अपने घोंसले से निरंतर बाहर फेंक दिया जाना
द्वारा पेमा चोडरों
हम सोचते हैं कि अगर हमने पर्याप्त ध्यान कर लिया, पर्याप्त दौड़ लगा ली, पर्याप्त खाना खा लिया , तो सब सही हो जायेगा| जो जागरूक है उसकी निगाह से देखने में तो यह मृत्यु समान है | सुरक्षा या परिपूर्णता खोजना, अपने पूर्ण एवं स्थाई होने में अनान्दित होना , संयमी और सुविधापूर्ण होना , एक तरह की मृत्यु है| इसमें स्वछ हवा भी नहीं है|किसी भी चीज़ के अंदर आने और अवरोध करने की जगह ही नहीं है| हम अपने छण को मार देते हैं, अपने अनुभव को सीमित करके| ये सब करके हम अपने आपको विफलता के लिए तैयार करते हैं, क्योंकि कभी ना कभी हमें ऐसा अनुभव होगा जिसे हम नियंत्रण में नहीं कर पायेंगे, जैसे हमारे घर का जल जाना, जिसे हम बहुत प्यार करते हैं उसकी मृत्यु हो जाना, हमें पता चलेगा की हमें कैंसर हो गया है, एक इंट आसमान से गिर कर हमारे सर पे चोट लगा देगी, कोई हमारे सफ़ेद सूट पर टमाटर की सौस गिरा देगा, या हम ऐसे प्रिय रेस्टोरेंट में पहुंचेंगे और पता चलेगा कि किसी ने सामान मांगने के लिए नहीं कहा है और सात सौ लोग खाने पर आने वाले हैं|
जीवन का सत्व है की यह संघर्ष पूर्ण है|कभी यह खट्टा है, कभी मीठा| कभी आपका शरीर तनावपूर्ण हो जाता है और कभी शांत एवं खुला हुआ होता है| कभी आपके सर दर्द तो कभी आप सत प्रतिशत स्वस्थ होते हैं| एक जागरूक नज़रिए से हर चीज़ को कोशिश करके अपने अनुरूप बना लेना मृत्यु सामान है क्योंकि इससे जो मूल अनुभव है वो ठुकरा दिया जाता है| ऐसे जीवन अपनाने में एक आक्रामक रूख है जब हम जितने भी परेशानी वाले पहलू हैं उनको सीधा कर चुके होते हैं, और जीवन की अनियमितताओं को एक सीधे सफ़र में ढाल चुके होते हैं|
पूर्ण जीवित , पूर्ण मानवीय एवं पूरे जागरूक होने का अर्थ है , अपने घोंसले से निरंतर बहार फेंका जाना| पूर्ण जीने का अर्थ है, हर वक़्त एक अंजान, कठिन जमीन पे रहना, प्रति छण का अनुभव एक नए और ताजे स्वरुप में लेना| सही जीने का तरीका है हर पल, बार बार मरना| एक जागरूक व्यक्ति की निगाह से यही जीवन है|
जीवन के प्रति प्रतिरोध ख़त्म करने का तरीका है उससे रु ब रू होना | जब हम में नाराजगी है की कमरा बहुत गर्म है, तब हम उस गर्मी से मिल के उसकी प्रचंडता और भारीपन को महसूस कर सकते हैं| जब हम में नाराजगी है की कमरा बहुत ठंडा है, तो हम उस ठण्ड से मिल के उसके बर्फिलेपन एवं उसकी चुभन को महसूस कर सकते हैं|जब हम बारिश से परेशान हैं तो उसके गीलेपन को महसूस कर सकते हैं | जब हम इस बात की चिंता कर रहे होते हैं की हवा हमरी खिडकियों को हिला रही है, तो हम हवा से मिल के उसकी आवाज़ सुन सकते हैं| किसी चीज़ के ठीक हो जाने कि उम्मीद को हटा कर, हम अपने को एक सौगात दे सकते हैं| सर्दी और गरमी का कोई समाधान नहीं है| ये हमेशा चलते रहेंगे | हम जब मर भी चुके होंगे तब भी छय और प्रवाह चलता रहेगा, समुन्द्र की लहरों के जैसे , दिन और रात की तरह -. यही जीवन का अस्तित्व है|
मनन के लिए प्रश्न: आप इस तर्क से कैसे साझा होते हैं, की सब चीज़ों का सही हो जाना मृत्यु समान है? क्या आप ऐसे वक़्त का अनुभव साझा कर सकते हैं जब आप निरंतर घोंसले से बाहर गिरते रहने को सहर्ष अपनाया हों ? हर पल को जीने में और उसे पूर्णतः नये एवं ताज़ा तौर पे अनुभव करने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?
Pema Chodron is an author, meditation teacher, and excerpt above is from her book When Things Fall Apart.