बाज एवं मुर्गी की कहानी
जमी ग्लेंन द्वारा
एक कल्पित कहानी कही जाती है एक बाज के बारे में जिसने मान लिया था कि वो एक मुर्गी है | जब बाज बहुत ही छोटा था, तब वो अपने सुरक्षा पूर्ण घोंसले से नीचे गिर गया था। एक मुर्गी पालने वाले को वो बाज मिल गया और वो उसे अपने फार्म पर ले आया और अन्य मुर्गियों के साथ ही उसकी भी परवरिश करने लगा। वो बाज बड़ा होता गया और साथ साथ वही करता गया जो अन्य मुर्गियां करती थीं,वो उन्ही के तरह रहने लग गया,और अपने आपको एक मुर्गी ही मानता था|
एक प्रकृतिविज्ञानी उस मुर्गी फार्म पर इस बात की सच्चाई देखने आया, जो उसने उस बाज के बारे में सुन रखा था, जो अपने आपको मुर्गी मानता था। उसे मालूम था कि बाज आसमान का राजा होता है और वो आसमान पर राज करता है। उसे बहुत आश्चर्य हुआ उस बाज को उस मुर्गी बाड़े के इर्द गिर्द उछलते हुए देख कर , वो कैसे जमीन पर मुर्गियों की तरह चोंच मार रहा था, और कैसे वो सारे कार्य मुर्गियों की तरह ही कर रहा था।उस मुर्गी पालनकर्ता ने उस प्रकृतिविज्ञानी को यह समझाया कि यह पक्षी अब एक बाज नहीं रह गया है,अब वो एक मुर्गी बन गया है क्योंकि उसे मुर्गी की तरह ही प्रशिक्षित किया गया है और उसने भी मान लिया है कि वो एक मुर्गी ही है |
प्रकृतिविज्ञानी जानता था कि इस महान पक्षी में उससे कहीं ज़्यादा है, जितना उसके अभी के कामों से दिख रहा है, क्योंकि वह मुर्गी होने का बहाना कर रहा था। वह एक बाज के रूप में पैदा हुआ था और उसका दिल भी बाज के जैसा था, और कुछ भी उसे बदल नहीं सकता था। आदमी ने बाज को मुर्गीघर के चारों ओर लगी बाड़ पर चढ़ाया और कहा, "बाज, तुम बाज हो। अपने पंख फैलाओ और उड़ो।" बाज थोड़ा आगे बढा, केवल आदमी को देखने के लिए; फिर उसने मुर्गीघर में मुर्गियों के बीच अपने घर की ओर देखा, जहाँ वह आराम से बैठी थी।वह बाड़ से कूद गया और वही करने लगा जो मुर्गियाँ करती हैं। किसान संतुष्ट था। "मैंने तुमसे कहा था कि यह एक मुर्गी है," उसने कहा।
प्रकृतिविज्ञानी अगले दिन वापस आया और किसान और बाज को फिर से समझाने की कोशिश की कि बाज किसी बड़ी चीज़ के लिए पैदा हुआ है। वह बाज को फार्महाउस की छत पर ले गया और उससे बोला: "बाज, तुम बाज हो। तुम धरती के नहीं, आसमान के हो। अपने पंख फैलाओ और उड़ो।" बड़े पक्षी ने आदमी की तरफ़ देखा, और उसकी बाँह से फार्म हाउस की छत पर कूद गया और फिर मुर्गीघर में नीचे चला गया।
बाज की असलियत के बारे में जानते हुए, प्रकृतिविज्ञानी ने किसान से कहा कि वह उसे एक बार और कोशिश करने दे। वह अगले दिन वापस आएगा और साबित करेगा कि यह पक्षी बाज है। किसान, जो इसके विपरीत आश्वस्त था, बोला, "यह मुर्गी है।"
प्रकृतिविज्ञानी अगली सुबह मुर्गी फार्म में वापस आया और बाज तथा किसान को साथ लेकर कुछ दूर एक ऊंचे पहाड़ की तलहटी में चला गया। इस नई जगह से वे न तो खेत देख सकते थे और न ही मुर्गीघर। उस आदमी ने बाज को अपनी बांह पर पकड़ रखा था और ऊपर आसमान की ओर इशारा किया, जहां चमकता हुआ सूरज उसे बुला रहा था। वह बोला: "बाज, तू तो बाज है! तू आकाश का है, धरती का नहीं। अपने पंख फैलाओ और उड़ो।” इस बार बाज ने चमकते सूरज की ओर आसमान की ओर देखा, अपना विशाल शरीर सीधा किया और अपने विशाल पंख फैलाये। उसके पंख हिलने लगे, पहले धीरे-धीरे, फिर निश्चित रूप से और शक्तिशाली रूप से।
वह बाज की शक्तिशाली चीख के साथ उड़ गया।
मनन के लिए मूल प्रश्न: -
आप इस धारणा से किस प्रकार संबंधित हैं कि हमें अपने वास्तविक स्वरूप के प्रति सच्चे रहने में मदद करने के लिए हमारे अतीत की कंडीशनिंग की आरामदेह यादों को दूर करना होगा ?
क्या आप ऐसे समय की निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने प्रासंगिक यादों को हटाकर एक ऐसी शक्ति की ओर कदम बढाया जो आप के अंदर पहले से ही थी ?
कौन सी बात आपके वास्तविक पंख फ़ैलाने में बाधा बन रही है, यह जानने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है ?