ह्रदय से जुड़ा जीवन पथ” , द्वारा जैक कोर्नफ़फ़ील्ड
अध्यात्मिक यात्रा के उपक्रम में जो महत्वपूर्ण है वो सरल है: हमें ये निश्चित देखना है कि हमारा रास्ता ह्रदय से जुड़ा हो| अंततः , अध्यात्मिक जीवन का मतलब कुछ विशेष शक्ति या अदभुत वातावरण प्राप्त करना नहीं है | वस्तुतः , ये इच्छा हमें अपने आप से अलग भी ले जा सकती है| अगर हम सावधान नहीं हैं तो, आधुनिक काल की महान विफलताएं जैसे तृष्णा , भौतिकवाद, एवं व्यग्तिगत अलगाव भी अध्यात्मिक जीवन में प्रवेश कर सकते हैं| विशुद्ध अध्यात्मिक जीवन का प्रारंभ करते समय हमें अपने ह्रदय रुपी घर से ही जुड़े रहना है, केंद्र बिंदु जो ठीक हमारे सामने है, उस पे ही रखना है, और ये निश्चित करना है कि हमारा जीवन पथ हमारे गहरे प्यार से ही जुड़ा हो|
जब हम पूछते हैं, “ क्या मैं ह्रदय से जुड़े जीवन पथ पे चल रहा हूं? हम पाते है कि कोई अन्य यह तय नहीं कर सकता कि हमारा पथ कैसा होना चाहिय| हमें देखना चाहिए कि हमने किन आदर्शों पे जीने का निश्चय किया है|हम कहाँ कहाँ अपनी शक्ति, अपनी रचनात्मकता , अपना समय, अपना प्यार व्यतीत कर रहे हैं ? हमें अपने जीवन को बिना भावुकता, बिना अतिशयोक्ति, बिना आदर्शवाद के देखना चाहिए| क्या जिसे हम चुन रहे हैं, वो हमारे आदर्शों कि गहराई को प्रतिबिंबित करता है ? अगर एक क्षण के लिए भी हम शांत हैं और गहराई से सुनते हैं , तो हमें पता चल जायेगा कि हमारा जीवन पथ ह्रदय से जुड़ा है अथवा नहीं|
हमारे जीवन में जो चीज़ें सबसे ज्यादा मायने रखती हैं, वो विशाल अथवा अति शानदार नहीं हैं | ये वो क्षण है, जब हम एक दूसरे का स्पर्श करते हैं, जब हम एक दूसरे से बहुत ही विनीत एवं ध्यानपूर्वक जुड़े होते हैं| ये सरल एवं प्रगाढ़ प्रेम ही है जिसका हमें इंतज़ार रहता है| वो क्षण जब हम किसी का स्पर्श करते हैं, या जब हमें कोई स्पर्श करता है, हमारे ह्रदय से जुड़े पथ का आधार बन सकते है, और वो तत्काल एवं सीधे असर करते हैं|मदर तेरेस्सा ने कुछ इस तरह कहा है” “हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते, लेकिन हम छोटे कार्यों को अत्यधिक प्रेम से कर सकते हैं।“
जीवन की उलझनों एवं तनाव में , हम अपने गहरे इरादों को भूल सकते हैं| पर जब व्यक्ति जीवन के अंत काल में पहुंचते हैं और अपने जीवन का मूल्यांकन करते हैं, तो शायद ही वो इस प्रकार के सवाल पूछते होंगे” “ मेरा बैंक अकाउंट कितना है ? मैंने कितनी किताबें लिखी हैं? मैंने क्या क्या बनाया? वगैरह| अगर आपको किसी जागरूक इंसान के साथ उनके अन्तकाल में साथ होने का सौभाग्य मिला होगा तो आप पायेंगे कि उनके सवाल बहुत ही सरल होते हैं” क्या मैंने सही प्यार किया? क्या मैं सही जीवन जी पाया? क्या मैं त्याग करना सीख पाया ?
ये सरल प्रश्न अध्यात्मिक जीवन की गहराई तक जाते हैं| जब हम सही प्यार भरे जीवन और प्यार भरे जीए हुए जीवन को देखते हैं, तो हम देख सकते हैं कि किस तरह आसक्ति, राग एवं भय ने हमारे जीवन को जकड रखा है औए साथ ही यह भी देखते हैं कि हमारे जीवन में प्यार बांटने एवं ह्रदय के विकसित होने के कितने अवसर हैं| क्या हमने अपने आपको, अपने परिवार, अपने संप्रदाय ,आसपास के व्यक्तियों और इस भूमि को, प्यार करने दिया है? क्या हमने त्यागना सीखा है? क्या हमने अपने जीवन के उत्तार चढाव के मध्य में भी अनुग्रह, प्रज्ञा, करुणा सहित जीना सीखा है? क्या हमने अपने अति लगाव वाले मन से निकल कर, आजादी का आनंद लेना सीखा है ?
सारी अध्यात्मिक शिक्षाएं व्यर्थ हैं अगर हमने प्यार करना नहीं सीखा | अध्यात्म की सारी उच्चतम स्थितियां, और विशिष्ट प्राप्तियाँ महत्वपूर्ण नहीं हैं, अगर हम अपने जीवन की साधारण खुशियों में खुश ना रह सकें, जीवन में ह्रदय से किसी को स्पर्श ना कर सकें | मायने ये रखता है हम कैसे जीते हैं| इसलिए ये अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम अपने आप से ये प्रश्न पूछ सकें: क्या मैं अपने जीवन पथ पे, बिना किसी पछतावे के , सही तरीके से जी रहा हूं? ताकि हम अपने जीवन के अन्तकाल में , जब भी वो आएगा, कह सकें, “ हाँ मैंने अपना जीवन पथ को ह्रदय से जोड़े रखा है|
मनन के लिए बीज प्रश्न : आप इस बात से कैसा नाता रखते हैं कि हमारे जीवन में जो चीज़ें सबसे ज्यादा मायने रखती हैं, वो विशाल अथवा अति शानदार नहीं हैं, बल्कि वो क्षण है, जब हम एक दूसरे से बहुत ही विनीत एवं ध्यानपूर्वक जुड़े होते हैं ? क्या आप एक ऐसे समय की निजी कहानी साझा कर सकते हैं, जब आपने अपने ह्रदय को खोलने का अवसर देखा हो और उसे अपनाया हो? आपको अपने जीवन पथ को ह्रदय से जोड़ने में किस चीज़ से सहायता मिलती है?