सर्वव्यापी महामारी द्वारा लिन अंगार
क्या होता अगर आप उसे उतना पवित्र और पावन समय मानते , जितना यहूदी , चैन एवं विश्राम ( sabath )के समय , को मानते हैं।
यात्रा से परहेज, खरीद और बिक्री से परहेज।
छोड़ दें, अभी के लिए, दुनिया को , जो है उससे अलग, बनाने की मंशा.
गुनगुनाएँ , प्रार्थना करें. सिर्फ उन्हें ही छुएँ जिन्हें आपने पूरे जीवन साथ रहने का वादा किया है।
अपने अंदर जाएँ , और जब आपका शरीर (मन ) पूरी तरह शांत हो , अपने ह्रदय से बाहरी संपर्क साधें।
यह जानें की हम , जिन तरीकों से जुड़े हैं , वो भयानक भी हैं और ख़ूबसूरत भी हैं. ( अभी आप उसे न मानने की स्तिथि में भी नहीं हैं)
यह समझें कि हमारा जीवन, अब एक दूसरे के हाथ मैं है. ( निश्चय ही अब यह स्पष्ट हो गया है)
अपने हाथ न बढ़ाएं, अपने ह्रदय से मिलें,अपने शब्दों से मिलें। अपने करुणा के फैलाव से मिलें, जो बिना दिखे , उस जग़ह पहुंचता है जहाँ हम छू नहीं सकते।
इस संसार को अपना प्यार देने की प्रतिज्ञा करें, रोग में या सेहत में , अच्छे या बुरे में , उस वक़्त तक , जब तक हम जीवित हैं।
बीज़ प्रश्न मनन के लिए : इस कविता के आशय , कि इस समय को, आप अति पवित्र और पावन समय मानें , से आप कितना नाता रखते हैं? आपके आस पास की तेज़ी से बदल रही संरचनाओं में , आप अपने मैं प्रगट हो रही कृतज्ञता को कैसा महसूस करते हैं? आपको भय से बहार आकर, अपने ह्रदय की गहराई में जाने में , क्या मदद करता है?