खड़े होने से पहले आपको डगमगाना होगा
- रोजर एस कीज़ के द्वारा
होकुसाई कहते हैं सावधानी से देखो।
वह कहते हैं ध्यान दो, अवलोकन करो ।
वह कहते हैं देखते रहो, जिज्ञासु बने रहो।
वह कहते हैं कि देखने का कोई अंत नहीं है।
वह कहते हैं कि बूढ़े होने की ख़ुशी से प्रतीक्षा करें।
वो कहते है बदलते रहो,
आप बस और अधिक हों, जो आप वास्तव में हैं।
वह कहते हैं अटक गए , इसे स्वीकार करो,
जब तक यह दिलचस्प है तब तक अपने आप को दोहराएं।
वह कहते हैं कि आप वह करते रहे जिसे आप प्यार करते हैं।
वह कहते हैं कि प्रार्थना करते रहो।
वह कहते हैं कि हम में से हर कोई एक बच्चा है,
हम सब प्राचीन हैं,
हममें से प्रत्येक के पास एक शरीर है।
वह कहते हैं कि हम सभी डरे हुए हैं।
वह कहते हैं हम सब को ,
डर के साथ जीने का तरीका खोजना होगा।
वह कहते हैं कि सब कुछ जीवित है-
शंख, इमारतें, लोग, मछली,
पहाड़, पेड़, लकड़ी जिंदा है।
जल जीवित है।
हर चीज का अपना जीवन होता है।
सब कुछ हमारे अंदर रहता है।
वह कहते हैं कि अपने अंदर की दुनिया के साथ जियो।
वह कहते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप चित्रकारी करते हैं,
या किताबें लिखते हैं , कोई फर्क नहीं पड़ता कि
अगर आप लकड़ीयाँ काटते हो या मछली पकड़ने वाले हो।
कोई बात नहीं की आप घर पर बैठे हो
और अपने बरामदे में घूर रहे हो चींटियों को ,
या पेड़ों की छाया
और आपके बगीचे में उगी घास को ।
यह मायने रखता है कि आप परवाह करते हैं।
यह मायने रखता है कि आप महसूस करते हैं।
यह मायने रखता है कि आप नोटिस करते हैं।
यह मायने रखता है कि जीवन आपके माध्यम से रहता है।
संतोष आपके माध्यम से जीने वाला जीवन है।
आनंद आपके माध्यम से जीने वाला जीवन है।
संतोष और शक्ति आपके माध्यम से जीवन जी रहे हैं ।
शांति आपके माध्यम से जीने वाला जीवन है।
वह कहते हैं कि डरो मत।
डरो मत
देखो, महसूस करो, अपने आप को जीवन के हाथों में सौंप दो ।
जीवन को अपने द्वारा जीने दो।
विचार के लिए बीज प्रश्न: आप इस धारणा से क्या समझते हैं कि हम में से प्रत्येक बच्चा है और प्राचीन भी है? क्या आप कोईव्यक्तिगत अनुभव साझा कर सकते हैं जब आपको पता चला कि सब कुछ आपके अंदर रहता है? अपने आप को जीवन के हाथों में सौंप देने में आपको क्या मदद करता है?