बहुत सारे नाम
- पाब्लो नेरुदा
सोमवार मंगलवार से उलझा हुआ है
और हफ्ते साल से :
समय को आपकी थकी हुई कैंची से नहीं काटा जा सकता,
और हर दिन के नाम को
रात का पानी धो देता है।
किसी को भी पेड्रो नहीं बुलाया जा सकता
कोई रोसा या मारिया नहीं है,
हम सभी धूल और रेत हैं,
हम सभी बारिश में बारिश हैं,
उन्होंने ने मुझसे कई वेनेज़ुएला की बात की है,
कई पैरागुए और चिली की बात की है,
मुझे नहीं पता वो किसी की बात कर रहे हैं :
मुझे इस पृथिवी का रंग पता है
और उसका कोई नाम नहीं है।
जब मै जड़ों के साथ रहा
मुझे वो फूलों से ज़्यादा पसंद आये,
और जब मैंने एक पत्थर से बात की
वो एक घंटी की तरह बज उठा।
वसंत इतना लम्बा है
के पूरी सर्दी तक रहा:
समय के जूते खो गए:
एक साल में चार शताब्दियाँ हैं।
जब मै इन रातों को सोता हूँ,
मेरा क्या नाम है या नहीं है?
और जब मै उठता हूँ मै कौन हूँ
अगर मै, मै नहीं था जब मै सोया था?
इसका अर्थ है के हम जीवन में
बस हल्का सा ही गहरा उतरे हैं,
के हमारा बस अभी जन्म हुआ है,
हमें हमारे मुँह को
इतने सारे अनिश्चित नामो से,
इतने सारे उदास तमगों से,
इतने सारे गर्वित पत्रों से,
इतना सारा मेरा-तेरा से,
इतने सारे कागज़ों पर हस्ताक्षर से नहीं भरना चाहिए।
मुझे चींजों को एक दूसरे में उलझाना है,
उन्हें एक करना है, उन्हें नया जन्म देना है,
उन्हें मिश्रित करना है, उनकी परतें हटानी हैं,
जब तक दुनिया की रौशनी में
महासागरों की एकता हो,
उदार पूर्णता हो,
जिवंत खनकदार खुशबु हो।
मनन के लिए बीज प्रश्न:
नाम को छोड़ने के भाव ने आप कैसे जुड़ते हैं?
क्या आप अपना कोई निजी अनुभव हमसे साझा कर सकते हैं जब भेद भाव हटा कर आपने उदार पूर्णता का अनुभव किया हो?
दुनिया और उसके भेदों से संपर्क खोये बिना उदार पूर्णता का अनुभव करने में आपको क्या मदद करता है?
पाब्लो नेरुदा चिली देश के कवि हैं, उन्होंने तेरह वर्ष की आयु से कविता लिखना शुरू किया था, उन्हें १९७१ में साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया था।