वह उत्कृष्ट जोख़िम , द्वारा मार्क नेपो
किसी भी क्षण , अगर हम जरूरत अनुसार शांत हैं और जरूरत अनुसार खुले हैं, तो हम उस अस्तित्व की संरचना में उतर सकते हैं, जहाँ पर सब कुछ , यहाँ तक कि दर्द भी, अपनी शक्ति की क्षाप छोड़ देता है, जिसे हम , अलग अलग समय में, सत्य, खूबसूरती एवं शांति के नाम से बुलाते हैं|
इसी मूल अस्तित्व से ही, हम समस्त जीवों के , उन अदृश्य रिश्तों के जाल या बनावट को , जान भी सकते हैं और महसूस भी कर सकते हैं| और इसी स्थान से हम अपनी इच्छाओं और निराशाओं के तनाव की सतह में, बहुत स्पष्ट तरीके से देख सकते हैं|
वह उत्कृष्ट जोख़िम , जिसकी चर्चा संत जोहंस करते हैं, दोहरा मार्ग है: अपने अंतर गृह को स्थिर करने का जोख़िम ताकि आत्मा का साक्षात्कार हो सके, ताकि हम सब चीज़ों के मार्मिक स्वरुप में उतर सकें, एवं उसके पश्चात, उस हासिल हुए खूबसूरत ज्ञान को, जीवन में उतारने का जोख़िम |
यह जोख़िम उत्कृष्ट है, क्योंकि ये एक ऐसा पर्दा हटाती है , जिसके पहले धरती पे नरक और बाद में धरती पे स्वर्ग है| क्योंकि समस्त जीवों के अदृश्य रिश्तों को जाने बिना या महसूस किये बिना, हमारे अनुभवों के स्वरुप के मायने समझ में नहीं आ पाते हैं| उन रिश्तों को अंदर से जान एवं पहचान के , हम समस्त जीवंत जीवन के खींच और तान को महसूस कर सकते हैं|इससे दर्द ख़त्म नहीं हो जाता , परन्तु उसकी तीव्रता बंट जाती है, ठीक उसी तरह जिस तरह एक सुरक्षा जाल अपने पे गिरने वाली चीज़ की चोट को हल्का कर देता है|इन रिश्तों के अहसास को महसूस करने के अभाव में, हम जीवन में चीज़ों या घटनाओं की आकस्मिकता से भौंचक्के हो कर, अंधी टक्कर खाते रहते हैं ||इन रिश्तों को महसूस करके , हम अपने आप को ऐसे परिदृश्य में रख सकते हैं जहाँ उदेश्यों का समूह वास करता हो, और जहाँ जीवन हमारा इंतज़ार कर रहा होता है|यह उत्कृष्ट जोख़िम एक ऐसा मार्ग द्वार है जो हमें साधारण के आगे असाधारण का अनुभव कराता है| यह हमेशा हमारे करीब है| सत्य से यह खुलता है| प्यार से यह खुलता है|नम्रता से यह खुलता है|और अगर हम हठी हैं तो दर्द भी घनीभूत होकर इसे खोल देगा|दुःख भी इसे खोल सकता है अगर हम उसे गहराई से महसूस कर सकें|मौन का समय भी इसे खोल सकता है, अगर हम उसमे प्रवेश कर सकें, , ना कि हम सिर्फ उसे देख रहे हों|
जिस तरह पानी के सतह को निहारना हमें सम्मोहित तो कर सकता है परन्तु उसकी गहराई का दर्शन नहीं करा सकता, उसी तरह जीवन की व्यस्तता एवं विश्व का मायाजाल , हमें उनही लम्हों की सतह के नीचे जाने से रोकता है , जो हमारे आत्म दर्शन के लिए हैं| मेरे जीवन में, मैंने सत्य एवं ख़ूबसूरती एवं शांति को हमेशा साथ रहने वाले साथी की तरह जाना है, जिनके साथ मैं बैठा रहता हूं और जिनका अभाव का मुझे पछतावा रहता है|
ज्यादातर , वह जोख़िम जो प्रकटीकरण की ओर ले जाता है एवं उसके पश्चात की हिम्मत , शुरुआत में, एक शांत दहलीज की तरह होती है जिसे हमें चुनौती पूर्वक पार करना होता, और उसी के पार जीवन की सच्चाईयां, खुले में छुप कर, इंतज़ार करती हैं|यह शांत जोख़िम हमें उस बातकी याद दिलाता है, हम सबके बीच में कुछ फर्क नहीं है, हमारे ह्रदय एवं विशाल समुन्द्र के बीच कुछ फर्क नहीं है, हमारी आँखों और रेगिस्तान की धूल के बीच कुछ फर्क नहीं है, उस अंतहीन दुःख एवं सब प्रकार की चका चौंध के बीच भी कुछ फर्क नहीं है, जिनके आधार पे पृथ्वी पर सांस लेता जीवन बसा है|
मनन के लिए बीज प्रश्न : “ एक शांत दहलीज ,जिसके पार ,जीवन की सच्चाईयां, खुले में क्षुप कर, हमारा इंतज़ार करती हैं “, इस धारणा से आप कैसा नाता रखते हैं | क्या आप ऐसी निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने वह दहलीज पार करी हो? जीवन के समस्त जीवों की खीच और तान महसूस करने में आप को किस चीज़ से सहायता मिलती है?