- बारबरा मार्क्स हब्बर्ड (6 नवम्बर, 2012)
अगर हम इस संसार को एक सम्पूर्ण मानव जाति के होते जन्म के नज़रिए से देखें, तो हम पाएँगे कि ये दुनिया ख़त्म नहीं हो रही है, बल्कि हम एक खतरनाक, लेकिन प्राकृतिक अवस्था में हैं, जन्म के तुरंत बाद की अवस्था, जब अभी हम पूरी तरह से जागे नहीं हैं, फिर भी इतना ध्यान में है कि अगर हम बढती आबादी, प्रदूषण और लडाई जैसे हानिकारक व्यवहारों को बदलने की कोशिश नहीं करेंगे तो हम अपना विनाश खुद ही कर लेंगे। हम देख सकते हैं कि हम खुद ब खुद इस किस्म की चेतना और धरती की कोख में अब तक हो रहे विकास की हद तक पहुँच गए हैं। ज़ाहिर है की स्वाभाविक रूप से पुनः पैदा न हो सकने वाले ऊर्जा के भंडार ख़त्म होते जा रहे है। हम खुद ही अपनी आबादी को सीमित रखने की कोशिश करने लगे हैं। साथ ही हम भूमंडलीय स्तर पर एक-दुसरे के साथ संयोजित रह पाने, पर्यावरण का नियंत्रण करने का प्रबंध कर पाने, हमारे खुद पैदा किये हुए कूड़े को संभाल पाने, लुप्त होते जा रहे जीव-जंतुओं को बचा पाने, इत्यादि कार्यों में संघर्ष कर रहे हैं।
इन "समस्याओं" को इतना ही हमारी गलती माना जा सकता है, जितना की नवें महीने में बच्चे का मां की कोख में हो रहा विकास। इन परेशानियों से पैदा होने वाला दर्द भी हमारे जन्म के लिए ज़रूरी है। दर्द के इस दबाव के बिना हम कभी भी अपनी पूरी शक्ति का अंदाज़ा नहीं लगा पाएँगे। ये विपत्तियाँ ही हमारे विकास का कारण बन रही हैं। ये मानव जीवन के विकास की अगली मंजिल का संकेत दे रही हैं। ये दर्द हमें जागरूक तौर पर विकास, या हस्तांतरण, और आत्म-विनाश की ओर धकेल रहा है। अब आगे क्या होगा वो इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपनी आज की परिस्थितियों को किस 'मेमेटिक कोड' के आधार पर परखते हैं ( "मेमे" सामाजिक बदलाव की वो इकाई है जिसके माध्यम से विचार, चिन्ह, और व्यवहार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक लिखने, बोलने, रीति-रिवाज़, आचार-व्यवहार, इत्यादि के माध्यम से फैल जाते हैं।)
बच्चे के जन्म की उपमा हमें पृथ्वी की आज की अवस्था के बारे में बहुत कुछ सिखाती है।
समय पूरा हो जाने पर भी अगर बच्चा माँ के पेट में ही रह जाए तो वह मर जाएगा। वह उस गर्भ के लिए बहुत बड़ा हो चूका है .. अगर माँ को जन्म देने का ज्ञान न हो तो वह सोचेगी कि उसकी जान जा रही है। और जब वह उस नवजात बच्चे को देखेगी तो भयभीत हो उठेगी। लेकिन क्योंकि माँ को बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया का ज्ञान है ,वह उस दर्द का मतलब समझती है, और बदलते होर्मोनों की प्रक्रिया से वह प्राकृतिक तौर पर उस अनजाने बालक को पूरी तरह प्यार करने के लिए तैयार हो जाती है। उसके स्तन दूध से भर जाते हैं, और वह अन्दर से उस बच्चे के लिए सम्पूर्ण स्नेह का अनुभव करती है, इसलिए नहीं कि वह बच्चा बड़ा हो कर वकील या डॉक्टर बनेगा, बल्कि इसलिए कि वह उसके लिए 'मूल्यवान' है, क्योंकि वह उसका "जीवन" है।
फिर भी, क्योंकि हमने कभी किसी और ब्रह्माण्ड को जन्म लेने के दर्द से गुज़रते नहीं देखा है, बहुत से लोग ऐसा समझते हैं कि ये दुनिया ख़त्म हो रही है, या हम मानव जाति के नाम पर दोषी हैं और असफल भी।
जब हम अपने जीवन की संभावनाओं को समझेंगे तो हम असफल नहीं होंगे। पर हमें राह दिखाने के लिए एक नए 'मेमेटिक कोड' की ज़रूरत है, या फिर जैसा कि टेलहाई द शार्दीन ने कहा है, कि हम अपनी जाति से प्यार करना भूल जाएँगे और जिससे भविष्य का सारा आकर्षण जाता रहेगा।
जब हम अपनी सामूहिक आँखों को खोलकर देखेंगे तो हम जान पाएँगे कि हमारे पास पहले से ही हर परेशानी को सुलझाने की और कितनी ही अकल्पनीय नयी क्षमताओं को पा लेने की ताकत है।
बल्कि हमने यह महसूस करना शुरू भी कर दिया है।
इस प्रकार मानवता एक चौराहे पर खडी है। या तो हम एक साथ मिलकर जागृत भाव से पृथ्वी की व्यवस्था के साथ सहयोग दें, या फिर हम बेहोशी की हालत में एक दूसरे से लड़ाई-झगडे और सिर्फ उपभोग की ही राह पर चलते रहें। अगर हम सामूहिक जागृत सहयोग का रास्ता अपनाएं तो हमें एक "सौम्य पथ" (जेंटल पाथ) पर चलने का अनुभव होगा, जो कि भविष्य को एक सकारात्मक दृष्टि से देखने का तरीका होगा जहाँ मानव जाति अपने अस्तित्व का मतलब और अपनी शक्ति को समझ सकेगी और हम अपने विकास के अगले पड़ाव पर कुछ आसानी से पहुँच पाएँगे।
- बारबरा मार्क्स हब्बर्ड
SEED QUESTIONS FOR REFLECTION: How do you relate to the author's use of the birth metaphor to describe the present human condition? The author implies the need to hold and nurture that which is being born, bearing all the pain that comes with such a holding, and at the right moment, let it separate naturally without holding on to it - how can we bring such an attitude to all that we are creating? Can you relate a personal experience where you felt that you were giving birth to something sacred?
I do not experience it at the feeling level but I think I am born and I die each moment. When we notice our present experience, we become more conscious. When one is open one has a greater chance of noticing one's present experience. The poet John Keats said we are open when we make up our mind about nothing. A personal experience where I felt I was giving birth to something sacred occurred the first time I sat to meditate. Tears came to my eyes. I have since learned that everything I do, all of life, can be a meditation.