पक्षियों का गीत
- डेविड जी हास्केल (१८ सितम्बर, २०१९)
सहस्राब्दियों से, पक्षियों की भाषा ने हमें सरहदों को पार करने के लिए पुकारा है। कुरान में, सोलोमन को एक तोहफ़ा और आशीर्वाद मिला जब उसे पक्षियों की भाषा दी गई। जॉब हमें हवा के पंछियों के ज्ञान को सुनने के लिए प्रेरित करते हैं। मानव दुनिया की ख़बर दिव्य कानों तक नॉर्स ओडिन के कौओं और पश्चिम की ताओवादी रानी के ब्लूबर्ड्स के भाषण द्वारा फुँचाई गयी थी। पक्षियों की आवाज़ में, हम भविष्यद्वाणी, चेतावनी, शकुन सुनते हैं । हम सीमाओं के पार अन्य समयों, अन्य स्थानों में फुँच जाते हैं ।
सुनो: एक निमंत्रण। लेकिन हमारे पंखों वाले भाईयों की इस भाषा का क्या मतलब है यह समझाना मुश्किल है। पक्षी हमसे बहुत अलग हाड़-मांस के बने हैं। हमारा ध्यान ना देना उनकी भाषा को और अधिक दबा देता है । हम उन्हें ईंटों की दीवार बनाकर बाहर कर देते हैं जो हमें अंदर क़ैद कर लेती हैं, स्व-निर्मित दुनिया के अंदर, और पूर्वधारणा के साथ, मन के कक्ष के पहरे में । हमने खुद को एकांत जगह बना लिया है, एकदम चुप।
आवाज़ को अंदर आने दो। [...]
जब हम किसी पक्षी द्वारा की गई आवाज़ के अर्थ को समझते हैं, तो दो अलग-अलग दिमागों में तंत्रिकाएं स्पर्श और संकेत करती हैं। तंत्रिका कोशिकाओं के बीच की कड़ी हवा के कपन द्वारा बनती है, एक ऐसी मजबूत और वास्तविक कड़ी जैसे एक एकल मस्तिष्क में नसों के बीच रासायनिक कड़ी जैसी । पक्षियों की आवाज़ लगता है, जैसे, वो ध्वनि न्यूरोट्रांसमीटर हैं जो प्रजातियों की सीमाओं के पार छलांग लगा लेती हैं।
यह छलांग रचनात्मक है। जब पक्षी और मानव मन जुड़ते हैं, तो एक नई भाषा का जन्म होता है। यह विस्तृत भाषा कई प्रजातियों को एक संप्रेषणीय पूर्णता, सुनने और भाषण की एक जाल में बुनती है। भाषा-शिक्षण वास्तव में सभी के लिए है। यह हमें एकजुट करता है। और इसलिए हम अपने घरों के आसपास दिखने वाले पक्षियों द्वारा हमें दिए गए निमंत्रण की ओर लौटते हैं। उनकी आवाज़ों में हम ऋतुओं की कई लय और निवास की विभिन्न भौतिकता को सुनते हैं। हम प्रत्येक पक्षी की व्यक्तिगत कहानियों को सीखते हैं। हम समझते हैं कि हमारा समुदाय कैसे बदल रहा है और हमें इस वर्तमान क्षण से क्या याद रखना चाहिए। हम पृथ्वी के सार्वभौमिक व्याकरण को सुनते हैं और बनाते हैं।
चलो पक्षियों के आमंत्रण का उत्तर दें, हमारे ध्यान का सरल उपहार उन्हें देने के लिए बाहर कदम रखें। सुनो। आश्चर्य करो। इसका भाग बनो।
विचार के लिए मूल प्रश्न: आप दो अलग-अलग प्रजातियों के दिमागों को जोड़ने पर पैदा होने वाली नई भाषा की धारणा से क्या समझते हैं? क्या आप उस समय की कोई व्यक्तिगत कहानी बाँट सकते हैं जब आपने पृथ्वी के सार्वभौमिक व्याकरण को दूसरी प्रजातियों के दिमाग में जोड़ने के द्वारा सुना और बनाया हो? अपनी भाषा से अलग भाषा में ज्ञान को सुनने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?
डेविड जॉर्ज हास्केल विभिन्न पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें द सोंग्स ऑफ़ ट्रीज़: स्टोरीज़ फ्रॉम नेचुरल ग्रेट कनेक्टर्स शामिल हैं। यह लेख, इस पॉडकास्ट का अंश है: (https://emergencemagazine.org/story/the-voices-of-birds-and-the-language-of-belonging/)
David George Haskell is author of various books, including The Songs of Trees: Stories from Nature’s Great Connectors. The excerpt above from this podcast.