सार्वभौमिक मानव प्रशिक्षण में
- गेरी ज़ुकव (४ सितंबर, २०१९)
हम मानवीय चेतना में एक अभूतपूर्व परिवर्तन के बीच में हैं। अभूतपूर्व। पाँचों इंद्रियों की सीमाओं से परे हमारी धारणा का विस्तार हो रहा है। साथ में, वे एक एकल प्रणाली बनाते हैं जिसका जाँचने का उद्देश्य भौतिक वास्तविकता है। अब हम एक और संवेदी प्रणाली प्राप्त कर रहे हैं: हम बहु-विषयक बन रहे हैं। हम एक पंच-संवेदी प्रजाति से एक बहुसंवेदी प्रजाति में स्थानांतरित हो रहे हैं, और यह बहुत तेजी से हो रहा है। एक विकासवादी दृष्टिकोण से, यह क़रीब तीन पीढ़ियों के भीतर हो जाएगा। हमारा विकास अब उस भौतिक पदार्थ के विकास से नहीं जुड़ा है, जिसे 40 हजार साल लगे हैं। यह विकास आप में हो रहा है।
मल्टी-सेंसरी होने के नाते आपकी संवेदना या खुद की समझ बदल जाती है। आपको लगता है कि आप एक दिमाग और एक शरीर से अधिक हैं, कि आपके पास एक अमर घटक है।
यह दुनिया के बारे में आपकी समझ को बदल देता है। उदाहरण के लिए, हम सत्ता को अब अलग तरह से देखते हैं। जब हम पंच-संवेदी थे, तो शक्ति को हम हेरफेर और नियंत्रण करने की क्षमता की तरह देखते थे ।यह पंच-संवेदी प्रजातियों के लिए अच्छी दवा हुआ करती थी, लेकिन अब यह जहर है। बाहरी शक्ति का पीछा अब केवल हिंसा और विनाश पैदा करता है। शक्ति की नई समझ - वास्तविक शक्ति, प्रामाणिक शक्ति - आत्मा के साथ व्यक्तित्व का संरेखण है। स्वयं के नश्वर अस्थायी भाग के साथ स्वयं के नश्वर सदा रहने वाले भाग का संरेखण। खुद का वो हिस्सा जो सद्भाव और सहयोग और जीवन के लिए साझेदारी और श्रद्धा का इरादा रखता है।
और यह एक सार्वभौमिक मानव के लिए परिस्थितियों का निर्माण करता है।
सार्वभौमिक मानव ब्रह्मांड का एक वयस्क नागरिक है। अगर हम खुद को ब्रह्मांड के बच्चे के रूप में सोचते हैं, तो यह उस तरह के खिलौनों के साथ खेलने जैसा है। वह सोच अब हमारे काम की नहीं है। यह हमें विवश करती है। यह हमें हमारे उपहार देने से रोकता है। यह एक भेड़ भेड़ चरवाहे से मांग करने की छवि है। एक सार्वभौमिक मानव संस्कृति से परे है, यहां तक कि महान संस्कृतियां से भी। एक सार्वभौमिक मानव राष्ट्र से परे है। एक सार्वभौमिक मानव धर्म से परे है। एक सार्वभौमिक मानव लिंग से परे है। एक सार्वभौमिक मानव एक जातीय समूह से परे है।
ये सभी चीजें एक व्यक्तित्व की विशेषताएं हैं, लेकिन एक आत्मा के पास इनमें से कुछ भी नहीं है। वे सभी विशेषताएं हैं जो हमारे लिए सीखने के अवसर पैदा करती हैं। एक सार्वभौमिक मानव की निष्ठा पहले जीवन के लिए है, और बाकी सब कुछ बाद में आता है। उदाहरण के लिए, मैं पहले एक सार्वभौमिक मानव हूं, और फिर एक पुरुष। मैं एक सार्वभौमिक मानव पहले हूं, और एक अमेरिकी उसके बाद। मैं एक सार्वभौमिक मानव पहले हूं, और दादा बाद में। मैं एक सार्वभौमिक मानव पहले हूं, और दूसरा सब कुछ बाद में।
हम सभी प्रशिक्षण में लगे सार्वभौमिक मानव हैं।
विचार के लिए बीज प्रश्न: आप एक सार्वभौमिक मानव की धारणा से क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने अपने व्यक्तित्व को अपनी आत्मा के साथ संरेखित कर लिया हो? आपके मन और शरीर से परे एक अमर घटक है, आपको यह समझने में क्या मदद करता है ?
गैरी ज़ुकव सबसे अधिक बिकने वाली कई पुस्तकों के लेखक हैं। उपर्युक्त अंश भारत के गांधी आश्रम में दिए गए एक भाषण से है, और इसमें वे विचार भी शामिल हैं, जिन्हें वह आगामी पुस्तक में शामिल करने की उम्मीद करते हैं।