The Future Is Unknowable

Author
Adam Grant
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“भविष्य अज्ञात है” एडम ग्रांट के द्वारा ,

मनुष्य शायद एकमात्र ऐसी प्रजाति है जो अज्ञात भविष्य की कल्पना कर सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम यह करना अच्छी तरह से जानते हैं।

हम अक्सर इस बारे में गलत होते हैं कि हम कौन सा करियर चुनेंगे, हम कहाँ जाएँगे और हम किससे प्यार करेंगे। हम तब और भी बुरी तरह विफल होते हैं जब हम राष्ट्रीय और वैश्विक घटनाओं के परिणामों की भविष्यवाणी करने की कोशिश करते हैं। मौसम विज्ञानी की तरह जो कुछ दिनों से ज़्यादा समय के पहले मौसम का अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं, हम सभी चंचल, परिवर्तनशील और तितली प्रभावों का अनुमान नहीं लगा सकते।

एक ऐतिहासिक अध्ययन में, मनोवैज्ञानिक फिलिप टेटलॉक ने राजनीतिक और आर्थिक घटनाओं के बारे में कई दशकों की भविष्यवाणियों का मूल्यांकन किया। उन्होंने पाया कि "औसत विशेषज्ञ लगभग एक तीर फेंकने वाले चिम्पांजी जितना सटीक था।" हालाँकि कुशल पूर्वानुमान लगाने वाले बहुत बेहतर थे, लेकिन वे भी भी पूर्वानुमान लगाने के लिए उपलब्ध पर ही निर्भर थे।कोई भी यह नहीं सोच सकता था कि ड्राइवर का गलत मोड़ आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड को एक हत्यारे के रास्ते की तरफ़ ले जाएगा, जिससे प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा।

फिर भी भविष्य के बारे में अन्तः प्रज्ञा एक निश्चित्तता जैसी महसूस हो सकती है क्योंकि वर्तमान तो इतनी अच्छी तरह से उपस्थित है। यह हमारे सामने हमारे चेहरे को घूर रहा है। विशेष रूप से बहुत चिंता के समय में, यह बहुत लुभावना भी हो सकता है - और बहुत खतरनाक भी - खुद को यह विश्वास दिलाना की भविष्य भी उतना ही स्पष्ट दिखने वाला है I

यह मानना कि भविष्य ज्ञात होने योग्य नहीं है , कुछ आराम दे सकता है , विशेषकर जब ऐसा लगता है कि दुनिया बिखर गई है। यह एक अराजक दुनिया में विनम्रता की एक खुराक भी प्रदान कर सकता है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता( artificial intelligence) जैसी नई तकनीकें परिवर्तन की गति को और तेज करती हैं और इसके प्रभावों का अनुमान लगाना और भी कठिन बना देती हैं। यहां तक कि कैसंड्रा( ऐसा पौराणिक व्यक्ति जो विनाश की भविष्यवाणी तो करता है पर उसकी बात मानी नहीं जाती) ) जो चरम घटनाओं का अनुमान लगाने में कामयाब होते हैं, वे आमतौर पर भाग्यशाली होते हैं, स्मार्ट नहीं; वे असंभावित परिदृश्यों( दृश्य योजना )को अधिक महत्व देते हैं और संभावित परिणामों पर निशाना चूक जाते हैं।

भविष्य की भविष्यवाणी करने के हमारे संघर्ष सिर्फ़ घटनाओं तक सीमित नहीं हैं। वे हमारी भावनाओं पर भी लागू होते हैं। पल की गर्मी में, हम आज अपने दुख पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और कल के लिए खुद को ढालने की अपनी क्षमता को कम आंकते हैं।

दर्द और दुख कभी भी स्थायी नहीं होते। वे समय के साथ विकसित होते हैं, और आदर्श रूप से वे हमें समझ बनाने, अर्थ खोजने और बदलाव को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। जैसा कि लेखिका और पॉडकास्टर नोरा मैकइनर्नी ने कहा, "हम दुख से आगे नहीं बढ़ते। हम दुख के साथ आगे बढ़ते हैं।"
अस्पष्ट नुकसान अंतिम संस्कार नहीं है। यह एक हिसाब है। गर्म चूल्हे को छूने की तरह, यह दर्द देता है ताकि हम इसके सबक न चूकें। आगे क्या होगा, इसकी चिंता हमें आत्मसंतुष्टि से बाहर निकलने में मदद कर सकती है।

ये हमारे लिए अस्थापित करने अथवा हिला देने वाला एहसास है कि हमारे पास भविष्य का पूर्वानुमान करने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि इसका अर्थ यह भी हो जाता है हमारा अपने भाग्य पर कोई नियंत्रण नहीं है।अच्छे से भी अच्छे समय में यह बात हमें अपने रुके हुए साँसों के साथ छोड देती है।पर विपरीत से भी विपरीत स्थितियों में, अनिश्चित्तता को गले लगाना या अपनाना, मुक्तिदायक साबित हो जाता है।ये हमें याद दिलाता है कि कितनी जल्दी हमारा भाग्य बदल सकता है।

मनन के लिए मूल प्रश्न : आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि विपरीत से विपरीत स्थितियों में अनिश्चित्तता को अपनाना मुक्तिदायक साबित हो जाता है?
क्या आप उस समय की अपनी एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं कि जब आप अपनी वर्त्तमान की व्यथा से आगे उबर पाए थे ,अपनी भविष्य को अपनाने की क्षमता पर विश्वास के साथ?
आपको यह बात याद रखने में कि कितनी जल्दी से आपका भविष्य बदल सकता है , किस चीज़ से मदद मिलती है ?


 

Adam Grant is an organizational psychologist, best-selling author, professor at Wharton Business School. Excerpted from here.


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