आधा अनार
- ब्रायन कॉनरॉय के द्वारा
एक सुबह, बुद्ध और उनके शिष्य एक भिक्षा मांगने निकल गए। उन्होंने घोषणा की कि उस दिन उन्हें मिलने वाला सारा चढ़ावा गरीबों को दिया जाएगा।
सभी लोगों ने लाल फूलों से लदे हुए साल के पेड़ के नीचे बैठकर इंतजार किया। जल्द ही आसपास के क्षेत्र के सभी महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्ति चढ़ावा देने के लिए आ गए।
सबसे पहले राजा बिम्बिसार पहुंचे थे। उन्होंने सोने के सिक्कों, सोने के लालटेन, और हार के साथ कीमती रत्नों से जगमगाते हुए आकर्षक उपहार दिए। बुद्ध ने एक हाथ से ये चढ़ावा स्वीकार किया।
उनके बाद आये राजकुमार अजातशत्रु। उन्होंने जटिल नक्काशी वाली वस्तुएं, जी ललचाने वाले खाद्य पदार्थों, और सुगंधित गोशीर्ष-चंदन की अगरबत्तियों का प्रसाद चढ़ाया। इन प्रसादों को भी बुद्ध ने एक हाथ से स्वीकार किया।
इसके बाद कुछ छोटे राजाओं, ब्राह्मणों, बुजुर्गों और आम लोगों से चढ़ावा लिया गया। बुद्ध ने एक हाथ से उनके सभी चढ़ावे स्वीकार किए।
दिन ढ़लने के करीब, बुद्ध के सामने एक बूढ़ी औरत आयी। उसने आदरपूर्वक प्रणाम किया और कहा, "हे लोकनाथ, जब तक मैंने सुना कि आप चढ़ावा स्वीकार कर रहे हैं, उससे पहले ही मैंने इस अनार को आधा खा लिया था। मैं सिर्फ एक गरीब बूढ़ी औरत हूँ। मेरे पास आपको देने के लिए जो वस्तु है वह यह आधा अनार है। मुझे आशा है कि आप इसे स्वीकार करेंगे।"
जो लोग इकट्ठे थे, वे बुढ़िया की छोटी सी भेंट देखकर शर्मिंदगी से भर गए। लेकिन बुद्ध ने अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाया और कृतज्ञतापूर्वक आधा अनार ग्रहण किया।
जब बूढ़ी औरत चली गई, तो बुद्ध के शिष्य अनिरुद्ध ने पूछा, "आपने दोनों हाथों से बूढ़ी औरत के चढ़ावे को क्यों स्वीकार किया, जबकि बाकी सभी केवल एक हाथ से?"
बुद्ध ने जवाब दिया, "इस महिला ने बिना किसी इनाम की उम्मीद के वह सब दिया जो उसके पास था। इस तरह के प्रचुर चढ़ावे को स्वीकार करने के लिए मुझे दोनों हाथों की जरूरत थी।"
मनन के लिए मूल प्रश्न: आप बूढ़ी महिला के प्रचुर चढ़ावे से कैसे सम्बद्ध हैं? क्या आप किसी ऐसे समय की व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं, जब आपने या तो इतनी प्रचुरता प्राप्त की है या आप स्वयं की प्रचुरता का उपयोग कर पाए हैं? आपको अपनी सबसे गहरी प्रचुरता का लाभ उठाने में क्या मदद करता है?
Brian Conroy is a story-teller. Excerpt above from his book, Stepping Stones.