“हम फूल उपहार में क्यों भेजते हैं?” अलीशा गॉर्डर के द्वारा
हम फूल उपहार में क्यों भेजते हैं? अमूर्तता की भावनाओं (ऐसा कुछ , जिसे हमारी इंद्रियों के द्वारा जाना या समझा न जा सके, ) की भरपाई करने के लिए? वे भावनाएँ जिन्हें हम अपने हाथों में पकड़ भी नहीं सकते और अपने प्रियजनों को उपहार के रूप में भी नहीं दे सकते? और ऐसा क्यों है कि हम जो भी चुनते हैं - दर्जन भर लाल गुलाब, सुगंधित सफ़ेद लिली, लंबे तने वाले फ़्रेंच ट्यूलिप - इतने नश्वर होते हैं? उन्हें बहुत लंबे समय तक अपने पास रखने से मुरझाई हुई पंखुड़ियों , पराग और बदबूदार पानी की गंदगी ही हमें मिलती है।
अपने प्रियतम की मौत के बाद, मैं अपने आपको संभालने की कोशिश में जुट गई। मैंने चिट्ठियाँ लिखीं और उन्हें जला दिया। मैं एक थेरेपिस्ट के पास गई, फिर दूसरे के पास। मैंने योग किया और ध्यान करने की कोशिश की। मैं कोलोराडो चली गई, फिर ओरेगन। मैं बहुत सी जगहों पर गई और हर जगह उसकी यादों को अपने अपने साथ ले गई। मैंने अपने में बहुत कुछ पकड़ के रखा है।
यह एक तस्वीर है जो मैंने कॉलेज जाने से कुछ दिन पहले, उसकी मृत्यु से दो महीने पहले ली थी। वह गर्मियों का मौसम था जब हम बैठक के फर्श पर बैठकर चिप्स और गुआकामोल(मसले हुए एवोकाडो, टमाटर, मेयोनेज़ और मसाले का मिश्रण )डिनर का आनंद ले रहे थे। वह किचन में सफ़ेद टी-शर्ट और जींस पहने खड़ा है, उसके हाथ में एक एवोकैडो का आधा हिस्सा है। उसका चेहरा कैमरे से छिपा हुआ है, लेकिन मुझे लगता है कि वह मुस्कुरा रहा था ।
मुझे वो गाना याद है जो हम सुन रहे थे, स्क्रीन डोर से टर्र-टर्र करते मेंढक की आवाज़, और लकड़ी पर मेरे नंगे पैर। वह अनमोल पल इस तथ्य से और भी अनमोल हो गए कि वे आ भी चुके थे और चले भी गए हैं।
अब मैं महीनों को मौसम के आधार पर गिनता हूँ : जुलाई में सूरजमुखी, अगस्त में डहेलिया, अक्टूबर में गुलाब और मेपल, दिसंबर में पाइन, मार्च में हायसंथ, और मई में भीड़ की पसंदीदा पिओनीज़।
मेरा पसंदीदा ट्यूलिप मैगनोलिया है, जिस तरह से इसकी कलियाँ खिलती हैं और नीचे लॉन पर रंगों की एक झड़ी बन जाती हैं, यह सब कुछ हफ़्तों में ही हो जाता है जब चेरी के फूल गिर रहे होते हैं। नश्वरता(नाश होने की अवस्था) कितनी आश्चर्यजनक रूप से सुंदर हो सकती है।
चिंतन के लिए बीज प्रश्न: आप इस धारणा से कैसे संबंधित हैं कि जीवन की अनित्य प्रकृति ( नाश होने एवं फिर से जन्म लेने वाली प्रकृति ) ही इसे मूल्यवान बनाती है? क्या आप किसी ऐसे समय की व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने जीवन की इस अनित्य प्रकृति कोई समझा हो, उसके मूल्य को पहचाना हो एवं उसे पूर्णतः किया स्वीकार हो ? जो जीवन है वह नश्वर है, क्षणभंगुर है और अनित्य है, आपको ऐसा स्वीकाराने में किस चीज़ से मदद मिलती है?