अनिश्चितता का असहज स्थान
- मार्गरेट व्हीटली ( २२ मई, २०१९)
हम इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं किये गए हैं कि हमें पता नहीं है । हम में से अधिकांश लोगों को सिखाया गया था कि हम निश्चित और विश्वासपूर्ण दिखें और अपनी राय को इस तरह से पेश करें जैसे वह सच हो। हमें भ्रमित होने के लिए कभी पुरस्कृत नहीं किया गया। या त्वरित उत्तर देने के बजाय अधिक प्रश्न पूछने के लिए। हमने यह निर्धारित करने के लिए कि हम उनसे सहमत हैं या नहीं, मुख्य रूप से दूसरों को सुनने में कई साल बिताए हैं। हमारे पास बैठने और उन्हें सुनने लिए समय या रुचि नहीं है, जो हमारे विचार से अलग सोचते हैं।
हमारी निश्चितताओं - हमारे मतो, हमारी मान्यताओं, हमारे स्पष्टीकरणों - इन सब की निश्चितता को छोड़ना बहुत मुश्किल है। ये हमें परिभाषित करने में मदद करते हैं; वे हमारी व्यक्तिगत पहचान के केंद्र में रहते हैं। फिर भी मुझे विश्वास है कि हम इस दुनिया को बदलने में तभी सफल होंगे जब हम नए तरीकों से सोचने और काम करने में समर्थ हो जाएंगे।
जिज्ञासा वह चीज़ है जिसकी हमें आवश्यकता है। हमें उसे छोड़ने की ज़रूरत नहीं जिस पर हम विश्वास करते हैं, लेकिन हमें इस बात के लिए भी उत्सुक होने की आवश्यकता है कि कोई अन्य व्यक्ति क्या सोचता है। हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि दुनिया की व्याख्या करने का उनका तरीका हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक हो सकता है। किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चीजों की व्याख्या करने के बारे में उत्सुक होने के लिए, हमें यह स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा कि हम अकेले चीजों का अनुमान लगाने में सक्षम नहीं हैं।
हाल ही में, मैं ऐसी चीज़ें सुनने की कोशिश कर रहीं हूँ जो मुझे आश्चर्यचकित करे दें। मैंने अभी-अभी ऐसा क्या सुना जिसने मुझे चौंका दिया? यह आसान नहीं है - मैं बैठकर उन बातों पर अपना सर हिलाने की आदी हूँ जिनसे मैं सहमत हूं। लेकिन जब मैं उन बातों पर ध्यान देती हूँ जो मुझे आश्चर्यचकित करती हैं, तो मैं अपने खुद के विचारों, विश्वासों और मान्यताओं सहित, और अधिक प्रिय रूप से देख पाती हूं।
अदृश्य मान्यताओं को देखने के लिए मुझे जो आश्चर्यचकित और परेशान करता है , उसे देखना बहुत ही उपयोगी तरीका साबित हुआ है। अगर आप जो कहते हैं, वो मुझे आश्चर्यचकित करता है, तो मुझे लगता है कि सच कुछ और था। यदि आप जो कहते हैं वो मुझे परेशान करता है, तो मैं निश्चततः आपसे किसी विपरीत बात पर विश्वास करती हूँ। आपके मत पर मेरा ताज्जुब मेरे स्वयं के मत को प्रदर्शित करता है। जब मैं अपने आप को यह कहते हुए सुनती हूं, "कोई भी ऐसा कुछ कैसे मान सकता है?" मेरे खुद के विश्वासों को देखने के लिए एक रोशनी जल उठती है। ये पल बहुत बड़े उपहार हैं। यदि मैं अपने विश्वासों और अपनी मान्यताओं को देख सकती हूं, तो मैं यह तय कर सकती हूं कि क्या मैं अभी भी उन्हें महत्व देती हूं।
कभी-कभी हम मतभेदों को सुनने में संकोच करते हैं क्योंकि हम बदलना नहीं चाहते। हम अपने जीवन को लेकर सहज हैं, और अगर हमने किसी की बात सुनी जिसने सवाल उठाए हैं, तो हमें चीजों को बदलने में लगना होगा। यदि हम नहीं सुनते हैं, तो चीजें जैसे हैं वैसे ही रह सकती हैं जैसी वो हैं और हमें कोई ऊर्जा खर्च नहीं करनी पड़ेगी। लेकिन हम में से ज्यादातर लोग अपने जीवन में या दुनिया में ऐसी चीजें देखते हैं जिन्हें हम अलग देखना चाहते हैं। यदि यह सच है, तो हमें और अधिक सुनना होगा, कम नहीं। और हमें अनिश्चितता की बहुत असहज जगह में जाने के लिए तैयार रहना होगा।
विचार के लिए मूल प्रश्न: आप अनिश्चितता से क्या समझते हैं? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आप 'अनिश्चितता के बहुत असहज स्थान' में चले गए हों? आपको खुद को बदलने की दिशा में खुद को खुले रखने में क्या मदद करता है?
मार्गरेट व्हीटली कई पुस्तकों की एक प्रसिद्ध लेखिका हैं। उपरोक्त अंश 'विलिंग टू बी डिस्टर्बड' से है।