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मानवता पर दाँव,
-आयशा सिद्दीका के द्वारा
क्या हुआ अगर भविष्य कोमल है और क्रांति इतनी कृपालु है कि हमारा अंत अभी दिख नहीं रहा ।
सारे शहर सांस लेते हैं और पत्तों से किया गया वादा बदक़िस्मती से श्रेष्ठ है।
अपने अंत का सामना करना कठिन है।
भविष्य खिलवाड़ करता है, किसी से उसने वादा नहीं किया, जैसा कि उसका अधिकार है।
अन्याय के खिलाफ आक्रोश आवाज को और भी निर्मम बना देता है।
यदि भविष्य हमारे बिना चला जाता है, तो उसके बाद जो सन्नाटा होगा वह एक अकथनीय शून्य होगा।
क्या होगा अगर हम उसे रहने के लिए मना लें?
यह कितना दुर्लभ और सुंदर है कि हमारा अस्तित्व हैं।
क्या होगा अगर हम एक बार फिर सृष्टि को चौंका दें?
जब मैं उठूं, बिस्तर से बाहर आऊँ , मेरा सात साल का चचेरा भाई
उसके बिगड़े पेट के साथ चलता है मेरे साथ
उसके बाद मेरी दादी, चाची, मेरे अन्य चचेरे भाई आते हैं
और उनके पानी पीते हुए प्रचंड और बेक़ाबू आकार।
धरती सब कुछ याद रखती है,
हमारे शरीर पृथ्वी के रंग हैं और हम
नाचीज़ हैं।
इतने सारे सर्वनाशों के बाद भी जन्मे, एक और से क्या हो जाएगा ?
प्यार अभी भी एकमात्र प्रतिकार है। यह हर बार बढ़ता है जब पृथ्वी को आग लगा दी जाती है।
लेकिन जो इसके लायक है, मैं फिर से करूंगा।
मानवता पर सौ गुना अधिक दाँव
ज़िंदगी भर जीवन के लिए प्रतिबद्ध हो जाओ, जैसे जैसे पेड़ गिरते हैं, वो हमें भी अपने साथ ले जाते हैं।
मैं विलुप्तता में प्यार का अनुसरण ( के पीछे चलूँगा ) करूंगा।
प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न: आप इस धारणा से कैसे संबंधित हैं कि प्रेम ही एकमात्र प्रतिकार है? क्या आप उस समय की कोई व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने मानवता पर दाँव लगाया हो? 'ज़िंदगी भर जीवन' के लिए प्रतिबद्ध होने में आपको क्या मदद करता है?