हम अपने ध्यान द्वारा अपना मत डाल रहे हैं:
लाह पार्लमन
हमारे मश्तिष्क स्तम्भ के नीचे की तरफ़ एक तंत्रिका कोशिका की गठरी है जिसे हम “जालीदार उत्प्रेरण तंत्र” के नाम से जानते हैं | यह तंत्र मश्तिष्क के लिए उछाल की तरह काम करता है|
हमारी इन्द्रियां निहायत ही ज्यादा जानकारी हमारे जागरूक मश्तिष्क के पास पहुंचाती हैं और हमें, जो जानकारी मतलब की नहीं है, उसे छोड़ना होता है, ताकि हम तक वो पहुँच सके जिसका हमारे लिए मायने है| मश्तिष्क का जालीदार उत्प्रेरण तंत्र इस जानकारी को छानने का काम करता है|
मश्तिष्क के जालीदार उत्प्रेरण यन्त्र को कैसे पता चलता है कि उसे क्या आगे जाने देना है? किसी चीज़ पे ज्यादा ध्यान देकर हम उस मश्तिष्क के तंत्र को बता रहे हैं, कि हमारे लिए क्या ज्यादा जरूरी है| हमारी इन्द्रियों द्वारा अनगिनत सामग्रियों (Data) का सामना करने के पश्चात भी , वो मश्तिष्क तंत्र , सिर्फ उस सामग्री को ही हमारे जागरूक मश्तिष्क तक पहुँचाने देता है, जिसको हमने विशिस्ट बताया होता है, यानि जिसपे हमने विशेष ध्यान दिया होता है
ठीक उसी प्रकार जैसे किसी भीड़ वाले इलाके में भी, जब कोई हमारा नाम पुकारता है, तब हम तुरंत जवाब देते है| क्योंकि उस मश्तिष्क तंत्र ने बताया होता है की इतने सारे शोर एवं ध्वनि में, ये नाम की ध्वनि ज्यादा महत्वपूर्ण है|
हमारे उस मश्तिष्क तंत्र या वस्तुतः पूरे दिमाग को ‘ना” या “ नहीं “ को समझ पाने का ज्ञान नहीं होता| वो अपने आपसे छवि, प्रभाव या भावना के माध्यम से ही संवाद करता है | अगर हम अपने आप को कहते हैं कि “ गुलाबी ह्रदय की कल्पना मत करो “ तो शायद हम गुलाबी ह्रदय का ज्यादा सामना करेंगे और उसे ज्यादा हमारे रास्ते से गुजरते देखेंगे| अगर आप अपने दिमाग से कह रहे हैं, “ मैं अकेलेपन से घृणा करता हूं” तो आप अपने आप को अकेले खाना खाते हुए देखने पे ज्यादा ध्यान देंगे और उस समय को नज़र अंदाज़ कर देंगे जब आप ज़ूम कॉल पर अपने मित्रों के साथ थे| अगर आप ये चिंता करेंगे कि “मेरा दिवालिया निकल सकता है “ , तो शायद आप अपने खर्चों की ओर बहुत देखेंगे और उस छवि को नकार देंगे जब आप के मित्रों ने आपके लिए स्वादिष्ट भोजन बनाया था| इस मश्तिष्क तंत्र (RAS) इस तरह से बना है, कि ये सिर्फ उस बात को ही जरूरी मानता है जिसपे आपने अत्यधिक ध्यान केन्द्रित किया होता है और उसी चीज़ को दिमाग के पास जाने देता है| उसके अलावा हर चीज़ को दिमाग के पास नहीं जाने देता| इन सब उदाहरणों में आप देखंगे कि कैसे आपके मश्तिष्क आपके अकेलेपन एवं दिवालियेपन को उजागर करता है और आपके दोस्तों से जुड़े होने और अन्य सम्पन्नता को आपके दिमाग से जुड़ने नहीं देता |
जब भी हम उन चीज़ों पे अपने ध्यान को केन्द्रित करते हैं , जिन्हें हम नहीं चाहते , हम देखते हैं हमारा उनही चीज़ों से ज्यादा सामना होता है और जिन्हें हम चाहते हैं , उन चीज़ों से कम सामना होता है और उनके अवसर कम नज़र आते हैं| | यह असंतुलित ज्ञान हमारे इस आभास को और पुख्ता करता है कि हम अपनी समस्याओं पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करते हैं और इसीलिए जिसे हम नहीं चाहते उसपे ही ज्यादा ध्यान देते रहते हैं और यह सिलसिला निरंतर चलता रहता है|
अब हम इस चक्र को कैसे रोकें ? हम उस बात पे ज्यादा ध्यान केन्द्रित करें जो हम चाहते है और जिसे हम बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं| अगर हम एक स्वस्थ दुनिया देखना चाहते हैं, तो हमें हमारे दिमाग को इस प्रकार सिखाना होगा की जो स्वयं स्वस्थ हैं उनपे ज्यादा धयान केन्द्रित करो| हम अपने जीवन के उदाहरण देखें , और जिन चीजों को हम होते हुए देखना चाहते हैं उनपे ध्यान केन्द्रित करें ना कि उन चीज़ों पे जिन पे हमें विश्वास है कि वे नहीं हैं| जैसे कि बुक्की फुलर ने कहा है” आप किसी भी चीज़ को उसके वास्तविक अस्तित्व से लड़ कर नहीं बदल सकते हैं| अगर कुछ बदलना है तो एक नवीन स्वरुप का निर्माण करें , जो पुराने स्वरुप को अप्रचलित बना देगा” | हम ऐसा रवैया जितना रखेंगे उतनी ही सकारात्मकता हमारे जीवन में आएगी , उतनी ही आशा हमारे जीवन में प्रवेश करेगी| और उतनी ही शक्ति एवं उत्साह से हम एक सुन्दर विश्व के निर्माण में लगे रहेंगे |
हम अपने ध्यान द्वारा अपना मत डाल रहे हैं|
मनन के लिए बीज प्रश्न : हम इस धारणा से कैसे सम्बन्ध रखते हैं , कि उन चीज़ों के बारे में ध्यान देकर , जिन्हें हम नहीं चाहते हैं, हम अपने मश्तिष्क को सिखा रहे हैं कि, जिसे हम चाह रहे हैं , उसकी अपेक्षा करो ? क्या आप एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आपको ये आभास हुआ कि आपके मश्तिष्क के रुझान आपको, उस बात पे केन्द्रित करा रहे हैं, जो आपकी चाहत के विपरीत है ? आपको अपनी मूल्यवान चाहत के प्रति अपना ध्यान केन्द्रित करने के , पुनः प्रशिक्षण में, किस चीज़ से सहायता मिलती है?