Achieving Peace


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“शांति प्राप्त करना”

ए. टी. अरियारत्ने के द्वारा



जब व्यक्ति में आंतरिक शांति नहीं होती, तो घरेलू सदभाव प्रभावित होता है। जब घरेलू सदभाव खत्म हो जाता है, तो पड़ोसियों के बीच में भी शांति खत्म हो जाती है। इस तरह, जब व्यक्ति की आंतरिक शांति खो जाती है, तो परिवार, पड़ोस, देश और दुनिया भी अपना शांतिपूर्ण माहौल खोने लगती है। मन की शांति की कमी वाले व्यक्ति और समूह राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म, राजनीति, नैतिकता, समुदाय, उच्च स्थिति, निम्न पद आदि से चिपके रहते हैं और अपराध, आतंकवाद और युद्ध जैसे असामाजिक कृत्यों में लिप्त हो जाते हैं।

हमारा मानना है कि शांति प्राप्त करने का एकमात्र तरीका व्यक्तिगत और सामूहिक आंतरिक शांति विकसित करना है। भावनाओं से भरे भाषणों, नारे लगाने वाली रैलियों, हथियारों का इस्तेमाल, एक-दूसरे पर दोषारोपण, या तो भीड़ की भावनाएं भड़काने से शांति हासिल करना संभव नहीं है। न तो क्रोध और द्वेष से कलंकित दिमाग, न ही लोगों पर राजनीतिक समझौते लादने से शांति आएगी। नफरत को नफरत से दूर नहीं किया जा सकता. युद्ध शांति का मार्ग नहीं है. "शस्त्रधारी शस्त्र से ही नष्ट हो जाते हैं।" हमारे मन में एक अद्भुत क्षमता और शक्ति है - उचित दिशा में विचार करने से आत्म-संयम प्राप्त करने में मदद मिलती हैं।

एक पूर्ण- विकसित मन , जो पंचेन्द्रियों के कर्मक्षेत्र के अधीन न हो , जो सही दिशा से अलग न जाता हो, जो अनचाहे प्रभाव के वश में न आ जाता हो, और अंततः अपने निजी जीवन मे कामयाब हो जाता हो, एवं अन्य लोगों में शांति प्रदान करने लग जाता हो, ये सभी कुछ ध्यान की प्रक्रिया से हासिल हो जाता है | जिन व्यक्तियों ने ध्यान प्रक्रिया द्वारा अपने मन को विकसित कर लिया है , वे हमेशा एक सही मनो:स्थिति में होते हैं , और उनके शुद्ध विचारों से जो अध्यात्मिक आभा फैलती है , वो औरों को भी प्रभावित करती है |

हमें व्यक्तिगत रूप से, परिवार के रूप में और समुदाय के सदस्यों के रूप में सफल जीवन जीने के लिए प्रतिदिन कुछ समय ध्यान के लिए निकालना चाहिए। ध्यान से रहित जीवन पंचेन्द्रिय क्रियाकलापों(गतिविधि) तक सीमित है और उसमें सार नहीं है। यह ऐसा जीवन है जो न तो स्वयं का भला करता है और न ही समाज का। यह केवल दुख लाता है। जब बहुत बड़ी संख्या में लोग मन और शरीर के धैर्य के साथ एकत्रित होते हैं और ध्यान-भ्रमण और सामूहिक शांति ध्यान में संलग्न होते हैं, तो उत्पन्न आध्यात्मिक ऊर्जा की शक्ति हमारे मन को शांत और स्थिर बनाती है। यह हमें लालच के विचारों से दूर होने, निस्वार्थ सेवा के विचारों को विकसित करने, घृणा करना छोड़ने और सभी के प्रति प्रेमपूर्ण दया भाव रखने में मदद करता है; सीमित, स्वार्थी अस्वास्थ्यकर विचारों को नष्ट करने और इस तरह मन को बेजोड़ (अतुल्य) ज्ञान का प्राप्तकर्ता बनाने में मदद करता है।



मनन के लिए मूल प्रश्न:
- शांति प्राप्त करना आपके लिए क्या मायने रखता है?
- क्या आप किसी ऐसे समय की व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने शांति महसूस की हो?
- व्यक्तिगत और सामूहिक आंतरिक शांति विकसित करने में आपको किस से मदद मिलती है?
 

A. T. Ariyaratne was a Sri Lankan activist, founder and President of the Sarvodaya Shramadana movement.


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