बड़े अभ्यास के पूर्व का अभ्यास , द्वारा मार्क नेपो
हम जिस क्षण से अपनी ऑंखें खोलते हैं, हम मक़सद तलाशते प्राणी होते हैं , उसे तलाशते हैं, जो हमारे लिए मायने रखता है, हालाँकि जो सही में मायने रखता है, उसे हम अपने अन्दर की गहराई में समाये होते हैं| और जिस समझ पर हम अत्याधिक मेहनत से पहुँच पाते हैं , उससे कहीं ज्यादा, और जो अनुभव हम अपने आदर्शों और मान्यताओं के द्वारा हासिल कर पाते हैं, उससे भी कहीं ज्यादा, यह मायने रखता हैं कि हम इस अद्भुत संपूर्ण जीवन से कैसा रिश्ता रखते हैं, और ये ही रिश्ता हमें ‘जीवंत “ (alive) बनाता है और “ जीवंत “ ( alive) रखता है | सभी को यह प्राथमिक जानकारी होती है कि जीवन उलझा हुआ है, दर्दभरा है, सुन्दर है और अनुमानित नहीं है| जो न खत्म होने वाला अभ्यास है वो यह है, हम अपने ह्रदय को उसकी सम्पूर्णता में खुला रखें| “ जिसे बनने के लिए हम पैदा हुए थे “, की यात्रा कभी ख़त्म नहीं होती| ये असीमित है, अनंत है| हम कहीं पहुंचते नहीं हैं, हम अंकुरित होते हैं|
मैं ये मानता हूँ, और मेरा ह्रदय भी इस धारणा को समर्पित है कि अध्यात्मिकता, हमारी आत्मा के इस धरती पर निवास को सुनने का एक प्रयास है , और उसी मे जीने की एक प्रक्रिया है | एक व्यक्ति का आत्मयिक जीवन , चाहे वह किसी भी राह को चुने, इस बात को अपनाने से शुरू होता है , कि वो अपने से भी वृहद् चीज़ का हिस्सा है| यह जानने की तृष्णा कि हम वास्तव में कौन हैं, और हमारे अस्तित्व कि सच्चाई क्या है, और हमारा इस जीवंत विश्व से क्या रिश्ता है, मेरे हिसाब से, वो जीवन प्रदान करने वाला मूल प्रश्न है, जिसे हमारा ह्रदय तब अपनाने लगता है, जब वो ह्रदय अथाह प्रेम अथवा अथाह दुःख द्वारा पूर्णता से खुल जाता है|आध्यात्मिकता अथवा हमारा आतंरिक विकास इस बात का ही परिमाण है कि हम अपने वास्तविक अस्तित्व की ओर कैसे बढ़ते हैं, या धकेले जाते हैं | किसी भी अध्यात्मिक परंपरा के मध्य में ये प्रश्न वास करते हैं: हमारे लिए जो मायने रखता है उसको बिना छोड़े अपना जीवन कैसे जीयें , और क्या हमारे जागृत जीवन जीने का कोई मूल्य भी है , अगर हम , जो मायने रखता है, उसको इस विश्व में नहीं ला पाते? हालाँकि प्रत्येक राह एक प्रकार का आसरा प्रदान करती है, फिर भी प्रत्येक इंसान की यात्रा , अपने आप के व्यक्तिपन द्वारा , इस बात कि खोज की यात्रा है, कि उनका जीवंत रिश्ता अपनी आत्मा एवं इस संसार के मध्य में कैसा है, उनका रिश्ता अपने होने में एवं अपने अनुभव के मध्य में कैसा है, एवं उनका रिश्ता प्रेम एवं सेवा के मध्य में कैसा है|
