अधिक बढ़ने से डरने की ज़रुरत नहीं है।
10. हमारी रचनात्मक इच्छाएँ और आकांक्षाएं एक ईश्वरीय स्थान से उत्पन्न होती हैं। जब हम अपने इन सपनों को साकार करने चल पड़ते है, हमारे कदम खुद ही हमें ईश्वर की ओर ले जाते हैं।