हरे पहाड़ हमेशा चलते हैं
- सुभना बरझगि
मैं जन्म और मृत्यु की इस प्रक्रिया से रोमांचित हूं। मैं सात साल तक दाई थी, बच्चों के जन्म में सहायता करती थी और किसी भी जन्म में आमंत्रित किया जाना हमेशा एक बड़ा सौभाग्य और सम्मान था। मुझे वहां कई अद्भुत अनुभव हुए। इन जन्मों के बारे में एक बात जो मुझे याद है, वह है ऊर्जा और उत्तेजना, और जिस क्षण शिशु बाहर आता है, उस क्षण का केंद्र बिंदु और ध्यान। उस समय, बच्चा अक्सर नीला होता है और यह कुछ क्षणों के लिए सांस नहीं लेता है। कमरे में हर कोई सत्यनिष्ठा से इस छोटे जीव को देखता है और सभी वयस्क अपनी सांस रोके हुए इसके सांस लेने के लिए इंतजार करते हैं। मैं फिर सभी से कहूंगी, " सांस लो! यह छोटा-सा जीव सांस लेना कैसे सीख सकता है अगर हम सब अपनी सांस रोक रहे हैं ?" वह अनमोल क्षण एक अनंत काल की तरह लगता है, जब हम बच्चे के सांस लेने की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं और हमें उसी ध्यान और बहुमूल्य गुणवत्ता को अपनी सांस तक लाने की जरूरत है, ताकि हम स्वयं को जन्म दे सकें, रात में अपने स्वयं के बच्चे को!
प्रसव के बारे में एक और चीज, जो एक लत की तरह थी, वह जन्म के आसपास की उपस्थिति का विशेष गुण था, और आमतौर पर जब आप वास्तव में प्रसव में होते हैं और उसमे कुछ समय के लिए संलिप्त होते हैं, तो सभी चीजें, जो मायने नहीं रखती हैं, बस दूर हो जाती हैं और यह पल- पल का अनुभव बन जाता है। उस क्षण की ऊर्जा में एक कालातीत गुण है।
कुछ समय पश्चात, मैं शिशुओं को जन्म दिलवाने के बजाये, जो लोग मर रहे थे, उनके साथ समय बिताने लगी, और वही ऊर्जा, उपस्थिति की गुणवत्ता उन लोगों में भी पायी जो मर रहे हैं। ध्यान में भी वही ऊर्जा उत्पन्न होती है। और उन सभी ज़ेन कहानियों में, जहां प्राचीन शिक्षकों ने सिर्फ एक शब्द कहा और छात्र प्रबुद्ध हो उठा, यह सिर्फ भाग्य या मौके से नहीं था। यह वैसा ही है जब आप एक दाई हैं और आप रात भर प्रसूता के साथ रहते हैं, आप उसके साथ सांस लेते हैं, आप बता सकते हैं कि बच्चे का जन्म कब होने वाला है, आप प्रसव के चरणों को आसानी से बता सकते हैं । और उन महान ज़ेन शिक्षकों के साथ भी ऐसा ही है। उन्हें पता है कि छात्र कब तैयार है। वह एक शब्द मन को जगा सकता है।
स्वरुप और खालीपन के बारे में एक और सुंदर सादृश्य है जो बहुत सरल है। यह लहर और सागर की तरह है। लहर की एक शुरुआत और अंत है, एक जन्म और एक मृत्यु है, और हृदय सूत्र कहता है कि लहर शून्यता से भरी है, लेकिन वह अहम् से खाली है। अब लहर हवा और पानी द्वारा बनाया गया एक स्वरुप है, लेकिन अगर लहर केवल अपना स्वरुप, इसकी शुरुआत और अंत देखती है, तो यह जन्म और मृत्यु से डर जाएगी। लेकिन अगर लहर पानी के साथ, अपने सार के साथ पहचानती है, तो इसे जन्म और मृत्यु से डर नहीं होगा। पानी जन्म और मृत्यु से मुक्त है।
अभ्यास की प्रक्रिया के माध्यम से, हम देखते हैं कि हमारी अपने शरीर और मन के साथ एक विशिष्ट पहचान है, और इस शरीर के प्रति यह आसक्ति हमारी सबसे बड़ी सीमा है। मैं महसूस करता हूं, मैं सोचता हूं, मैं यह हूं, मैं सुनता हूं, मैं, मैं, मैं । [लेकिन] जब हम ध्यान करते हैं, तो हम सभी तत्वों की अस्थायी प्रकृति को पल-पल अनुभव कर सकते हैं। हमारे पास गर्मी, हवा, पानी, विचार और भावनाएं हैं। तो किन तत्वों को आप वास्तव में अपना शरीर मान सकते हैं, यदि आप वास्तव में इसे पल पल में उत्पन्न होने वाले और दूर जाने वाले तत्वों की तरह देखते हैं? कोशिश करो और उन तत्वों में से किसी एक को पकड़ लो, कोशिश करो और शरीर में सिर्फ एक सनसनी के साथ चिपट जायो, और कहो , "वह मैं हूं"। यह अस्थायी है। जब हम शरीर का चिंतन करते हैं तो हम उस निरंतर परिवर्तन और प्रवाह, बुलबुलों, परमाणुओं का सूक्ष्म स्तर पर अनुभव कर सकते हैं। और हम इसका प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
उन सभी तत्वों में "स्व" नामक कोई स्थायी, अलग वस्तु नहीं है। और डोगेन जब कहते हैं "हरे पहाड़ हमेशा चलते हैं", उनका अर्थ इस लगातार बदलते हुए , प्रवाह की उस स्थिति से ही है। अपने और हरे पहाड़ों के बीच कोई अलगाव नहीं है। हरे पहाड़ स्वयं के स्वरुप में सामने आते हैं। लेकिन हमें शून्यता के उस एहसास में नहीं रुकना चाहिए। इसे एकीकरण के एक अधिक व्यापक बोध द्वारा प्रतिस्थापित करना चाहिए - करुणा में दुनिया के साथ विलय। एक नृत्य की तरह, जहां हम ध्यान और आत्मनिरीक्षण करते हैं और फिर दुनिया के साथ विलय और सेवा करते हैं। लगातार हम यह नृत्य करते हैं। वहां एक सुंदर ताल है। उस ताल को बनाए रखें, और कृपया हरे पहाड़ों के चलने पर संदेह न करें।
मनन के लिए मूल प्रश्न: आप इस धारणा से कैसे सम्बद्ध हैं कि एक शब्द से मन जाग सकता है? क्या आप ऐसे एक समय का व्यक्तिगत अनुभव साझा कर सकते हैं जब अपने भीतर के तत्वों की अस्थायी प्रकृति का अनुभव किया हो? आपको शून्यता के एक अहसास में ठहराव से बचने में और इसके बजाय करुणा में दुनिया के साथ विलीन हो जाने में क्या मदद करता है ?
सुभना बरझगि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक ज़ेन रोज़ी हैं।