सीमांत अवधि (The Liminal Space)
-हीथर प्लैट द्वारा
जब आपके मित्र ने अपना बच्चा खो दिया हो और आप उसकी पीड़ा को कम नहीं कर सकते, तब आप क्या करते हैं ? या जब आपकी संगिनी अपनी नौकरी से हाथ धो बैठती है, और आप उसकी कोई सहायता नहीं कर सकते हैं ? या एक मुवक्किल को एक बड़ा निर्णय लेना है और आप उसके लिए वह फैसला नहीं ले सकते हैं ? या गिरजाघर अथवा समुदाय का समूह सभी अपने दरवाज़े बंद करने का निर्णय लेता है और सभी के चेहरों पर मायूसी दिखती है ? या जिस समूह की आप सहायता कर रहे हैं, उसमे मतभिन्नता है, और वे समाधान करने का कोई भी उपाय करने में असमर्थ हैं ?
यद्यपि आप इन सभी स्थितियों में स्वयं को निवेशित महसूस करते हैं, लेकिन प्रत्येक स्तिथि में, परिणाम आपकी जिम्मेदारी और नियंत्रण से बाहर है।
सबसे अच्छा जो आप कर सकते हैं वह ये की उक्त परिस्तिथि में शामिल लोगों को बिना किसी हस्तक्षेप के, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित माहौल बना सकते हैं|
यह सब सीमांत स्थान में शुरू होता है...
कहानियों के बीच की अवधि सीमांत स्थान है । मानव जाति के विज्ञान में, सीमांत स्थान एक दहलीज है, अनुष्ठान के मध्य चरण में होने वाली अस्पष्टता या भटकाव का एक अंतरिम स्थान है, जब प्रतिभागी अब अपने पूर्व-अनुष्ठान की स्थिति को छोड़ चुके हैं, लेकिन अभी तक अनुष्ठान के अंत होने के पश्चात की स्तिथि में नहीं पहुंचे हैं । सीमांत स्थान में हम अपनी पहचानों के बीच होते हैं, एक वो जो हम कभी थे और दूसरी वो जो हम बन रहे हैं, जैसे झांझा से तितली बनने के मध्य की कोषावस्था |
दु:ख, परिवर्तनकाल, हानि, जन्म, तलाक, आघात, नौकरी का नुकसान, दिवालियापन, विवाह, विश्वासघात, स्थानांतरण, स्नातक, संघर्ष - लगभग हर मानव अनुभव के भीतर सीमांत स्थान के कुछ तत्व है। सीमांत स्थान निष्कपटता का स्थान है, जब हम कच्चे, कमजोर और निरावरण होते हैं। हमें एक पात्र की आवश्यकता होती है, जो हमें कोमलता और मज़बूती पकड़ सके, बिना अनुष्ठान की प्रक्रिया को गलत तरीके से छोटा करने की कोशिश किये, ताकि हम आगे किसी प्रकार के घाव के बिना जिंदगी जी सकें |
भावनाओं को व्यक्त करने के लिए सुरक्षित माहौल बनाना आसान नहीं है, यह हमें शक्तिहीन महसूस करवा सकता है। हम चीजों को ठीक करना चाहते हैं, अच्छी सलाह देना चाहते हैं, परिणाम को नियंत्रित करना चाहते हैं, या फिर उस विषय में किसी भी प्रकार की वार्ता से बचते हैं।
हमें स्वयं के लिए सुरक्षित माहौल बनाना सीखने की ज़रूरत है, ताकि हम किसी अन्य व्यक्ति को सुरक्षित, निष्पक्ष माहौल बना सकें | जब हम खुद की ज़रूरतों को अनदेखा करते हैं, तो हम सहन करने के लिए बुरी आदतों, और अस्वस्थ तरीकों को अपना सकते हैं, अक्रियाशील हो सकते हैं |
जब हम सीमांत अवधि में किसी के साथ चलते हैं, बिना उसकी आलोचना किये, ईमानदारी से, अनादर किये बिना या फिर उसे बिना छोटा दिखाए, अनुष्ठान के परिणाम को आकार दिए बिना। उनकी सीमाओं का समर्थन करते हुए और अपनी सीमाओं की रक्षा करते हुए, हम बिना किसी शर्त के उनका समर्थन करते हैं, करुणा और कोमल मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, यही सुरक्षित माहौल बनाना (Holding Space) कहलाता है |
प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न : आप सीमांत स्थान की धारणा से कैसे संबंधित हैं और हमारी आवश्यकता उस स्थान पर कब होनी चाहिए? क्या आप एक व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जहाँ आपने किसी के लिए सुरक्षित माहौल बनाया हो? अपने लिए, और सीमांत अवधि में फंसे अन्य लोगों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में क्या आपकी सहायता करता है?