Hiding A Penny

Author
Annie Dillard
22 words, 18K views, 6 comments

Image of the Week
एक पैसा छिपाना
- एनी डिलर्ड (१९ जून, २०१९)

जब मैं छह या सात साल का थी, पिट्सबर्ग में बचपन बिताते, मैं अपनी खुद की एक कीमती पैनी लेती और किसी और को खोजने देने के लिए उसे छिपा दिया करती। यह एक मज़ेदार आदत थी; दुख की बात है कि तबसे मैंने ऐसा नहीं किया है। किसी कारण से, मैं हमेशा सड़क पर फुटपाथ के उसी लम्बाई पर पैनी को "छिपा" देती। मैं इसे एक गूलर की जड़ों में, या फुटपाथ के टूटे हिस्से में दबा देती ।फिर मैं चौक का एक टुकड़ा लेती, और, ब्लॉक के दोनों छोर पर शुरू कर के, दोनों दिशाओं से पैनी तक जाते हुए लकीरें खींच देती।

जब मैंने लिखना सीख लिया तो मैं उन निशानों पर लिख देती: “आगे सर्प्राइज़ है या पैसा इस तरफ।” मैं बहुत उत्साहित होती इस सब निशानों की ड्राइंग के दौरान, इस विचार से कि पहला भाग्यशाली राहगीर, जो इस तरफ से पाएगा, उसकी योग्यता के बारे में सोचे बिना, उसे ब्रह्मांड से एक मुफ्त उपहार मिलेगा। लेकिन मैं कभी आस पास नहीं मँडराती। मैं सीधे घर चली जाती और इस बात के बारे में कुछ नहीं सोचती, जब तक, बहुत महीने बीत नहीं जाते, तो मेरे अंदर एक बार फिर एक और पैनी छिपाने का आवेग उठ आता ।

दुनिया काफी हद तक एक उदार हाथ से व्यापक रूप से जड़ी और फैलाई गई पैनियों से भरी हुई है। लेकिन - और बात यह है - कि कौन है जो केवल एक पैनी से उत्साहित हो जाता है?

यह वास्तव में निहायत गरीबी है जब एक आदमी इतना कुपोषित और थका हुआ होता है कि वह एक पैनी उठाने के लिए भी रुकता नहीं। लेकिन अगर आप एक स्वस्थ गरीबी और सादगी को विकसित करते हैं, ताकि केवल एक पैसा ढूंढ लेने से ही आपका दिन बन जाए, तो, चूंकि दुनिया वास्तव में पैनियों से भरी है, तो आपने अपनी गरीबी से जीवनभर के दिन ख़रीद लिये।
यह इतना आसान है।

विचार के लिए मूल प्रश्न: आप 'स्वस्थ गरीबी और सादगी' की धारणा से क्या समझते हैं, जो आपको खोज में आनंदित होने में मदद करती है ? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने एक सरल, विनम्र और अनाम उपहार प्राप्त करने पर आभार प्रकट किया हो? आपको 'स्वस्थ गरीबी और सादगी' को विकसित करने में किस चीज़ से मदद मिलती है?

एनी डिलर्ड का उनकी पुस्तक 'पिलग्रिम एट टिंकर क्रीक' से लिया गया अंश।
 

Annie Dillard's excerpt taken from her book, 'Pilgrim at Tinker Creek.'


Add Your Reflection

6 Past Reflections