Live Like The Roar In A Lion's Throat


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एक शेर के गले की चिंघाड़ की तरह जियो
- पवित्रा मेहता (१ अगस्त, २०१८)

क्या आप अपने जीवन को किसी के जैकेट में भूल गए हुए टिकट के दुकड़े की जीते हैं? जैसे कि शो कब का ख़त्म हो गया हो? जैसे कि आप एक शाम अपने जीवन को देखने के लिए निकले हों, और आधे में आपने यह तय कर लिया हो कि यह शो उसके दाम के बराबर फायदे का नहीं है।

अन्य अधिक रोचक चीज़ों ने आपका ध्यान चुरा लिया, भले ही हमें बार-बार बताया गया है कि जो सब चमकता है वो सब सोना नहीं है, फिर भी हम इतनी आसानी से चमक से आकर्षित हो जाते हैं और उस भोजन से आकर्षित हो जाते हैं जो हमारा मुँह तो भरता है लेकिन हमारा पेट नहीं और हमारी आत्मा तो बिलकुल भी नहीं।

क्या आप अपना जीवन फ्रिज में पीछे की ओर रखी एक बिना लेबल की बोतल की तरह जीते हैं? एक बोतल जो इतने लंबे समय से वहां रखी है कि किसी को याद ही नहीं कि उसके अंदर क्या है। क्या आप अपना जीवन दराज में रखी उस अकेली जुराब की तरह जीते हैं किसका जोड़ा हफ्तों या सालों पहले धोने में गायब हो गया।

हम कैसे, अनावश्यक चीज़ों से अपना पेट भर लेते हैं, और जीवंत, जोखिम भरी जीवन का सम्पूर्ण इस्तेमाल करने की इच्छाशक्ति को, बेमन, निरुत्साह के साथ बदल लेते हैं।

सोचो। ज़ोर से सोचो। आप की क्या रचना है और आपको किस बर्तन ने संजो कर रखा है? ये सवाल ऐसे हैं जिन्हें न तो हल्के तौर पर पूछा जा सकता है और न ही जिनका जवाब हल्के तौर पर दिया जा सकता है।

शेर के गले की गुफा में गर्जना की तरह जियो। उस सरसों के बीज की तरह जियो जिसे गर्म तेल में छोड़ा जाता है - जो अपने स्वाद को किसे भी चीज़ में एक विस्फोट की तरह छोड़ने को तैयार है। एक दीये की बत्ती की तरह। झिलमिलाती । तेज़। जीवित।

पवित्रा मेहता एक कवियित्री, पुरस्कार -विजेता फिल्म निर्माता और लेखिका, और सर्विसस्पेस में मार्ग दर्शक हैं। उनकी फिल्म और किताब “इनफिनिट विज़न” ("अनंत दृष्टि"), एक अपंग, सेवानिवृत्त नेत्र सर्जन की असंभव कहानी बताती हैं, जिन्होंने नई खोज को संवेदना, व्यापार के सिद्धांतों को सेवा, और आंतरिक परिवर्तन को बाहरी परिवर्तन के साथ एकीकृत किया।

प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न: शेर के गले की गुफा में गर्जना की तरह रहने से आप क्या समझते हैं? क्या आप कोई व्यक्तिगत कहानी बाँट सकते हैं जब आपने महसूस किया हो कि आप अपने स्वाद को हर चीज़ में विस्फोटित करने के लिए तैयार हैं? एक दीये की बत्ती की तरह - झिलमिलाते, तेज़, जीवित रहने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है।
 

Pavithra Mehta is a poet, award-winning filmmaker and ​author, and ServiceSpace visionary. Her film and book "Infinite Vision," tell the improbable story of a crippled, retired eye surgeon who integrated innovation with empathy, service with business principles, and inner change with outer transformation.


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