पीड़ा हमारी प्रेम करने की क्षमता को विस्तार पूर्वक खोलती है, द्वारा निकोल लिम
नित्य दिन , मेरे दैनिक कार्य में मुझे घोर अत्याचार की नरकीय वास्तविकता को देखने मिलती है | जो हमारी पुत्रियाँ उस जगह पर रह कर सहती हैं उसे ना ही कोई शब्द , ना ही कोई छवि व्यक्त कर सकती है | उस भावनात्मक संकट , उस मनोवैज्ञानिक पीड़ा, एवं ह्रदय वितरक दर्द को कुछ भी व्यक्त नहीं कर सकता है | जब भी मुझे यह लगता है कि मैं इस हिंसक नाइंसाफ़ी से निकल जाऊं , मुझे उन पुत्रियों की कहानियों की याद आ जाता है| वो उत्तरजीवी, जो हार मानने को ना कहते हैं, प्रति दिन नया जीवन जीते हैं – स्नेहपूर्वक, अपने आप को, अपने करुणामयी रवैये से ,दूसरों की हिमायत में लगाते हैं, और दूसरों की पढाई के स्वपनों में लगाते हैं , वो भी उन सबके लिए, जो की उन जैसे ही हैं| उनके मेरे साथ बांटे गए अनुभव ही मुझे नवीनतम दिन की ओर जीने की आशा देते हैं, उस आवाज़ के पीछे फिर एक बार जाने के लिए, जो उनके लिए न्याय का रास्ता है|
यह यात्रा प्रेम को सीखने की यात्रा है और प्रेम कैसे करना है, मेरे उत्तरजीवी के समुदाय मुझे सीखाते हैं | जब शब्द हमारे ह्रदय की पीड़ा को व्यक्त नहीं कर पाते , तब हम नाचते थे, गाते थे, हम रोते थे, हम हँसते थे, हम आपने आप को याद दिलाते थे ,उस अंदरूनी खूबसूरती की, जो हम एक दुसरे में देखते थे| मैंने देखा कि वो अपने पूर्व में बर्दाश्त किये दर्द की तस्वीर दिखाने के बजाय, वो उन पुनः व्यक्त कहानियों के मध्य में दिखती हैं, उन कहानियों में , जो उनके निडर सपनो से भरी हैं| जब भी अपने सपनों को पुनः जीने का मौका मिला है, हमने यह देखा है कि हमारी अपूर्णता छुपाने की चीज़ नहीं है - बल्कि एक खूबसूरत वस्तु की तरह अनावृत करने योग्य है|
मेरे ह्रदय में व्याप्त शोक के हर मोड़ पे, जब भी मेरी आत्मा, एक न वापस आने की स्थिति तक टूट गयी थी , एक ऐसा अनुभव आया जिसने उसे वापस जोड़ दिया | उस अनुभव ने मुखे याद दिलाया के ये उत्तरजीवी ही वो मार्गदर्शक हैं जिनका मुझे इंतज़ार था|मुझे यह स्पष्ट समझ में आ गया कि ये सताए गए व्यक्ति ही वो हैं जो हमें मुक्त अवस्था तक ले जायेंगे| अपनी कहानियों के माध्यम से , अपनी प्रज्ञा के माध्यम से, अपने पीड़ा के अनुभव के माध्यम से, और अपने उत्कृष्ट प्रेम के स्वरुप के माध्यम से, उन उत्तरजीवियों में वो सक्षमता है जिससे वो हमारे मध्य में सबसे बड़े मार्गदर्शक बन सकें|
मैंने सीखा है कि पूर्ण उपचार (healing) बहुत ही अनपेक्षित स्थानों में छुपा होता है | ये छुपा होता है टूटेपन में, पीड़ा में, मायूसी में, दुःख में, क्योंकि ये ही वो जगहें हैं जहाँ अत्यधिक प्रेम की आवश्यकता होती है|जैसे की रौशनी अन्धकार के साथ साथ वास करती है ताकि तसवीरें छप सकें, उसी तरह हमारी दृष्टि को बिलकुल विपरीत प्रतीत होने वाले गुणों, में ही शक्ति है, जो हमारे हृदय को विस्तार पूर्वक खोल सके|
पीड़ा हमारे आनंद की क्षमता को विस्तारपूर्वक खोल देती है, और साथ ही में हमारे ह्रदय की उस शक्ति को गहरा और ऊँचा कर देती है, जो पीड़ा और आनंद दोनों के वृहद् विस्तार को एक साथ महसूस कर सके| बिना पीड़ा के अनुभव को जाने , हमें आनंद के अनुभव का भी पता नहीं चलता | मुझे यह पता नहीं था कि अप्रतिबंधित खिलखिलाहट कैसी होती है, जब तक की मैं यह नहीं देख पाया कि वो उत्तरजीवी समुदाय , जिन्होंने कितनी पीड़ा अनुभव की है, और फिर भी वो खिलखिला कर, किस स्वतंत्रता से हंस सकते हैं|
उस समुदाय ने मुझे सिखाया की आनंद का अनुभव कैसे किया जाता है, खूबसूरती कैसे देखी जा सकती है, कैसे आशा को अपने जीने का हिस्सा बनाया जा सकता है, और कैसे अपने आप को प्रेम में विस्तार पूर्वक खोला जा सकता है , उन तरीकों से, जिनका मुझे इसके पहले ज्ञान नहीं था|
मनन के लिए मूल प्रश्न: आप उस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि हमारी अपूर्णता छुपाने की चीज़ नहीं है बल्कि एक खूबसूरत वस्तु की तरह अनावृत करने योग्य है ? क्या आप उस समय की अपनी एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं , जब पीड़ा ने आपकी आनंद महसूस करने की क्षमता को बढ़ा दिया हो? प्रेम में विस्तार पूर्वक खुलने में आपको किस चीज़ से सहायता मिलती है?