तेल की दो बूंदें
पाउलो कोएल्हो द्वारा
एक व्यापारी ने अपने पुत्र को “खुशियों के रहस्य “ को सीखने के लिए, एक महान ज्ञानी के पास भेजा| वो नवयुवक रेगिस्तान के मध्य चालीस दिनों तक घूमते हुए , पर्वत पर स्थित, एक सुन्दर महल में पहुंचा | वहीँ पर उस संत का निवास था, जिसे वह नवयुवक खोज रहा था|
परन्तु , वहां पर उसे एक संत नज़र आने के बजाय , बहुत ही अन्य गतिविधियाँ नज़र आईं | व्यापारियों का आना जाना हो रहा था , चारों तरफ़ कई व्यक्ति आपस में बातें कर रहे थे, एक यन्त्र वादक समूह, मधुर धुनें बजा रहा था, और वहीँ एक मेज पर, दुनिया भर के उत्तम पकवान सजे हुए थे| वो संत सभी से बातें कर रहा था और उस नवयुवक को लगभग दो घंटे उससे बात करने के लिए इंतज़ार करना पड़ा|
उस संत ने , इस नवयुवक के आने के कारण को बहुत ध्यान पूर्वक सुना, परन्तु उससे यह कहा कि अभी उसके पास “ खुशियों के रहस्य “ को समझाने के लिए समय नहीं था| उसने सुझाव दिया कि नवयुवक उसके महल में आराम से सैर करे और उससे दो घंटे के बाद मिले|
“पर, मेरा एक अनुग्रह है, “ उसने कहा ,और एक चम्मच दी , जिसमे उसने दो बूँदें तेल की डालीं और कहा “ “जब आप सैर करें तो यह चम्मच साथ रखें और तेल को नीचे ना गिरने दें” |
नवयुवक ने महल की सीढियों से ऊपर नीचे सैर करी , फिर भी हर वक़्त उसका ध्यान उस चम्मच पर ही लगा रहा| दो घंटे के बाद नवयुवक वापस उस संत के समक्ष पहुंचा|
“ उस संत ने पुछा “ क्या तुमने पारसी गलीचे देखे जो मेरे भोजन कक्ष में टंगे थे? क्या तुमने वो बगीचा देखा जिसे एक महान कारीगर ने दस वर्षों में तैयार किया ? क्या तुमने मेरे पुस्तकालय में लगे सुंदर चमड़े के कागज़ को देखा?”
शर्मिंदगी पूर्वक उस नवयुवक ने माना कि उसने यह कुछ भी नहीं देखा| उसका ध्यान सिर्फ उस चम्मच में रखी तेल की दो बूंदों पर ही था, जो संत ने उसे सँभालने को दी थी |
“ वापस जा कर मेरे स्थान की अदभुत चीज़ों को देखो “, उस संत ने कहा| “ अगर तुम किसी के घर को नहीं जानते हो , तो तुम उसपर विश्वास नहीं कर पाओगे |”
अब थोड़ी सुगमता से नवयुवक ने उस चम्मच को उठाया और पूरे महल की सैर करने निकला | इस बार उसने उस महल की दीवारों एवं छत्त पर लगे कलाकारी के सुन्दर कला कृतियों पर पूरा ध्यान दिया|
उसने बगीचों को देखा, महल के चारो ओंर सुन्दर पहाड़ों को देखा, फूलों की कोमलता को देखा, और ये देखा की कितने प्यार एवं रस से कलाकारी के नमूने महल में चारों तरफ लगे हैं| उसने संत के पास वापस आकर विस्तार से महल के भ्रमण के दौरान देखी गई सभी चीज़ों की जानकारी दी|
“ पर जो मैंने तुम्हे तेल की दो बुँदे रखने को दी थी, वो कहाँ हैं ?” संत ने पुछा
चम्मच की ओंर देख उस नवयुवक को पता चला की उसने तेल को गिरा दिया है |
“ मेरे पास तुम्हे देने के लिए यही मंत्र है”, उस संतों के संत ने कहा|
“ खुशियों का रहस्य " चम्मच में रखी, तेल की बूंदों, को याद रखते हुए, संसार के समस्त अजूबों को देखने में, ही छुपा है |
मनन के लिए बीज प्रश्न :” चम्मच में रखी तेल की दो बूंदें” आपके लिए क्या मायने रखती हैं? क्या आप अपने जीवन की कोई कहानी साझा कर सकते हैं , जब आपने अपने जीवन के रस को , बिना अपना अस्तित्व भूले , चखा हो? संसार को , बिना अपना अस्तित्व भूले , सराहने में, किस चीज़ से मिलती है ?