प्रत्येक प्राणी के पास एक अद्भुत , अथाह उपहार है, जो सिर्फ जीवन को सीधे मष्तिष्क एवं सीधे ह्रदय पूर्वक जीने से उजागर होता है| और हम अपने इस उपहार को अकेले नहों जान सकते| हमें एक दुसरे की आवश्यकता है इस उपहार को खोजने के लिए, उसमे विश्वास करने के लिए| और उसके पश्चात् , उसका इस्तेमाल करने के लिए| हम मे से प्रत्येक के लिए चुनौती है तो सिर्फ इस बात की, कि हम अपने इस उपहार को खंडित न करें , दूसरों की उपेक्षा के कारण| और न ही हम अपने इस उपहार को इस लिए त्याग दें क्योंकि हमें अन्य कई प्रकार के वजन मजबूरन उठाने पड़ रहे हैं| मेरी अपनी आशा है कि हम अपने इस वास्तविक अस्तित्व को और अच्छी तरह जान पाएंगे, और अपने गुणों की गहराई बेहतर जान पाएंगे , अपने आप से बात करके, अपने ह्रदय की गहरायी में जा कर, उसको खुलता हुआ पा कर| इसके साथ ही यह भी जान पाएंगे कि हम इस जीवन में फिर से विश्वास कैसे हासिल कर सकते हैं, जब दुःख दर्द हमें अपने रास्ते से भटका चूका होता है | हम जीवन को हाँ कहने का कार्य कैसे शुरू कर सकते हैं ताकि वो हमें जीवंत (alive) बना सके | और हम कैसे अपने आतंरिक मन को एक संसाधन बना सकें , एक शरण स्थान के बजाए|
हरदम ही बड़े अभ्यास से पूर्व का एक अभ्यास होता है : एक बड़े अबोध्य ( समझ से परे) के सामने, इतनी देर तक बैठना , जिससे महसूस हो सके और कभी कभी समझ में भी आ सके , प्रत्येक यन्त्र एवं कृति का रहस्य एवं मर्म, और उसके हमारे जीवन में आने का कारण|
जापान में, इसके पहले कि एक कारीगर मिटटी में अपने हाथ सान्न सके ओर पॉटरी के पहिये को घुमा सके, उसे वर्षों तक अनुभवी कारीगर को यह कार्य करते देखना होता है| हवाई ( Hawaai) में किसी भी नवयुवक को एक नाव को छुने से पहले , उसे अपने पूर्वजों की ऊँची पहाड़ी पर बैठ कर , सामने नदी को निहारना होता है| अफ्रीका में , इसके पहले कि बच्चों को ढ़ोल बजाने दिया जाये, उन्हें काफी समय तक उस लकड़ी के ऊपर लगे चमड़े को सहलाना होता है और उस जानवर को चित्रित करना होता है जिसका ह्रदय उन बच्चों के हाथों को दिशा देगा| विएना ( Vienna) में, सीखने वाले को , पियानो को छुने से भी पहले , पियानो बनाने वाले के पास जा कर यह देखना होता है , कि उस यंत्र कि चाबियाँ (keys) कैसे काटी गई हैं और सजाई गई हैं| और स्विट्ज़रलैंड ( Switzerland) में ऐसी कहावत है कि , इसके पहले कि वो अनुभवी कारीगर बन सके और घड़ियों के पहियों को जोड़ सके , उसे लम्बे समय तक बैठ कर गुजरते समय को अनुभव करना होता है|
इस प्रकार शुरू करने से , उस प्रक्रिया के प्रति एक प्रेम का अनुभव होता है जो जीवन - प्रदायक होता है| अनुभवी सल्लो वादक पाब्लो केसल्स ( Pablo Casals) , जब वो ९२ वर्ष के थे , से पुछा गया कि इस उम्र में भी वो ४ घंटे नित्य अभ्यास क्यों करते हैं, तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा “ क्योंकि मुझे लगता है मैं इसमें प्रगति कर रहा हूँ|”
इसी प्रकार का गहन विकास ही है जो हमें बचाता है|
मनन के लिए मूल प्रश्न : आप बड़े अभ्यास के पूर्व के अभ्यास की धारणा से कैसा नाता रखते हैं ?क्या आप अपना एक अनुभव साझा कर सकते हैं जो आपको “बड़े अभ्यास के पूर्व के अभ्यास” का हुआ हो? आपको गहन विकास मे जाने में किस चीज़ से सहायता मिलती है ?