The Cauldron Of Time

Author
James O'dea
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Image of the Weekसमय की विशाल हांड़ी द्वारा जेम्स ओ दी

हम जो एक शरीर में जीवित हैं और सांस लेते हैं,
हम देख पाते हैं, उस विश्व निर्माता की जीवंत स्वर्ण जैसी क्षाप:
सूर्य की स्वर्ण जैसी रौशनी खिलखिलाती नदियों पर बिखरते हुए,
हमारे हृदयों की दयालुता को ,इस विश्व में, अपना गर्मजोशी भरा प्यार उड़ेलते हुए,
हम देख पाते हैं उसे, अपनी महानतम कहानियों में चमचमाते हुए,
खूबसूरती का इशारा करते हुए,
उस हिम्मत की ख़ुशी मनाते हुए,
जो बाहर जा कर अपने विचारों से ऊपर उठ के बनने में हैं,
जहाँ हम उस स्वर्ण की जीवंत लौ स्वरुप हैं,
जो जीवन के चलन में जल रही हैं , एक इश्वर स्वरूपी नग्न इंसानी जोश में| (celebrating the courage to go outside and be more than reflections, instead to be living flames of gold burning in existence, as naked human God sparks)

पर यहाँ स्वर्ण ही हमारा लक्ष्य नहीं है, जैसा कुछ कहते हैं,
ये वो द्वार है जिसके मध्य से हम निकलते हैं,
एक नए जीवन में, अपनी आत्मा की हरियाली में,
ऐसी जागरूकता जो विश्व में फैली हुई,
जिसे हमारी आम निगाहों वाली आँखों ने न देखा हो,
एक हरित आत्म शक्ति,
जो हमरी चैतन्य शक्ति में एक जीवंत एकाग्रता के रूप में बढती है,
जहाँ धारणाएं मुख्या स्तोत्र में मिल जाती हैं,
और शाश्वत जीवन की अदुषनीय शक्तियों से मिल जाती हैं|

यहाँ तक, सब कुछ एक शक्ति है,
जिसे हमारे हृदय की सूक्ष्म करुणा ने
एक हरित लहरों सरीखी शक्ति प्रदान कर रखी है|

पर फिर भी एक निमंत्रण है, प्रेरणा के स्वर्ण परे ,
जगमगाहट के हरे रंग से परे ,
एक निमंत्रण जो एक मखमली अँधेरे से बाहर रिसता प्रतीत होता है,
एक शुन्यता की झील ,
एक ऐसा निमंत्रण उस जगह का,
जहाँ न समय है, न विस्तार है,
न गतिविधि है, न विचार हैं,
न उपलब्धि है, न वाह वाही है,
न दुनिया की गूँज है |
गया , गया सब कुछ गया,
कुछ भी नहीं बचा ,
सिर्फ मूल आनंद के एक खाली कुँए के
( but the empty well of bliss)

सिर्फ वो ही, जो इस अँधेरी रात में प्रवेश करते हैं ,
वो ही ऊपर उठ के इश्वर के उस छुपे हुए चेहरे को देख पाते हैं,
जहाँ कुछ नहीं और सब कुछ , एक ही हैं| ( where Nothing and Everything are one.)

मनन के लिए मूल प्रश्न| : “मूल आनंद का एक खाली कुआँ “ ( the empty well of original bliss )आपके लिए क्या मायने रखता है? क्या आप एक ऐसी निजी कहानी साझा कर सकते हैं, जब आपने ऐसा निमंत्रण स्वीकार किया हो जो प्रेरणा ओर जगमगाहट से ऊपर ले जाता हो? आप को उस अँधेरी रात्रि की ओर पुनः वापस ले जाने में की चीज़ से मदद मिलती है जहाँ कुछ नहीं और सुब कुछ एक ही हैं?
 

James O'dea is an author of several books, former President of IONS and Washington Director of Amnesty International. For more, here's a recent conversation with James.


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