क्यों हम अपने परिवार की तुलना में अजनबियों की बात ज़्यादा सुनते हैं?
- केट मर्फी के द्वारा
जब हम लोगों को करीब से अच्छी तरह से जानते हैं, तो हममें उनकी बात अनसुनी करने की प्रवृत्ति होती है क्योंकि हमको लगता है कि हम पहले से ही जानते हैं कि वे क्या कहने जा रहे हैं। यह उसी तरह है जब हम किसी जाने पहचाने मार्ग से कई बार यात्रा करते हैं और फिर हम मार्ग-निर्देशों और दृश्यों की ओर ध्यान नहीं देते हैं।
लेकिन लोग हमेशा बदल रहे हैं। दैनिक कार्य, बातचीत और गतिविधियों का योग लगातार हमें आकार देता है, इसलिए हममें से कोई भी वैसा नहीं है जैसा कि हम पिछले महीने, पिछले हफ्ते या कल भी थे।
निकटता-संचार पूर्वाग्रह काम पर है जब प्रेमी युगलों अथवा भागीदारों को लगता है कि वे अब एक दूसरे को नहीं जानते हैं या जब माता-पिता को को पता चलता है कि उनके बच्चे ऐसे काम कर रहे हैं जिनकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी।
यह तब भी हो सकता है जब दो लोग अपना सारा समय एक साथ बिताते हैं और उनके कई अनुभव भी साझा होते हैं।
सामाजिक विज्ञान शोधकर्ताओं ने बार-बार प्रदर्शित किया है कि लोग अक्सर करीबी रिश्तों को अजनबियों से बेहतर नहीं समझते, और अक्सर उससे भी बदतर।
निकटता-संचार पूर्वाग्रह न केवल हमें उन लोगों से सुनने से रोकता है जिन्हें हम प्यार करते हैं, यह हमारे प्रियजनों को भी हमारी बात सुनने से रोक सकता है। हम इससे समझ सकते हैं कि करीबी रिश्तों में भी लोग कभी-कभी सूचना को रोकते हैं या एक दूसरे से रहस्य रखते हैं।
तो आप इसके बारे में क्या कर सकते हैं? ब्रिटिश मानवविज्ञानी और विकासवादी मनोवैज्ञानिक रॉबिन डनबर ने कहा कि निकट संबंध बनाए रखने का प्राथमिक तरीका "रोजमर्रा की बात" है। इसका मतलब यह पूछना कि, "आप कैसे हैं?" और वास्तव में जवाब सुनना है।
अक्सर पति-पत्नी, और अपने बच्चों के साथ माता-पिता की बातचीत भी, केवल इन बातों, जैसे कि, रात के खाने के लिए क्या बनाना हैं, कपड़े धोने की बारी किसकी है, या फुटबॉल अभ्यास के लिए कब निकलना है, तक सीमित हो कर रह जाती है। मित्र अपनी नवीनतम उपलब्धियों और गतिविधियों को बता कर बात खत्म करते हैं। जो अक्सर छूट जाता है वह वो है जो वास्तव में लोगों के दिमाग में होता है - उनकी खुशियाँ, संघर्ष, आशाएँ और भय। कभी-कभी लोग दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत को हल्का रखते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि वे पहले से ही जानते हैं कि क्या चल रहा है, लेकिन साथ ही, वे शायद उससे डरते हैं जो उन्हें पता लग सकता है।
लेकिन प्यार क्या है अगर वह किसी अन्य व्यक्ति की उभरती कहानी का हिस्सा बनने और सुनने के लिए तैयार नहीं है ? सुनने की कमी, अकेलेपन की भावनाओं के जाग्रत होने का एक प्राथमिक कारण है।
मनन के लिए मूल प्रश्न: आप इस धारणा से कैसे सम्बद्ध हैं कि प्रेम 'किसी दूसरे व्यक्ति की उभरती कहानी का हिस्सा बनने और सुनने की तत्परता है'? क्या आप उस समय के अनुभव को साझा कर सकते हैं जब आप निकटता-संचार पूर्वाग्रह को दूर करने में, और एक करीबी रिश्ते को गहराई से सुनने में सक्षम थे? दूसरा व्यक्ति क्या कहने वाला है, यह पहले से जानने से रोकने में और खुद को बातचीत में नया खोजने के लिए प्रतिबद्ध करने में आपको क्या मदद करता है?