सबसे लंबी रात के लिए आशीर्वाद
- जैन रिचर्डसन
इन सभी महीनो के दौरान
जब काली परछाईआं लम्बी हो रही थी
यह आशीर्वाद अपने आप को इक्कट्ठा कर रहा था,
अपने आप को इस रात के लिए तैयार कर रहा था।
इसने अंधेरों में
चलने का अभ्यास किया है,
अपनी आँखें बंद किये हुए,
अपने रास्ते तो महसूस करते हुए
याद से
स्पर्श से
गायब होते चन्द्रमा के आकर्षण से।
तो मुझ पर विश्वास करो
जब मै तुम से कहती हूँ
यह आशीर्वाद तुम तक पहुंचेगा
भले ही तुम्हारे पास उसे पढ़ने
भर की रौशनी भी नहीं है;
वो तुम्हे ढूंढ लेगा
भले ही तुम उसे आते हुए
न देख पाओ।
तुम्हे उसके आने का पता चलेगा
जब तुम अपनी सांस छोड़ोगे
जो तुमने इतने लम्बे समय से रोक रक्खी है;
अपनी बंद मुट्ठी के खुलने से,
अपने दिल की जकड़न के खुलने से,
पास आ गए अँधेरे के गायब होने से।
यह आशीर्वाद
रात को गायब नहीं कर देगा
पर उसे रात के चुप्पे रास्ते पता हैं,
रास्ते में आराम करने की जगहें पता है,
एक दोस्त के साथ सफर करने का मतलब पता है।
तो जब यह आशीर्वाद आये,
उसका हाथ पकड़ कर खड़े हो जाओ।
और निकल पड़ो उस रास्ते पर
जो तुम अभी देख नहीं सकते।
इस रात में
तुम किसी भी दिशा में आगे बढ़ो
तुम भोर की और बढ़ रहे हो।
मनन के लिए बीज प्रश्न :
एक आषीर्वाद के आने का जानना एक लम्बे समय से रोकी हुई साँस के छूटनसे का क्या मतलब समझते हैं आप?
क्या आप अपनी निजी कहानी सुना सकते हैं जब आप को ऐसे आशीर्वाद महसूस हुआ हो?
आशीर्वाद में भरोसा करने में आपको क्या मदद करता है जब वह आपको एक ऐसे रास्ते पर पर ले जाता है जो आप अभी देख नहीं सकते?
by Jan Richardson, sourced from here.