Sweeping My Heart

Author
Zenju Earthlyn Manuel
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Image of the Weekमेरे ह्रदय की सफाई , द्वारा जेंजू अर्थलीन मनुएल

चूँकि मैं ,एक श्याम रंग की ,अफ्रीकी नस्ल की महिला हूँ, इसलिए मेरे लिए, अपनी ट्रेनिंग की शुरुआत में , एक जेन प्रक्रिया के तहत, मंदिर की सफाई करना, एक अशोभनीय एवं अनुचित कार्य महसूस होता था| जब आप एक वृद्ध अफ़्रीकी महिला हैं और किसी श्वेत नवयुवक का आपको , अपने कार्य के दौरान ,जमीन की धुलाई का ज्ञान देना , आपको अपने आपको एक नौकरानी होने का एहसास दिलाता है और पुराने ज़माने की गुलामी प्रथा की याद दिलाता है| मंदिर सफाई जैसा साधारण मजदूरी कार्य , सामन्यतः हमारे देश में, निर्धन एवं अश्वेत लोगों को दिया जाता है|यह एक ऐसा कार्य है जिससे समाज में, नीचे की श्रेणी, हासिल हो सकती है|

उन लोगों के लिए, जो अपने अंतःकरण में घुसी रंगभेद एवं लिंगभेद की नीति से पीड़ित हैं, उनके लिए अध्यात्मिक सेवा से प्राप्त नम्रता , उन्हें मिले अमानुषिक व्यहहार से राहत एवं उनके अपने कल्याण के विपरीत महसूस होती है | यहाँ वे एक दबे होने की स्थिति से उबरने का प्रयास कर रहे हैं| यहाँ वे , चुप रहने के बजाये , अपने विचार रखने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि वे मंदिर की जमीन साफ़ करते हुए, अपनी रंगभेद की पीड़ा से उभरने का प्रयास कर सकें|

फिर भी , मैं अपनी जेन प्रक्रिया से जुडी रही, साधारण कार्य करती रही, और फिर कुछ वर्षों बाद , जब मैं प्रधान विद्यार्थी थी, मैंने शौचालयों की भी सफाई करी , ताकि जैसा वो कहते हैं, मैं नम्र रह सकूं| जैसे जैसे मैं नम्र होती गयी, वैसे वैसे मैं शौचालयों की ज्यादा सफाई करती रही| अंततः मैंने पाया कि मेरे पूर्वज ही मेरे शरीर को आगे पीछे चला रहे हैं|उन्होंने कहा कि ये कार्य उत्तम है| मुझे उस बात में उतना विश्वास नहीं था|

मैं”: “सचमुच? मुझे इसकी जरूरत नहीं है |”
मेरे पूर्वज: “ सही है| तुम महसूस करती हो कि तुम हमसे बेहतर हो गयी हो|”
मैं: “ मैं स्कूल गयी क्योंकि आप लोगों ने बताया था की शिक्षण ही अश्वेत लोगों के लिए सर्वोत्तम है|मैंने PHD हासिल की ताकि मुझे वो काम न करने पड़ें , जो अश्वेत लोग सामान्यतः करते आये हैं|”
मेरे पूर्वज : “ तुम्हारा गर्व हमारे किसी काम का नहीं |तुम्हारी डिग्री हमारे किसी काम की नहीं |हमारा प्रयोजन है कि तुम्हारे ह्रदय के घाव भर जाएँ| तुम विवेक को प्रेम का स्थान मत लेने दो| तुम्हें प्यार अधिक करना है|”

मैं ज्यादा देर तक जमीन सफाई करती रही, साँस लेती रही, सुनती रही, रोती रही | यह सत्य है, मैं अपने आपसे कहती हूँ|

मैं: “ पर मैंने बहुत परिश्रम किया है ताकि मुझे आप लोगों की तरह सताया न जाये|मैंने न्याय के लिए काम किया है|मैंने प्रार्थना की है | |मैंने पौष्टिक खाया है | मैंने अपने पूरे जीवन काल में शुभ कार्य ही किये हैं|”
मेरे पूर्वज: “ हमारा प्रयोजन तुमसे कुछ अधिक पाना है|हमारा प्रयोजन यह नहीं है की तुम एक अच्छी बौध , मुसलमान, ईसाई, या किसी अफ़्रीकी ओरिषा की अनुयायी बनो| हमारा प्रयोजन यह है कि तुम्हे ये याद रहे की तुम किस धुल की कण से आयी हो|हमारा प्रयोजन है कि तुम्हे उस समय के, पहले की भी, की याद रहे, जब पागलपने की स्थिति थी और हम जैसे अश्वेतों को बेचा जाता था| उसके पहले का भी समय था| वो तुमसे अभी भी छुपा हुआ है|खोजती रहो| जमीन पे झाड़ू लगाती रहो, सफाई करने के लिए नहीं, वरन यह देखने के लिए तुम्हारा ह्रदय कहाँ अवरुद्ध है , और वो कहाँ पे, तुम्हारे लिए , हमारे प्रयोजन को देख नहीं पा रहा है| हम तुम्हे ऐसी जगह ले जाने के लिए प्रयासरत हैं, जहाँ तुम बदलाव के लिए चिंतित हो सको | “

आज जब भी मैं मंदिर की सफाई करती हूँ, मुझे पता है ये मेरे पूर्वजों की इच्छा है| मैं समझ रही हूँ की जो उनकी गुलामी के जीवन की यादें, मेरे मन में बसी हैं, वो धीरे धीरे मेरी समझ में आ रही हैं और उनमे परिवर्तन आ रहा है| मैं जान गयी हूँ कि मंदिर की सफाई एक प्रक्रिया है जो मेरे ध्यान में बैठने से उपजी है, और ये कोई इतिहास का दोहराना नहीं है|

अगर यह मेरे सौभाग्य है कि मुझे झाड़ू लगाने का मौका मिला, तो ये मेरे लिए अपने ह्रदय से जुड़ने का प्रगाढ़ समय है, और इसमें मैं झाड़ू का इस्तेमाल एक अनुष्ठान के रूप में कर रही हूँ, जहाँ पे मेरा ये जीवन और मेरे पूर्वजों का जीवन आपस में मिल जा रहा है| में उस चीज़ को नहीं दोहरा रही, जो मेरे पूर्वजों ने, ग़ुलामी प्रथा के अंतर्गत की थी| इस के विपरीत , उन्होंने ने ही मुझे इस क्षण पर पहुँचाया है|

मनन के लिए बीज प्रश्न: आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं, की मंदिर में झाड़ू लगाना वास्तव में यह देखने की प्रक्रिया है के मेरे ह्रदय में कहाँ अवरोध है ? क्या आप अपनी कोई निजी कहानी साझा कर सकते हैं, जब आपने, अपनी उपलब्धियों से आगे निकल के , उस धुल के कण को याद किया हो, जहाँ से आप निकले हैं? आपको अपने ह्रदय से, प्रगाढ़ता से जुड़ने में ,किस चीज़ से मदद मिलती है?
 

Zenju Earthlyn Manuel is an author, visual artist, drummer, and Zen Buddhist priest. Excerpt above from this essay.


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