कक्षा में भलाई, अनुग्रह (Grace)
फ्रांसिस सु के द्वारा
मैं अपने छात्रों को यह बताना चाहता हूँ कि उनकी योग्यता मेरी कक्षा में उनके द्वारा प्राप्त क्रम ( grade) पर निर्भर नहीं करती है। बेशक, मैं अपने सी ग्रेड के छात्रों पर वही ध्यान देना चाहता हूँ जो मेरे ए ग्रेड के छात्रों को देता हूँ। लेकिन अगर मैं खुद के साथ वास्तव में ईमानदार हूँ, तो मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मुझे ए ग्रेड के छात्रों से बात करना पसंद है, क्योंकि वे "समझते हैं" ... वे पहले से ही वही भाषा बोलते हैं।
लेकिन एक शिक्षक के रूप में मेरे लिए क्या श्रेय है, अगर मैं केवल उन छात्रों की पुष्टि करता हूँ जो पहले से ही "समझ" चुके हैं? कक्षा में अच्छे प्रश्न पूछने वाले छात्र की पुष्टि करना आसान है, लेकिन मुझे इस बारे में सोचना चाहिए कि मैं संघर्षरत छात्र के प्रश्नों की पुष्टि कैसे कर सकता हूँ। या जो एक अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (background) से आता है। या जिसकी शिक्षा प्रणाली ने उसे वे साधन प्रदान नहीं किए जिनकी उसे आवश्यकता है। मैं इन छात्रों की पुष्टि कैसे कर सकता हूँ?
मैं उन्हें यह बताना पसंद करता हूँ कि संघर्ष ही सबसे दिलचस्प जगह है: क्योंकि स्वस्थ उलझन (confusion) ही वह जगह है जहाँ वास्तविक सीख शुरू होती है। जीवन की तरह ही, सबसे सार्थक सबक तब सीखे जाते हैं जब हमारे कष्ट और संघर्ष सबसे अधिक होते हैं।
लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ: मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि भलाई (grace) करना मेरे छात्रों को उनके अपने बारे में अच्छा महसूस कराने का तरीक़ा है। मैं यह कह रहा हूँ कि इससे उन्हें अपने बारे में सही समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। इसलिए अगर मेरे छात्रों को यह पता है कि मैंने उन्हें एक गरिमा (dignity) दी है जो उनके प्रदर्शन ( performance) से अलग है, तो मैं उनके प्रदर्शन के बारे में उनके साथ ईमानदारी से बातचीत कर सकता हूँ। मैं उनके काम का न्यायोचित और शालीनता से मूल्यांकन कर सकता हूँ। वास्तव में, किसी छात्र को अनुत्तीर्ण (fail) करते समय भी ग्रेस प्रदान किया जा सकता है, ताकि छात्र समझ सके कि भले ही उसके काम का न्यायोचित मूल्यांकन किया गया हो, फिर भी उसकी गरिमा को ठेस नहीं पहुँची है --- ठीक वैसे ही जैसे एक अभिभावक अपने बच्चे को अनुशासित कर सकता है यदि बच्चा जानता है कि उसका प्यार बिना किसी शर्त के है। ग्रेस ही वह चीज़ है जो लोगों के बीच कठिन बातचीत को संभव और फलदायक बनाती है। लेकिन आपको पहले ग्रेस प्रदान करना होगा।
मैं चाहता हूँ कि असफल होने वाला छात्र स्पष्ट रूप से समझे कि ग्रेड सिर्फ़ एक मूल्यांकन है, कोई सजा नहीं। मैं हर असफल छात्र से व्यक्तिगत रूप से मिलने की कोशिश करता हूँ, और मैं उनके ग्रेड और उनकी योग्यता के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से बताता हूँ। मैं अक्सर उन्हें प्रोत्साहन के ये स्पष्ट शब्द कहता हूँ: जबकि ग्रेड यह मापने का प्रयास करते हैं कि आपने क्या सीखा है, वे एक व्यक्ति के रूप में आपकी गरिमा को नहीं मापते हैं।
मनन के लिए मूल प्रश्न: आप इस धारणा से कैसे संबंधित हैं कि ग्रेस ही वह चीज है जो लोगों के बीच कठिन बातचीत को संभव और फलदायक बनाती है? क्या आप किसी ऐसे समय की व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जब आप किसी ऐसे व्यक्ति की गरिमा की पुष्टि करने में सक्षम थे जो अपने प्रयास में सफल नहीं हो रहा था? जो लोग अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं उनकी गरिमा का सम्मान करने में आपको किससे मदद मिलती है?
Excerpted from here.