Keeping Quiet


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शांत रहना
- पाब्लो नेरूदा (३० मई, २०१८)

अब हम बारह की गणना करेंगे
और हम सब अभी स्थिर रहेंगे
आखिर एक बार इस पृथ्वी पर,
चलो किसी भी भाषा में बात नहीं करते;
चलो एक सेकंड के लिए रुकें,
और अपनी बाहों को इतना ना चलाएं।

यह एक अनोखा क्षण होगा
बिना किसी हड़बड़ के, बिना किसी इंजन के;
हम सब एक साथ होंगे
एक आकस्मिक विचित्रता में।

ठंडे समुद्र में मछुआरे
व्हेल को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे
और नमक इकट्ठा करता हुआ आदमी
अपने चोट खाये हाथों को नहीं देखेगा।

जो लोग हरे युद्ध तैयार करते हैं,
या गैस से युद्ध, आग से युद्ध,
बिना किन्हीं जीवित लोगों के हुई जीत,
साफ कपड़े पहनेंगे
और बिना अपने भाइयों के
छाया में चलेंगे, बिना काम के।

जो मैं चाहता हूं उसे सम्पूर्ण निष्क्रियता
न समझ लिया जाये।

जीवन यही है जो ये है ...

अगर हम इतने एकाग्र नहीं होते
अपने जीवन को बस आगे बढ़ाने में,
और सिर्फ एक बार कुछ भी न कर सकते,
शायद एक बड़ी चुप्पी
बाधित कर सकती इस कभी
खुद को ना समझने की उदासी को
और खुद को मौत से डराने को।

अब मैं बारह तक गिनूंगा
और तुम चुप रहो और मैं चला जाऊंगा।

प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न: 'कुछ भी नहीं' करने से आप क्या समझते हैं? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आप ठहरने के परिणामस्वरूप जीवन को रोक देने वाली उदासी को महसूस कर पाए हों? अपने जीवन को एकाग्रता से आगे बढ़ाते रखने पर कवि की आलोचना का आप “बढ़ते रहो” की कहावत के साथ सामंजस्य कैसे करते हैं?

चिली के कवि पाब्लो नेरुदा द्वारा।
 

Pablo Neruda is a Chilean poet, who started writings poems at the age of 13. He won the Nobel Prize in Literature in 1971.


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