A 13-Year-Old In A Museum

Author
Nancy Collier
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Image of the Weekतेरह वर्षीय बालिका , एक म्यूजियम में
नैंसी कोलियर द्वारा

हाल ही में जब मैं अपनी मित्र एवं उसकी तेरह वर्षीय पुत्री के साथ एक, आधुनिक कला के म्यूजियम में गया तो मुझे बहुत ही विचित्र लगा जब उसकी पुत्री ने अपने फ़ोन से अपनी अनेक तस्वीरें , उन कला कृतियों के सामने, हमसे खिचवायीं | सिर एक ओर झुका हुआ , अति मननशील अंदाज़ में कला कृतियों को देखते हुए अनेक तस्वीरें, वो Facebook, Instagram , snapchat इत्यादि में भेजती रही| ऐसा नहीं था कि वो ही एक थी जो ऐसा कर रही थी: ऐसा लग रहा था की हर कोई ( युवा एवं बड़े सभी ) व्यस्त थे फोटो खिंचवाकर म्यूजियम का ‘अनुभव’ करने में|


ऐसा नहीं है कि ये मेरी मित्र की पुत्री (या किसी अन्य) की आलोचना है| मेरे लिए तो विषयगत यह था कि मेरी मित्र की पुत्री को फोटो खिंचवाने और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट के मध्य में , उन कला कृतियों में उसे कोई रुचि नहीं थी: एक तथ्य जिसका मानो कोई महत्व ना हो, या स्वयं को आनंदित अनुभव होने के बारे में पोस्ट करने से कोई लेना देना नहीं था | मैं भी जब उसकी उम्र का था, तो मुझे भी म्यूजियम जाने में कोई रूचि नहीं थी, और मुझे जब भी जबरन ले जाया जाता था मुझसे इंतज़ार नहीं होता था और जल्द से जल्द में बाहर निकलना चाहता था | कला में रूचि ना होना , उसकी उम्र में , या अन्य किसी भी उम्र में , बहुत ही सामान्य है और जरा भी चिंताजनक नहीं है |

पर जो चिंताजनक है वो यह है कि इन दिनों कैसे युवकों की शक्ति , अपने जीवन की छवि और उसमें उनके किरदार की छवि बनाने में लगी रहती है | हालाँकि अपनी आत्म छवि बनाना और अपने आप को जानना बड़े होने का ही बहुत बड़ा हिस्सा है , परन्तु social media ने इसके सारे मायने ही बदल दिए हैं| सोशल media ने ना सिर्फ हमारे ऊपर एक “स्व निर्मित” आत्म छवि बनाने के का दबाव बनाया है, पर हमारे वास्तविक स्वरुप को हासिल करने की इस प्रक्रिया को ही बदल दिया है| युवक इस बात पे ज्यादा ध्यान दे रहें हैं कि वो एक छवि बना कर कैसे दिखें बजाय इसके कि वो कैसे बनें | अपने जीवन को जीने के बजाय उसे दर्शाने में लगे हैं| सारा प्रयास एक छवि बनाने में एवं उस दर्शाने में एवं “follow “ कराने में ही लग गया है, ना की जो छवि हम बना रहे हैं उसे वास्तविक रूप से जीने में|

चाहे अनुभव वास्तव में कैसा भी हो, ये आप के बारे में ही बन गया है, वह व्यक्ति जो इसे जी रहा है| संगीत समारोह संगीत के लिए नहीं रह जाता , भोजनालय भोजन के लिए नहीं रह जाता, खेल समारोह खेल के लिए नहीं रह जाता, अंतिम संस्कार मृत्यु के बारे में नहीं रह जाता: हर वृतान्त सिर्फ हमारे बारे में है और वो हमारे बारे में क्या कहता है, इतना ही होकर रह जाता है| जीवन अनुभव सीधे तौर पे नहीं जिए जा रहे और वो सिर्फ यह उदघोषित करने के मौके बन गए हैं की हम कैसे इंसान हैं| जीवन एक पदार्थ हो गया जिसके माध्यम से हम अपनी छवि को आगे बढ़ाते हैं, परन्तु ( और यहाँ से आश्चर्यजनक हो जाता है ) इस प्रदर्शित छवि का हमारे वास्तविक अंदरूनी मन से कोई सरोकार नहीं है|

यह तथ्य अत्यंत चिंताजनक है हम जहां है और जो कर रहे हैं से ज्यादा महत्वपूर्ण ये है की, facebook पर पोस्ट करना है की हम कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं , इस बात से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है : ये एक प्रौद्योगिकी एवं उसकी उपज का एक चिंताजनक बदलाव है| हमारे अनुभव के मायने सिर्फ हमारे बारे में बताने और हमारी स्व निर्मित छवि बनाने वास्ते ही हो के रह जाते हैं| नतीजन हम जीवन से विमुख और अलग हो जाते हैं और जीवन के मायने खोजना और कठिन हो जाता है| हम जितना जीवन को एक छवि बनाने में इस्तेमाल करते हैं, उतना ही हम जीवन से अलगाव महसूस करते हैं| इसके बजाए की जीवन के धारा प्रभाव का हिस्सा बनें, हमें लगता है की हमें नए अनुभवों एवं जीवन सामग्री को पैदा करना है ,जो हमारे जीवन को उदघोषित कर सके, हमें बुनियादित कर सके और हमारे जीवन की कहानी को बता सके| इस दरमियान हम से हमारे जीवन की दूरी बढती ही जाती है|

अगली दफा जब आप कुछ पोस्ट ( social media पे) करने का सोच रहे हैं, तो थोड़ा ठहर कर, जहाँ हैं उसे अनुभव करें, अपने जीवन का वास्तविक जीना मह्सूस करें, संवेदनाओं को महसूस करें , बिना उन्हें छेड़े, बिना जीवन को अपने फायदे या अन्य किसी चीज़ के फायदे के लिए इस्तेमाल किये | सिर्फ जियें , किसी कहानी के बिना| हो सकता है आपको महसूस हो की ये प्रक्रिया आपकी पहचान के लिए खतरा बन सकती है, आपको अपनी मुल्यावानता दिखाने का मौका गंवा सकती है, पर यह प्रक्रिया आपके शुद्ध अस्तित्व , वो जो आपके अंदर है, जो जीवन से जुड़ना चाहता है बजाय उससे दूर होने के, को बहुत ही फायदा पहुंचाएगी | इस प्रक्रिया का फायदा, इसके नुक्सान से कहीं अधिक होगा| पर मेरी बात पे मत जाइये, खुद अजमा के देखिये|

मनन के लिए बीज प्रश्न: इस से आप कैसा नाता रखते हैं कि हम जो हैं , उसकी छवि बनाने में और जो हैं, वो बनने में, अंतर है? क्या आप एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आप किसी समय अपनी छवि बनाने की प्रक्रिया से हट के , जीवन जीने की ओर ओर बढ़ गये हों ? जीवन को एक वस्तु की तरह उभारने के जाल से बचने में आपको किस चीज़ से सहायता मिलती है ?
 

Nancy Colier is an equestrian on the national horse show circuit and serves as a performance consultant to athletes and artists.


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