ये जीवन ही है जो हमसे प्रश्न पूछता है : द्वारा विक्टर फ्रान्कल
अब यह प्रश्न नहीं हो सकता है कि “ मैं जीवन से क्या उम्मीद कर सकता हूं?” वरन अब यही प्रश्न हो सकता है कि “ जीवन मेरे से क्या उम्मीद रखता है” ? जीवन का कौन सा नियुक्त कर्म मेरा इंतजार कर रहा है ?
अब हमें यह भी समझ में आने लगा है , अंतिम विश्लेषण में, कि कैसे जीवन के अभिप्राय का प्रश्न, सामान्य पूछने के तरीके से , सही नहीं पूछा जाता है | हमें जीवन से उसके अभिप्राय के प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है, वरन जीवन ही प्रश्न पूछता है, हमारी ओर प्रश्न रखता है| हमें ही जवाब देने है, जीवन के प्रत्येक , घंटेवार ,निरंतर प्रश्नों के, जीवन के अनिवार्य प्रश्नों के| हमारे जीने का अभिप्राय उन जीवन के प्रश्नों के उत्तर के अलावा कुछ नहीं है, यही नहीं, जीवन का पूर्ण अस्तित्व ही जीवन को जवाब देते रहना है, उसके प्रति उत्तरदायित्व की भावना रखना है| इस मानसिक दृष्टिकोण से, हमें कोई भी घटना डरा नहीं सकती, कोई भविष्य या भविष्य का प्रत्यक्ष आभाव, डरा नहीं सकता.| अभी वर्त्तमान ही हमारे लिए सब कुछ है क्योंकि उसी ने जीवन के अनंत नए प्रश्न हमारे लिए छुपा रखें हैं |
जीवन जो हमसे प्रश्न पूछता है, और जिनके उत्तर देने में हमें वर्तमान छण के अर्थ समझ मैं आते हैं, यह सिर्फ घंटे दर घंटे ही नहीं बदलते बल्कि व्यक्ति से व्यक्ति में भी बदलते हैं| जीवन प्रश्न हर छण , हर व्यक्ति के लिए बिलकुल अलग होता है|
हम देख सकते हैं कि कैसे जीवन के अर्थ का प्रश्न , बहुत ही सरल लगता है, जबतक कि हम उसे पूर्ण ठोसता से वर्त्तमान की स्थूलता के सन्दर्भ में नहीं देख रहे हों| जीवन के अर्थ के प्रश्न को साधारण तरीके से पूछना, ठीक उसी तरह का होता है जैसे कोई पत्रकार किसी शतरंज के विश्व विजेता से पूछता है “ मास्टर , कृपया बताएं कि शतरंज में कौन सी चाल सबसे अच्छी होती है?” क्या कोई ऐसी चाल , कोई भी ऐसी विशेष चाल, अच्छी या सर्वोत्तम हो सकती है , जो उस गेम की विशिस्ट , ठोस , परिस्थिति या उस गेम के विशिस्ट छनिक प्रारूप से परे हो?
एक तरह से या दूसरी तरह से, हर समय में सिर्फ एक ही विकल्प जीवन को अर्थ देने का हो सकता है, हर छण को अर्थ दें ताकि किसी भी समय जीवन प्रश्न के उत्तर देने के लिए सिर्फ एक ही निर्णय लेना रह जाता है , परन्तु, हर समय जीवन हमसे बहुत ही विशिष्ट सवाल पूछता है| इन सब बातों का यह निष्कर्ष निकलता है, जीवन हमें, उसके अर्थ के पालन करने के, हर समय मौके देता है और इससे यह भी समझ आता है की जीवन का अर्थ है | हम यह भी कह सकते हैं, हम अपने मानव अस्तित्व को अर्थपूर्ण , अपनी आखरी सांस तक, जब तक हम में सांस है, जब तक हम में चेतना है, बना सकते हैं, और इस जीवन प्रश्न के उत्तर देने की जिम्मेवारी भी हमारी है|
मनन के लिए बीज प्रश्न: इस धारणा से आप कैसे सम्बन्ध रखते हैं, की जीवन का अर्थ , व्यक्ति एवं छण के साथ बदलता रहता है? क्या आप ऐसी कोई व्यग्तिगत घटना साझा कर सकते हैं, जब आप जीवन के तरल किन्तु वास्तविक अर्थ से अवगत हुए हों| आपको जीवन प्रश्न के उत्तर , वर्त्तमान छण में, देने में, किस चीज़ से मदद मिलती है?