अचम्भे की ओंर वापसी का रास्ता
द्वारा फबिअना फोंदेविल्ला
“बिना बादलों के सूर्यास्त का क्या मायने है? एक घेरा जो एक सीधी रेखा को पार करता है “ ये कहना है गविन प्रेटोर पिन्नी का जो Cloud Appreciation Society के संसथापक हैं और जिन्होंने एक मूल प्रकार की सक्रियता को खोजा है, और जिनका घोषणा पत्र कहता है, “हमारा मानना है कि बादलों को बिना वास्तविक कारण के बदनाम किया गया है, और हमारा जीवन उनके बिना अति निर्धन माना जायेगा|“
बादल? क्या बादल भी किसी सक्रियता के प्रेरक हो सकते हैं? प्रथमः दृष्टि में ऐसा होना थोडा अजीब सा कार्य लगता है, कि कोई क्यों अपना पूर्ण जीवन अपने साथी विश्व वासियों को ये बताने में लगा सकता है कि बादलों की ओर देखो और चमत्कार का आनंद लो | ये समझने के लिए हमें सिर्फ अपने बचपन की ओंर देखना है | हम में से किसने, लम्बे समय तक, घास पे लेटे हुए, विभिन्न प्रकार के खरगोश, पहाड़ों, जानवरों के आकर्षक आकार, बादलों में नहीं देखे होंगे? किसे, उन आकारों को प्रतिक्षण, हमारी नज़रों में, बदलते हुए देख, अचम्भा नहीं हुआ होगा? या ज्यादा उपयुक्त प्रश्न होगा: कब से बादलों ने हमें लुभाना बंद कर दिया है? कब से हमने आसमान की ओंर देखना बंद कर दिया है ?
बादल हमेशा अचम्भे के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं: ऐसा यूँ ही नहीं है कि बादल सदियों से कला कृतियों का भाग रहे हैं | पुनर्जागरण आंदोलन से ही बादल दैविक शक्ति के रूपक में भी इस्तेमाल होते रहे हैं | हमें व्यस्क जीवन में बादलों को फिर से क्यूँ देखने की आवश्यकता है? सामान्य बुद्धि से भी देखें तो शायद ये जवाब होगा: बादलों के आकार को देखने से हमें वर्षा एवं मुसलाधार वर्षा का भी अनुमान होता है और शायद ऐसी रिम झिम बारिश का भी पता चलता हैं जिसमे हरी घास (काई) अचम्भे वाली जगहों में उग जाती है | ये एक बहुत अच्छा कारण हो सकता है बादलों को देखने का, परन्तु बादलों को देखने के इससे अधिक उपयुक्त कई कारण हैं |
हम दैवी शक्ति वाले बादलों की ओर मौसम का हाल जानने के लिए नहीं देखते हैं | हम उनकी ओर इसलिए देखते हैं ताकि हम दोबारा स्वप्न देख सकें, और बादलों की जादूई सुन्दरता का अनुभव हम अपने प्रत्येक कदम में कर सकें | हमें उनमे, उस अच्चम्भे की और, वापस जाने का रास्ता खोजना है | एक्सुपेरी के छोटे राजकुमार एंटोनी दे संत का कहना है “हमने गुलाब के पीछे जितना समय बिताया है, उससे गुलाब की महत्वता का आभास होता है“ | आइये, हम अपना समय, इस विश्र में, प्यर बांटने में व्यतीत करें, प्रति दिन, थोडा अधिक, थोडा बेहतर प्यार | हम अपना जीवन सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य – प्यार - मे बिताएं|
मनन के लिए बीज प्रश्न: आप इस उपदेश से कैसे सम्बद्ध हैं की हम बादलों के माध्यम से अच्चम्भे का रास्ता खोजते हैं ? क्या आप अपनी कोई निजी कहानी साझा कर सकते हैं जिसमे आप इस विश्व के अच्चम्भे में खो गये हों? आपको इस अच्चम्भे में रहने में और उदासीपन में वापस ना जाने में किस चीज़ से सहायता मिलती है ?
Fabiana Fondevila is an author, storyteller, ritual maker, activist, and teacher from Buenos Aires, Argentina. Excerpted from Where Wonder Lives.