काज़ूवादक और स्वरसंगति
- डेनियल इंग्राम
कल्पना कीजिए के एक बड़े समारोह सभागार में एक भव्य सिम्फनी (स्वरसंगति) ऑर्केस्ट्रा (वादक समूह) है और उसके सामने एक बेतुके मज़ाक की तरह, स्पष्ट रूप से बेचैन एक काज़ूवादक बैठा है बिना किसी स्वर-निबंध के। वादक समूह बजाना शुरू करता है और बेचारा काज़ूवादक जिसे कुछ पता नहीं चल रहा, वादक समूह से ताल मिलाने का भरसक प्रयत्न करता है। वह वादक समूह से आधा-क्षण पीछे है, सुनकर फिर वही स्वर बजता हुआ। काज़ूवादक एक समय में केवल एक ही स्वर बजा सकता है। इसलिए वादक समूह की तुलना में उसका संगीत बहुत सदा और सरल है।
अब कल्पना कीजिये के कुछ श्रोतागण ऐसा मानते हैं एक वे वादक समूह का संगीत काज़ूवादक का संगीत सुनने के बाद ही सुन पाएंगे। ध्यान का अभ्यास शुरू करने वाले ऐसे ही श्रोतागण हैं। हम काजू वादक की तरह सुनते हैं, और धीरे-धीरे काज़ूवादक के संगीत पर ध्यान देने लगते हैं और उसका आनंद लेने लगते हैं चाहे वह संगीत कितना ही सदा और सरल क्यों न हो।
हालाँकि, कुछ समय बाद हम में से कुछ लोग ये देख पाते हैं के हम समूह वादक का संगीत भी सुन सकते हैं। समूह वादक द्वारा बाजए जा रहे मधुर संगीत का आनंद लिया जा सकता है बिना काज़ूवादक के संगीत पे ध्यान दिए हुए।
जल्दी ही, हम में से कइ संगीत सुनने वालों को काज़ूवादक का संगीत एक मज़ाक लगने लगेगा जो समूह वादक के संगीत की भव्यता काम कर रहा है।
अंततः, कल्पना कीजिये के कोई व्यक्ति काजूवादक के सामने स्वर-निबंध रख देता है ताके वह भी वादक समूह से ताल मिलकर संगीत बजाये। ऐसे में संपूर्ण समर्पण से बजा रहे सैंकड़ों वादकों के संगीत में काज़ूवादक का संगीत घुल जाता है। हमारी जाग्रति (साक्षात्कार) भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें हम मुख्य संगीत से जुड़ जाते हैं बिना काज़ूवादक के साधारण अनुवाद की आवश्यकता के और बिना स्वयं मंच पर आसीन काज़ूवादक बने हुए।
मनन के लिए बीज प्रश्न :
जाग्रति की सुमधुर संगीत की लहर से की गयी लेखक की तुलना से आप कैसे जुड़ते हैं ?
क्या आप अपना उस समय का निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब आप काज़ूवादक से परे वादक समूह का संगीत सुन पा रहे थे ?
उस भव्यता के सामने जो हमारे हर तरफ है काज़ूवादक के संगीत की आव्यशकता को आप कैसे समझते हैं ?
डेनियल इंग्राम ध्यान शिक्षक हैं, और यह लेख उनकी पुस्तक Mastering the Core Teaching of the Buddha से उद्धृत एवं अनुवादित है।
Daniel Ingram is a meditation teacher, and the excerpt above is from his book, Mastering the Core Teaching of the Buddha.