“अच्छी हड्डियाँ , पानी धकेलते हुए|” द्वारा कैरी न्यू कोमर
हमारे घर पर , इस हफ्ते, थोड़ी पानी की किल्लत हुई| चूँकि जो टूटन थी , वो दिवार के अन्दर से थी , इसलिए हमें सवेरे तक इसका पता नहीं चला कि नाली में रिसाव हुआ है, और जब तक मेरे पति ने देखा , काफी पानी स्नानघर में राखी अलमारी के नीचे इकट्ठा हो गया था| हमने फटाफट एक बिस्तर , जो उस दिवार से लगा हुआ था, बहार निकला , और थोडा आश्चर्य भी हुआ कि कितनी धूलऔर मलबा , किसी बिना हिलाय गए फर्नीचर के नीचे इकठ्ठा हो सकता है, और उसके बाद उस बहते हुए पानी को सोखने में लग गए| जो टूटन थी वो अभी तक बहुत बड़ी नहीं हुई थी|मैंने तौलिये एवं सुखाने वाली झाड़ू का इस्तेमाल करने की कोशिश की, पर धीरे धीरे वो रिसाव एक धारा में बदल रहा था, और यह इस बात का सूचक था कि उस दीवार के अन्दर कुछ ऐसा था, जिसको हमें ध्यान देने की जरूरत थी|एक छोटा रिसाव एक बहुत बड़ी टूटन बन सकता है और उस से घर एवं मकान के ढांचे को भी गंभीर नुक्सान हो सकता है| और उसी वक़्त ज्ञानी लोग , अपने पूर्व निर्धारित दैनिक कार्यक्रम को दर किनार रख कर , रुक कर, पूरे पानी के स्त्रोत्र को बंद कर ,उस अप्रिय कार्य को शुरू कर देते हैं जिस से जो टूटा है एवं क्षतिग्रस्त है उसे फिर से सही किया जा सके|यद्यपि हमें उस दीवार को मरम्मत है एवं रंग रोगन करनी बाकी है , फिर भी हमने उस रिसाव की रोक दिया गया है और पानी आपूर्ति फिर से चालू कर दी है|
|ये कहानी वैसे तो नलसाजी (plumbing) , पाइपलाइन , एवं घर के मरम्मत की है|पर इस सन्दर्भ में एक उपमा याद आई, जब मैं ये अनुभव कर रही थी और सोच रही थी कि किस तरह मैंने अपनी निजी ज़िन्दगी में, कितनी बार , छोटे छोटे रिसाव को नज़र अंदाज़ किया है एवं कितनी बार अपनी आतंरिक आवाज़ को भी अनसुना कर दिया है| मैं ये भी सोच रही थी , कितनी बार अपने जीवन में मैंने रिसते हुए पानी को सिर्फ पीछे धकेलने की कोशिश की है, और उस समय की जब मैंने अपने जीवन की रफ़्तार को ना रोक कर उस पानी को देखने की कोशिश की हो, जो अलमारियों के नीचे रिस रहा था| कभी कभी मेरे पानी को पीछे धकेलने का प्रयास एक अतिश्रम लगने लगता था ( जो की हमारे रिवाजों की सबसे अधिक श्रधेय व्यसन लिप्तता है) या एक नि:स्वार्थ रूप है अपनी खुद की देखभाल नहीं करने का ( जो कि हमारे रिवाजों की एक श्रधेय अध्यात्मिक भ्रान्ति है)| ये हमेशा ऐसे लगते रहें हैं मानो ये एक जीवित रहने के अति युक्त तरीके हैं या ध्यान बटाने के तरीके हैं| हालाँकि हमारे पास पानी को वापस भेजने की कोशिशों के कई तरीके हैं, पर एक समय आता है जब कुछ भी क्यादा बच नहीं जाता सिवाय इसके कि पूरी दीवार को खोलें और असली समस्या के समाधान पे काम करने लग जाएँ |
मेरे घर के जैसे ही, हमारी अतिआवश्यक आत्मा के पास भी “अच्छी हड्डियाँ” हैं|हमारा जन्म ही, जैसा थॉमस मेरटन कहते हैं, “वास्तविक अस्तित्व “ के साथ हुआ है, और जिसे (quakers) “अंदरूनी रौशनी” कहते हैं| पर जीवन अपनी चाल चलता है,- सदमा, दुखद घटना, विच्छेद, बीमारी, शोक, जैसे बोझ ,जो धरोहर में हमें अपने पूर्वजों से प्राप्त है ; एक अन्याय और दयाहीनता, जो वर्षों तक गूंजती रही है| ये सारे अनुभवों ने अंदरूनी प्रणाली की हमारी अच्छी हड्डियों पर दबाव एवं तनाव बनाया है| इसमें कोई शक नहीं है की जीवन में कई ऐसे क्षण आते हैं जब हम गहरी नींद से जाग कर अपने अलमारियों के नीचे जमा हो रहे पानी को देख पाते हैं|ये भी सही है की कभी कभी प्रेम एवं देख्भाल से भी हमारे घाव भर जाते हैं और शायद पूरी दीवार खोलनी नहीं पड़ती|पर मेरे जीवन में ऐसे भी समय आये हैं जब मुझे अपनी अध्यात्मिक अच्छी हड्डियों पर भरोसा करते हुए, अपने अंदरूनी एवं बाहरी साधनों की मदद लेते हुए, उस उलझे हुए कार्य को उठाना पड़ा है जिसमे तनावग्रस्त एवं अत्यधिक दबाव वाले हिस्सों पे ध्यान देने की आवश्यकता थी| नई जाग्रति एवं घाव भरने की प्रक्रिया सर्व विद्यमान है और हमेशा संभव है| मुझे इसमें विश्वास है| पर जो तनावग्रस्त है या क्षति ग्रस्त है, उसपे काम करने की प्रक्रिया समय ले सकती है, और शायद अप्रिय एवं गन्दी भी हो सकती है |
मनन के लिए बीज प्रश्न| आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि छोटा रिसाव एक उपमा है, हमारे निरंतर चालित जीवन की , जिसमे हम समस्याओं के छोटे छोटे चिन्हों को नज़र अंदाज़ करते हैं जब तक की वो एक बड़ा संकट न बन जाये? क्या आप उस समय की निजी कहानी साझा करना चाहेंगे जब आप एक बहुत बड़ा, आता हुआ , संकट, एक छोटे से रिसाव में देख पाए हों? आपको अत्यधिक एवं अनावश्यक द्बोझ ग्रस्त समस्या के समाधान हेतु उस अप्रिय एवं गंदे कार्य करने में किस से सहायता मिलती है?