“ एक नया ऊर्जा स्तोत्र स्थल “ जोनाथन हैरिस के द्वारा
कुछ साल पहले एक समारोह में, मुझे एक ज़बरदस्त प्रभावशाली शिक्षा मिली। मुझे कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में सोचने के लिए कहा गया था जिनके लिए मैं आभारी महसूस करता हूँ। बहुत सारे लोग, वस्तुएँ और परिस्थितियाँ तुरंत मेरे दिमाग में आ गईं।वास्तव में, मुझे कृतज्ञता की भावना को अपनाने के लिए आमंत्रित किया गया था, ताकि मैं इसके विशेष गुणों को बेहतर ढंग से समझ सकूँ और यह कि किस तरह से इसने मेरे पूरे अस्तित्व को प्रभावित किया है। फिर, मुझे कृतज्ञता की अंतर्निहित भावना को बनाए रखते हुए कृतज्ञता के प्रयोजन (उद्देश्य, लक्ष्य ) का त्याग करने के लिए कहा गया। उसके बाद जो बचा वह कृतज्ञता का शुद्धतम रूप था यानि उद्देश्य रहित कृतज्ञता की भावना - , "कृतज्ञता" की ही मूल आदर्श रुपी ऊर्जा ।
मुझे विश्वास हो गया है कि ये सभी चीजें ऐसी ही हैं। हम आदर्श रुपी मूल ऊर्जाओं के एक समुद्र में तैर रहे हैं जो बाहरी घटनाओं की दुनिया का निर्माण करने के लिए एक दूसरे के साथ बातचीत करती हैं, ठीक उसी तरह जैसे एक तंत्रिकाओं (nerve ) का समूह किसी अनुबोध/ संकेत के जवाब में एक काल्पनिक छवि प्रदान करता है । हमें ऐसा लगता है कि ये बाहरी वस्तुएँ हमारी आंतरिक भावनाओं का कारण बनती हैं ( यह मनुष्य मुझे पागल बनाता है, यह कि सूर्यास्त मुझे ख़ुशी देता है), लेकिन वास्तव में हमारी आतंरिक भावनाएं एक गहरी अंतर्निहित वास्तविकता की अभिव्यक्तियाँ हैं: जैसे कृतज्ञता, भय, आनंद, उदासी और प्रेम जैसी आदर्श शक्तियों का एक क्षेत्र , जो सभी जीव एक दूसरे के साथ मिलकर , प्रत्येक जीवित अनुभव की इन अदभुत विशेषताओं का निर्माण करते हैं।
ये आदर्श ऊर्जाएँ समय के साथ स्थानों में जमा होती हैं - जो कभी-कभी किसी स्थान की "अनुभूति" कहलाती हैं। किसी मठ में जाएँ, और आप शांति और प्रार्थना की ऊर्जा महसूस करेंगे। किसी पसंदीदा मधुशाला में जाएँ और आप मिलनसारिता और उत्सव की ऊर्जा महसूस करेंगे। किसी जेल में जाएँ, और आप संघर्ष और कसावट की ऊर्जा महसूस करेंगे। व्यवहार के पैटर्न अपने जैसे व्यवहरों के पैटर्न को ही आकर्षित करते हैं , इसलिए स्थानों में पहले से ही जो कुछ भी है, उससे भी अधिक तीव्रता से बनने का एक तरीका होता है, जो वास्तुकला, परिदृश्य, कानून और परंपरा जैसे असंख्य व्यावहारिक तरीकों से संहिताबद्ध होता है।
हम, किस तरह किसी जगह के “ भार “ को ऊपर की ओर बदल सकते हैं, ताकि वहाँ के परंपरागत ढांचों की निष्क्रियता को खंडित किया जा सके? हम वहाँ पर किस तरह एक नया “शक्ति स्तोत्र स्थल “ बना सकते हैं, जिससे कि वहाँ पर भविष्य में होने वाली घटनाओं को आकार दिया जा सके ? “ कृतज्ञता “ जैसे शब्द वास्तविकता में बस उन शक्ति की पोटलियों की ओर दिशा दिखाते हैं: जो समस्त संभावनाओं के विस्तार में समायी विशिस्ट आवृत्तियाँ हैं | भाषा तब एक औज़ार बन जाती है जिस से हम इन सबके मध्य छिपी शक्तियों का आह्वान कर सकते हैं , और उन्हीं भाषाओँ को जोड़ कर विशेष लेखनी से तैयार किये गए समूहों में एकत्रित कर सकते हैं , वो समूह जो कार्य करते हैं अन्तर राष्ट्रीय मानचित्रों द्वारा एक विशिस्ट भविष्य की दिशा दिखने मैं| जब हमारा मानचित्र एक समान होता है , हमारी सामूहिक वास्तविकता ज्यादा सामंजस्य पूर्ण बन जाती है |
चिंतन के लिए बीज प्रश्न : आप इस धारण को कैसा मानते हैं कि भाषा एक औज़ार है जिससे सबके मध्य छिपी शक्तियों का हम आह्वान कर सकते हैं ? क्या आप उस समय की एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आप अपने शब्दों में सम्मिलित शक्ति की ओर जागृत हो पाए हों? आप अपने जीवन के परंपरागत ढांचों की निष्क्रियता को खंडित करने में किस बात से मदद मिलती है ?
Jonathan Harris artist and technologist known for his work with data, story, and ritual. Excerpted from here.