आक्रामकता की अस्पष्टता , द्वारा रोबर्ट सपोल्स्की
आक्रामकता की अस्पष्टता ( ambiguity) एक बहुत बड़ी चुनौती यह है कि हम तेज प्रक्रिया एक अत्यंत आक्रामक कृत्य में कर सकते हैं, या एक निस्वार्थ सेवा में कर सकते हैं | नतीजन, हिंसा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हो जाती है जिसे समझ पाना कठिन है| सशक्त प्रेम और सशक्त घृणा का जीव विज्ञानं बहुत तरीकों से समान है, जिस कारण हम आक्रामकता से घृणा नहीं करते , सिर्फ गलत आक्रामकता से घृणा करते हैं, और सही प्रकार की आक्रामकता को प्यार भी करते हैं|
मैं और मेरी पत्नी, एक छोटी कार में, अपने पिछली सीट पे बैठे बच्चों के साथ, कहीं जा रहे थे| मेरी पत्नी कार चला रही थी| इतने में, एक अत्यंत लापरवाह चालक ने अपनी गाड़ी, इस अंदाज़ से, हमारी कार के सामने से निकाली, की बहुत बड़ी दुर्घटना हो सकती थी और यह भी स्पष्ट नज़र आ रहा था कि ये उसने गलती से नहीं सिर्फ पूर्ण स्वार्थीपने में किया है|
मेरी पत्नी ने ज़ोर से हॉर्न बजाय , परन्तु उस चालक ने हमें नज़र अंदाज़ कर दिया| हम बहुत क्रोधित एवं नाराज़ थे : ना जाने पुलिस की जब आवश्यकता होती है तो वो कहाँ चली जाती है|
तभी मेरी पत्नी ने कहा की हम उसका पीछा करेंगे और उसमें थोड़ी घबराहट लायेंगे| मैं क्रोधित तो था, परन्तु यह करना मुझे बहुत अच्छा नहीं लगा| फिर भी मेरी पत्नी ने उसके पीछे अपनी कार भगाई, बिलकुल उसके पीछे पीछे कार को रखा |
कुछ ही समय बाद वो चालक अपनी कार हमसे बचते हुए भगाने लगा , पर मेरी पत्नी उसके पीछे लगी रही| तभी आगे एक लाल बत्ती पे दोनों कार को रुकना पड़ा| हमें पता था कि उस लाल बत्ती पर कार को थोड़े ज्यादा समय के लिए रूकना पड़ता है | उस खलनायकी चालक के सामने भी एक कार थी| वो कहीं भाग नहीं सकता था|
अचानक मेरी पत्नी ने हमारी कार की सीट पर रखे कुछ संमान को उठाया , अपना दरवाज़ा खोला और कहा” अब उसे पछताना होगा”
मैंने विनम्र शब्दों में कहा “ प्रिये , क्या यह सही है जो तुम करने जा रही हो, " तब तक वो कार से बाहर निकल चुकी थी|
मैं भी कार से झटपट बाहर निकला और मैंने अपनी पत्नी को उससे कट्टर आवाज़ में यह कहते सुना " अगर तुम इतनी स्वार्थी हरकत कर सकते हो, तो तुम्हे इस की आवश्यकता है| " तभी उसने उसकी खिड़की से कुछ अंदर फेंका| वो कार में वापस , विजयी एवं आनंदमय अंदाज़ में वापस आई|
“ तुमने उस कार में क्या फेंका” ? उसने कोई जवाब नहीं दिया|तभी बत्ती हरी हो गई | हमारे पीछे कोई कार नहीं थी और हम वहीँ रुके रहे | उस बदमाश चालक ने एक बहुत ही अच्छी तरह मुड़ने का संकेत दिया और धीरे से मुड़ा , और बहुत ही धीमी गति से कार चलाता रहा|
अगर किसी कार के लिए शर्मसार लगना संभव होता , तो वो कार शर्मसार लग रही थी|
"प्रिये, कृपया बताओ , तुमने उस कार में क्या फेंका?"
उसने एक दुर्जन सी हंसी के साथ कहा “ एक अंगूरी टॉफ़ी “
मैं उसकी घोर सहनशील आक्रामकता से अचंभित था | उसने चालक से कहा था” तुम इतने स्वार्थी और गैर जिम्मेवार इंसान हो, और अवश्य ही बचपन में तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ होगा, और यह टॉफ़ी तुम्हे उसे सुधारने में थोड़ी मदद जरूर करेगी| “
मनन के लिए बीज प्रश्न : आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि आक्रामकता का सन्दर्भ महत्वपूर्ण होता है| क्या आप अपना अनुभव साझा कर सकते हैं जिसमे आपने “सही” आक्रामकता देखी हो? अपने आक्रामक लम्हों को भी प्यार से ढकने में किस चीज़ से सहायता मिलती है|