अपने वर्त्तमान का मानचित्र द्वारा एक आत्मज्ञानी लेखक
बहुत सारे व्यक्ति अध्यात्मिक जाग्रति को एक चुनौती या एक अध्यात्मिक मंजिल के तौर पे देखते हैं— कुछ ऐसी चीज़ जिसे पाना है या हासिल करना है| इस तरह से अध्यात्मिक जाग्रति को देखने का एक फायदा यह है कि इससे अपने जीवन के अभिप्राय का एहसास हो जाता है, एक लक्ष्य का मिलना , एक ध्येय का मिलना, जिससे जीवन को एक निर्धारित केंद्रबिंदु मिल जाता है| यह एक ऐसा मानचित्र है, जिसके सहारे हमारी उस छेत्र की प्रगति मापी जा सकती है , और उससे हमारी अध्यात्मिक प्रगति का एहसास भी होता रहता है|
इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि अपने अध्यात्मिक पथ का हम एक मायने पूर्ण , मील का पत्थर बना सकें | यह एक मानसिकता है जो एक गति पैदा करेगी, एक धारा प्रवाह , जिससे एक अत्यंत सुद्रढ़ जीवन यात्रा प्रेरित होगी , और भय का निवारण हो जायेगा , और जहाँ हम वर्तमान में रह पायेंगे और अपनी अंतरात्मा से जुड़ पायेंगे| हालाँकि यह सिर्फ एक मील का पत्थर है| जैसे हीआप भय से मुक्त हो जाते हैं, और आप जाग्रति पूर्वक आत्मसत होने लग जाते हैं, और फिर अगर आपको किसी हद तक स्वतंत्रता में पहुँचाना है तब आपको उस मानसिकता से मुक्त हो जाना है कि आप उस विचार से संकुचित नही है कि आपको किसी जगह पहुँचाना है जो आप कि वर्त्तमान स्थिति से कुछ भिन्न है|
उस स्वतन्त्रता में और आगे बढ़ने का रास्ता वह है जहाँ आप कुछ और बनने का इरादा छोड़ देते हैं| ये वो मुकाम हैं जहाँ आपने अपने जागृत होने की जो धारणा बनाई है वो वहीँ है, जहाँ आप अभी हैं| आपको सिर्फ अपने मन और ह्रदय को खोल के अपने आपको देखने की जरूरत है यानि भय मुक्त होकर देखने की आवश्यकता है|
जाग्रति का अभिप्राय यह नहीं है कि आप जो हैं उसे बदलना है, और यह भी नहीं हैं है आपको “नहीं बदलना” है| इसका अभिप्राय है एक ऐसी ‘ “कभी ना ख़त्म होने वाली” ‘धारणा बना लें , कि आपके पास सभी कुछ उपलब्ध है , उस असीमित , दैविक, वर्तमान ( now moment) में | आपके और आपके “जागृत स्वरुप” की दूरी एक मृग तृष्णा है| कोई दूरी नहीं है और अगर है भी सिर्फ तो वो सिर्फ हमारे दिम्माग की ही उपज है|
मनन के लिए मूल प्रश्न : आप उस उपदेश से कैसे नाता रखते है जो अपको उस मानसिकता से मुक्त होने को प्रेरित करता है , कि आप जहाँ है वहां से किसी अन्य जगह पहुँचाने कि आवश्यकता नहीं है ? क्या आप उस समय की अपनी निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आप अपनी स्वतन्त्रता में आगे बढे पायें हों , कुछ और अधिक बनने के इरादे से मुक्त होकर? इस बात को याद रखने में किस चीज़ से सहायता मिलती है कि आपके ओंर आपके जागृत स्वरुप की दूरी , एक मृग तृष्णा है?
Excerpted from this article.