कृतज्ञता सोचने की प्रक्रिया से पहले आ जाती है द्वारा ब्रोदर डेविड स्तेंद्ल - रास्त
मेरा विश्व के प्रति नज़रिया क्या है? मेरी भविष्य की उम्मीद क्या है ? ये प्रसंग थोडा बड़ा प्रतीत होता है| मुझे कुछ छोटी चीज़ से शुरूआत करने दें - जैसे कि कौवे |वे मेरे विशिस्ट मित्र हैं|अब जैसे ही मैं ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, उन , नियमित आने वाले तीन कौवों में से एक, थोडा शर्मीला सा, उन छोटे दानों को चबा रहा है जो मैंने उनके लिए रखे हैं| ये वाक्या मुझे रोबर्ट फ्रॉस्ट की एक कविता की याद दिलाता है, जो शायद हमारे आगे के विश्व के प्रति नजरिये एवं भविष्य की उम्मीद तक पहुँचने का रास्ता , अगर कोई है, को दर्शाता है|
जिस तरह एक कौवे ने
एक बड़े पेड़ से थोडा हिला के,
बर्फ की धूल को
मेरे उपर गिराया
उसने मेरे ह्रदय को
एक नया मिज़ाज दे दिया
और मेरे उदासी भरे दिन को,
और उदासी से बचा लिया |
अवश्य ही आपको भी अपना एक ऐसा ही अनुभव याद आया होगा, जब एक अजीब सी छोटी से घटना ने आपके चेहरे पे मुस्कान ला दी होगी, आपका मिजाज बदल दिया होगा और अचानक आपको दुनिया प्रकाशमय दिखने लग गई होगी| अगर ऐसा आपके साथ हुआ है, तो ये माने कि बड़े नतीजों की अक्समात होने के कारणों की कुंजी आपके हाथ में है : अपनी सोच को थोडा बदलते ही आपका दुनिया को देखने का नजरिया बदल जायेगा, और उससे आपके कार्य करने का तरीका भी बदल जायेगा| जब कवि रोबर्ट फ्रॉस्ट ये दावा करते हैं कि उस कौवे की हरकत ने उनकी उदासी भरे दिन को या पछतावा कर रहे दिन को, और उदास होने से बचा लिया, वे अपने पूर्ण मन से ह्रदय परिवर्तन की बात कर रहे थे | जब वो घर पहुंचे होंगे तो अवश्य ही उन्होंने श्रीमती फ्रॉस्ट का बेहतर मिज़ाज से अभिनन्दन किया होगा, और ये शायद उस कौवे की उस छोटी से टोक से ही हुआ होगा| और ये बताने कि आवश्यकता नहीं कि उस अच्छे अभिनन्दन ने श्रीमती फ्रॉस्ट पर कैसा असर किया होगा, किस तरह से उन्होंने अपने कुत्ते से प्यार पूर्ण व्यवहार किया हिगा, या किस तरह से उन्होंने अपने पडोसी से प्रेम /दया पूर्वक बात की होगी|
पर उस ख़ुशी पूर्ण बर्ताव के सिलसिले को सही में किस चीज़ ने चालू कराया ? कवि फ्रॉस्ट के ह्रदय के मिज़ाज को “ ख़ुशी पूर्ण बदलाव” किस बात से मिला? आप अपने आपको उस पेड़ के नीचे झुके हुए , दबे से, बैठे हुए की कल्पना कीजिये | और अपने ऊपर अचानक गिरती बर्फ की धुल गिरते हुए महसूस कीजिये| क्या आपको उसने अपनी खराब मिज़ाजी से जगा दिया? इस प्रकार की रोक शायद आपको क्रोध भी दिला सकती है अगर आप अपनी समस्याओं से उलझे रहने की जिद पकड़ रखे होंगें|
पर - आश्चर्य – उस ठंडी फुहार ने आपको अपने को अपने में ही समेटे हुए मन में से अकस्मात् बाहर निकल लिया और समक्ष कर दिया उस पेड़ के, उस कौवे के, बर्फ की फुहार को अपने गर्दन पे | और ये लीजिये ! एक बचाने वाला मिज़ाज का बदलाव| औए जिस चीज़ ने इस बदलाव को अंजाम दिया वो है कृतज्ञता |
कृतज्ञता ? मैं सुन रहा हूँ आप सब को इस बात को नहीं मानते हुए | मैं मानता हूँ कि कवि फ्रॉस्ट ने उस कौवे को धयवाद करने का मन नहीं बनाया होगा | पर शायद कृतज्ञता सिर्फ धन्यवाद देने से कहीं ऊपर है| धन्यवाद देना दिमाग से सोचते समय आता है | कृतज्ञता सोचने से पहले आ जाती है, - उस सूक्ष्म अंतराल में, बर्फ की धूल को गिरने , और आपका उस के बारे में दिमाग से सोचने के बीच में | ये हमारे ह्रदय का प्राकृतिक एवं स्वाभाविक जवाब है जब हमें कोई चीज़ बिना किसी कारण से अचानक दी जाती है | इस कृतज्ञता से उर्जा उत्पन्न होती है | हमारे दिमाग में विचार आने के पहले के उस सूक्ष्म विलम्ब में, ज्ञान की एक शातिशाली तरंग निकलती है और वो विचार से भी ऊँची है जो हमारे ऊपर हावी हो जाता है| हम अपने विचारों की क्षमता को एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, उस जागृत बोध को उजागर करने में जो संसार को निरंतर आगे बढाती है और निर्वाह भी करती है| अगर हम अपने आपको मन पूर्वक , इस सूक्ष्म शक्ति की ओर खोल सकते हैं, उसमे वो शक्ति है, जो उसको भी बदल सकती है, जो उसकी धारा में न भी हो | कृतज्ञता अपनी सोच को उस लौकिक ज्ञान की धारा में सोचने की प्रक्रिया है, जो हमें कृतज्ञता पूर्ण लम्हों की ओर उकसाती है| और ये शायद हमारे मिज़ाज को ही नहीं, पूरे संसार को बदला सकता है|
मनन के लिए मूल प्रश्न : आपके लिए कृतज्ञता क्या मायने रखती है? क्या आप अपनी एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आप सोचने के पहले आई हुई कृतज्ञता के प्रति जागरूक हुए हों ? आपको कृतज्ञता में बढ़ने में किस चीज़ से सहायता मिलती है?