माता स्वरुप वृक्ष , एक “wood wide web” में, द्वारा सुज्ज़ेन सिमर्द
बुज़ुर्ग , हर किसी समुदाय में , एक विशेष भूमिका निभाते हैं, और उन्हें अपने कुटुंब में भी इज्ज़त अपने जीवन भर के ज्ञान, विवेक एवं पढाई के फलस्वरूप मिलती है| वे व्यक्तियों . को एक वृहद् समुदाय से जुड़ने में मदद करते हैं, और भूतकाल को भविष्य से जोड़ने में मदद करते हैं| ऐसा नहीं है कि सभी वृद्ध व्यक्ति बुज़ुर्ग हैं , या सभी बुज़ुर्ग वृद्ध हैं| हमारे परिवार में मुख्यतः दादा एवं दादी ने ही बुजुर्गों की भूमिका अदा की है यद्यपि कुछ व्यक्ति, जैसे की मेरी बेटियां , जिनका जन्म , अपनी उम्र से अधिक विवेक के साथ हुआ,और उन्होंने ने भी परिवार को वर्षों से जोड़ने का कान किया है| यह विवेक , कई पीढ़ियों के जीवन काल के ज्ञान से उभरा है|
जंगल में बिताये मेरे जीवन काल से, मैंने ये सिखा है कि कई प्रजातियों के बुज़ुर्ग , जिनमे मनुष्य भी शामिल हैं, जंगल को जोड़ते हैं, उसे एक अनुकूलक, उत्पत्ति सम्बन्धी , मचान प्रदान करते हैं ताकि बदलाव एवं लचीलापन, पूरे समुदाय में फ़ैल जाए| जंगलों में , बुनियादी प्रजाति , वृक्ष हैं, और इस प्रजाति के वरिष्ट, बड़े और पुराने वृक्ष हैं| वरिष्ट वृक्ष , अपने आस पास के अन्य मध्यम पेड़ों के लिए , एक विस्तृत शरण स्थान प्रदान करते हैं|ये वरिष्ट वृक्ष ना सिर्फ जंगल में रहने वाले ,अन्य पौधें, जानवर, फफुन्दीय एवं अणुजीव प्राणी , के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, ये साथ में मनुष्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं ,जो जिन वृक्षों की लकड़ी को जीवन यापन एवं संस्कृति के लिए इस्तेमाल करते हैं|
उदाहरण स्वरुप, एक अकेला Douglas Fir वृक्ष , एक ही प्रजाति या अन्य प्रजातियों के, सैंकड़ो अन्य वृक्षों के साथ जुड़ा होता है औए वह यह अपनी जड़ों के गहरे फैलाव के गूढ़ परिणाम एवं विभिन्न फफुन्दीय समुदाय के कारण कर पाता है| यह गुप्त भूमिगत सम्बन्ध एक ऐसे सम्बन्ध में जुड़ते हैं, जहाँ फफूंद जड़ में शामिल होकर शक्ति प्राप्त करते हैं और जिसे आजके युग में, साधारण बोलचाल में “ wood wide web “ कहते हैं, और ये कार्य में आज के ज़माने के इन्टरनेट के सम्बन्ध (network) की तरह होता है या जल विभाजक छेत्र में झीलों के समूह की तरह| इस “ wood wide web” में वृक्ष आपसी संबंधों को , जैसे गूंथने का काम कर रहे होते हैं, जबकि फफूंद उसके कोनों ( vertices )का काम कर रहे होते हैं|
“wood wide web “ एक अत्यंत ही व्यस्त सम्बन्ध (network) है जहाँ वरिष्ट पेड़ अपने आस पास के वृक्ष, जिनसे उनका उत्पत्ति सम्बन्धी नाता है अथवा रिश्ते हैं, कि पहचान करते हैं, और वो उन्हें साधन ज्यादा या कम भेजते हैं, उनका फायदा या नुकसान करने की मंशा से, अपने आस पास के वातावरण की सुरक्षा को ध्यान में में रखते हुए|मैंने इन वरिष्ट वृक्षों को “ माता स्वरुप वृक्ष “ बोलना शुरू कर दिया है, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये वरिष्ट वृक्ष छोटे वृक्षों का ख्याल रख रहे होते हैं| “माता स्वरुप वृक्ष” पूरे जंगलों को, समय औरे जगह के माध्यम से , जोड़ के रखते हैं, जैसा कि हमारे बुज़ुर्ग , इंसानी परिवारों को पीढ़ी दर पीढ़ी जोड़ के रखते हैं|
मनन के लिए बीज प्रश्न : आप बुजुर्गों के, मनुष्यों या वृक्षों को , जोड़ने एवं पालन पोषण करने वाले किरदार से, क्या नाता रखते हैं ? क्या आप एक ऐसे समय का अनुभव साझा कर सकते हैं, जब आपको नज़र आती गांठों ( nodes) के नीचे एक सम्पूर्ण पर्यावरण का एहसास हुआ हो? एक पोषक बुज़ुर्ग , जो अन्य को सहारा देता हो, बनने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?