Recycling Karmic Trash


Image of the Weekकर्मिक कचरे का पुनर्चक्रण
:शिंजेन यंग के द्वारा (२५ अप्रैल, २०१८)

ध्यानी या आध्यात्मिक मार्ग के लोगो के लिए दूसरों के जहर और पीड़ा के प्रति संवेदनशीलता को विकसित करना बहुत ही सामान्य बात है। कभी कभी इसे एक वाक्यांश के द्वारा समझाया जाता है "मैं ये सारी नकारात्मकता उठाता हूँ।" कभी कभी कुछ और कहा जाता है "लोग मेरी ऊर्जा खत्म कर देते हैं।" इससे संबंधित एक नजदीकी धारणा कुछ इस प्रकार है " अब, जबकि मैंने कुछ धार्मिक परिपक्वता विकसित कर ली है, मुझे पुराने मित्रों/परिवार/सामान्य लोगों से बात करने में मुश्किल होती है; वे अनजाने में अपने पर अनावश्यक पीड़ा डालते हैं; अब मेरे और उनके बीच बहुत कम चीज़े एक सी हैं।”

ऐसी सोच के बारे में, बहुत से बातें ध्यान में रखनी चाहियें। पहली : वे एक अस्थायी चरण दर्शाती हैं जिसमें से अंततः अभ्यासी बाहर निकल जाता है। दूसरी: जब आप उनसे बाहर निकल जाते हैं, जितने ही ज्यादा अनजान और गड़बड़ लोग होंगे, उनके आसपास रहने में उतना ही ज्यादा आपको आनंद आएगा। आप उस अस्थायी चरण से उसके विपरीत में ये समझ कर जा सकते हैं:

जब हम अन्य लोगो के साथ होते हैं, हम उन्हें वहां से देखते हैं जहाँ वे हैं। यदि वो बुरे जगह पर हैं, तो हम उन्हें वैसे देखते हैं। इसे बहिर्जात (exogenous) कष्ट कहा जा सकता है। यह एक ऐसा कष्ट है जिसका उद्गम (genesis) बाहर (exo) से होता है; अर्थात, आप किसी और में क्या चल रहा उसके कारण असहज महसूस करते हैं। बहिर्जात (exogenous) शब्द अंतर्जात (endogenous) शब्द का विरोधाभासी हैं। अंतर्जात असुविधा हमारी खुद की चीजों से उत्पन्न हुई असुविधा होती है। याद रखने योग्य मुख्य बात ये है कि असुविधा अंतर्जात हो या बहिर्जात, आमतौर पर मानसिक छवि, मानसिक बात-चीत और भावनात्मक शारीरिक संवेदना के कुछ संयोजन के रूप में आती है। जिस हद तक हम उस उठती सवेदना को पूरी तरह से अनुभव कर सकते हैं, उस हद तक यह पीड़ा का कारण नही बनती। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पीड़ा का स्रोत बहिर्जात है या अंतर्जात या दोनों का कोई मिश्रण।" इसे पूर्ण रूप से अनुभव करें" इस वाक्य से मेरा बस ये मतलब है कि इसे सचेत होकर अनुभव करें, अर्थात, कि इसे एकाग्रता, संवेदी स्पष्टता और समानता की स्थिति में अनुभव करें।

जब कष्ट अंतर्जात होता है और आप इसे बहुत ही सचेत होकर अनुभव करते हैं तो यह ज्यादा पीड़ा नहीं देता, इसमे ऐसा लगता है कि आपका शुद्धिकरण किया जा रहा है। जब कष्ट बहिर्जात हो और आप इसे बहुत सचेत होकर अनुभव करें, तो यह न केवल पीड़ा को उत्पन्न नहीं करेगा बल्कि ऐसा लगेगा कि आप और अन्य व्यक्ति दोनों का शुद्धिकरण हो रहा हो। दूसरे शब्दों में, आपकी चेतना किसी और के दर्द को जिस प्रकार समझती है संक्षेप में उसकी चेतना को भी सूक्ष्म रूप से वैसा ही करना सिखाती है। दूसरे व्यक्ति को हो सकता है कि पता नहीं चले कि ऐसा हो रहा है किंतु आपको पता है। आपको पता है कि आप उस व्यक्ति को विकसित कर रहे हैं और सूक्ष्म रूप से वो भी आपको विकसित कर रहा है। यही कारण है कि आप अंततः अनजान और गड़बड़ लोगों के संग में आनंद पाते हो। जैसा कि ब्लू ब्रदर्स में बताया आप " भगवान के एक गुप्त मिशन पर हैं।" आप जीवन में एक विशाल वायु छन्नी की भांति चलते हैं जो कि मनोवैज्ञानिक प्रदूषण को छानती है एवं स्वचालित रूप से इसे स्वच्छ कर देती है, उसमें से ऊर्जा निकालती है एवं उस ऊर्जा को सकारात्मकता में बदल देती है। आपको अपना काम पता है और आप इसे बहुत चाहते हैं: कर्मिक कचरे का पुनर्चक्रण।

कहने की जरूरत नहीं है, इस काम को करने में कुछ वक्त लग सकता है, परंतु एक पथ चलने वाले हर व्यक्ति को इस परिप्रेक्ष्य की इच्छा होनी चाहिए।

यह स्थिति मनोविज्ञान के लक्ष्यों से एक दिलचस्प रूप में भिन्न है। कुछ चिकित्सकीय दृष्टिकोणों में, लक्ष्य रोगी को उस बिंदु पर ले जाना है जहाँ वे " मैं क्या हूँ" से " वे क्या हैं" में अंतर समझ सके। चिंतनशील-आधारित आध्यात्मिकता में, लक्ष्य उस बिंदु तक पहुँचना है जहाँ आप उस भेद की परवाह नहीं करते!

मनन के लिए कुछ बीज प्रश्न: आप इस धारणा से क्या समझते हैं कि असुविधा का सचेत रूप से सामना करना शुद्धिकरण का कारण बनती है? क्या आप एक ऐसे समय की कोई व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने बहिर्जात असुविधा को सचेत रूप से अनुभव कर खुद को पोषित महसूस किया हो? "मैं क्या हूँ" और "वे क्या हैं" के बीच ध्यान रखना बंद करने में आपकी क्या मदद करता है?

“हियर” (यहां) से लिया गया। शिंज़ेन यंग एक अमरीकी सचेतता की शिक्षक और न्यूरोसाइंस रिसर्च कंसलटेंट हैं।
 

Sourced from hereShinzen Young is an American mindfulness teacher and neuroscience research consultant. 


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